विशाल बरगद का पेड़ पश्चिम बंगाल के हावड़ा शहर में स्थित एक 250 साल पुराना बरगद का वृक्ष है। स्थानीय लोगों का मानना है कि 1787 में जब इस वृक्ष के आस-पास आचार्य जगदीश चंद्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान को स्थापित किया गया था, उस वक्त इस वृक्ष की आयु 15 से 20 साल की थी। इस लिहाज से देखने पर आज इस बरगद की उम्र लगभग 250 साल से भी अधिक हो सकती है। इस वृक्ष को दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि इसके आस-पास एक पूरा जंगल स्थित है। दरअसल, इस बरगद के पेड़ की शाखाओं से निकली जटाएँ पानी की तलाश में जमीन के नीचे काफ़ी गहराई में जा पहुँची हैं, जो अब वृक्ष के जड़ के रूप में इसे पानी और सहारा देने का काम करती है। यह वृक्ष जिस वनस्पति उद्यान में स्थित है वहाँ संसार के पाँच महाद्वीपों से एकत्रित किये गये कई अन्य वृक्ष भी देखे जा सकते हैं परन्तु आगंतुकों के बीच सदैव से यह बरगद का वृक्ष आकर्षण का कारण बना रहा है। 1884 और 1925 में आए 2 चक्रवाती तुफानों के कारण इस वृक्ष को काफी नुकसान पहुँचा था और इसके शाखाओं में फफूंदी लग गई थी। इस कारण 1925 में इसके एक मुख्य शाखा को काटना पड़ गया था।[1][2][3][4]

विशाल बरगद का पेड़
विशाल बरगद का पेड़
नक्शा
जातिबरगद (फिकस बेंघालेंसिस)
स्थानआचार्य जगदीश चंद्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान, हावड़ा
ऊँचाई24 मी॰ (79 फीट)
बीजण तिथि1800 से पहले

14,500 वर्ग मीटर में फैला यह वृक्ष तकरीबन 24 मीटर ऊँचा है। इसकी 3 हजार से अधिक जटाएँ हैं, जो अब जड़ों में बदल चुकी हैं। इसे दुनिया का सबसे चौड़ा पेड़ या वॉकिंग ट्री भी कहा जाता है। इस पेड़ पर पक्षियों की 80 से अधिक प्रजातियाँ निवास करती हैं। 19वीं शताब्दी की कुछ यात्रा वृत्तातों में भी इस वृक्ष का उल्लेख देखने को मिलता है। इसकी विशलता को देखते हुए गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी इसका नाम दर्ज किया गया है। इस विशाल बरगद के वृक्ष के सम्मान में भारत सरकार ने साल 1987 में एक डाक टिकट जारी किया था। यह वृक्ष भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण का प्रतीक चिह्न भी है।[5][6]

गठन संपादित करें

वैज्ञानिकों का मानना हैं कि बरगद का यह वृक्ष दुनिया का सबसे चौड़ा वृक्ष है, जो लगभग 14,500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। इस वृक्ष की 3,372 से अधिक जटाएँ वर्तमान समय में जड़ का रूप ले चुकी हैं। इसके मूल तने की परिधि वर्तमान में लगभग 18.918 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। वृक्ष की परिधि लगभग 486 मीटर है। इसकी सबसे ऊँची शाखा 24 मीटर लंबी है। वर्तमान में जमीन तक पहुंचने वाली इसके स्तंभ जड़ों की कुल संख्या 3,772 है।[7][8]

वानस्पतिक विज्ञान में इस वृक्ष का वैज्ञानिक नाम फिकस बेंघालेंसिस है, जो मोरेसी परिवार से संबंधित है। वृक्ष की यह प्रजाति मूल रूप से भारत में पाई जाती है। इसके फल छोटे अंजीर जैसे और मीठे होते हैं।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Sambamurty, A. V. S. S. (2013). Taxonomy of Angiosperms (अंग्रेज़ी में). I. K. International Pvt Ltd. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-88237-16-6. अभिगमन तिथि 24 जून 2023.
  2. Matthews, Peter; Dunkley McCarthy, Michelle; Young, Mark (CON) (October 1993). The Guinness Book of Records 1994. Facts on File. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-8160-2645-6. अभिगमन तिथि 5 June 2012.
  3. India Today. Living Media India Pvt. Ltd. 1992. पृ॰ 53. अभिगमन तिथि 5 June 2012.
  4. Sayeed, Vikhar Ahmed. "Arboreal Wonder". Frontline. अभिगमन तिथि 5 June 2012.
  5. "Redirect Notice". www.google.com. अभिगमन तिथि 24 जून 2023.
  6. "भारत की इस जगह पर है दुनिया का सबसे बड़ा बरगद का पेड़, देखकर ही अपने आप में लगता है एक बड़ा जंगल". Navbharat Times. अभिगमन तिथि 24 जून 2023.
  7. "Redirect Notice". www.google.com. अभिगमन तिथि 24 जून 2023.
  8. "भारत की इस जगह पर है दुनिया का सबसे बड़ा बरगद का पेड़, देखकर ही अपने आप में लगता है एक बड़ा जंगल". Navbharat Times. अभिगमन तिथि 24 जून 2023.