घराना (1961 फ़िल्म)

1961 की एस॰ एस॰ वासन की फ़िल्म

घराना 1961 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसमें राजेन्द्र कुमार, राज कुमार और आशा पारेख मुख्य सितारें हैं। इसका निर्देशन एस॰ एस॰ वासन ने किया है और निर्माण जेमिनी स्टूडियो के तहत उन्हीं ने किया है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई थी। फिल्म 1960 की तेलुगू फिल्म शांति निवासम् की रीमेक है।

घराना

घराना का पोस्टर
निर्देशक एस॰ एस॰ वासन
लेखक मुखराम शर्मा (संवाद)
निर्माता एस॰ एस॰ वासन
अभिनेता राजेन्द्र कुमार,
राज कुमार,
आशा पारेख
संगीतकार रवि
प्रदर्शन तिथियाँ
22 फरवरी, 1961
देश भारत
भाषा हिन्दी

कहानी संपादित करें

ये कहानी एक बहुत बड़े घराने की है, जिसे एक अत्याचारी माँ, शांता (ललिता पवार) चलाते रहती है। उसका पति, रामदास (बिपिन गुप्ता) काफी धार्मिक और नम्र स्वभाव का इंसान है, जो अपने घर में सभी का कहना मानते रहता है। उस घर की सबसे बड़ी बहू, गौरी एक विधवा है, जिसके दो बच्चे हैं। शांता का दूसरा बेटा, कैलाश (राज कुमार) की शादी सीता (देविका) से होती है। सबसे छोटा बेटा, कमल (राजेन्द्र कुमार) अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है, और उषा (आशा पारेख) नाम की एक लड़की के पीछे लट्टू है। शांता की एक बेटी, भैरवी (शुभा खोटे) है, जो अपने पति और ससुर के साथ रहती थी, लेकिन ससुर के गाने से परेशान हो कर वो अपने मायके में आ जाती है और अपनी पत्नी को वापस घर ले जाने के लिए उसका पति, सारंग भी उसके पास आ जाता है।

एक दिन कैलाश के मन में भैरवी उसकी पत्नी के खिलाफ शक डालती है कि उसका चक्कर कमल के साथ चल रहा है। कमल की उषा के साथ शादी होने के बाद भी कैलाश का शक दूर नहीं होता है। वो अपनी पत्नी को छोड़ देता है और ख़ुदकुशी करने की कोशिश करता है। उसकी दोस्त, रागिनी (मीनू मुमताज़) उसे रोक लेती है और एक दोस्त के रूप में वो उसकी मदद करती है।

एक दिन कमल देखता है कि उसकी माँ, उषा को मारने वाली है और वो उसे मारने से रोक देता है। वो अपने पिता, रामदास को भी घर की ज़िम्मेदारी उठाने और चलाने को कहता है। अंत में रामदास उसकी बात मान कर घर की सारी ज़िम्मेदारी ले लेता है और भैरवी को भी अपने पति के साथ ससुराल जाने को कहता है। कैलाश को पता चलता है कि उसकी पत्नी माँ बनने वाली है, पर वो उस बच्चे का पिता होने से इंकार कर देता है और कहता है कि इस बच्चे का बाप कमल है। सीता इन आरोपों को बेबुनियाद बताती है और इससे साफ इंकार कर देती है। इन आरोपों से उसका दिल टूट जाता है और वो ख़ुदकुशी करने की कोशिश करती है। परिवार के बाकी लोग उसे रोक लेते हैं और भैरवी सारी सच्चाई बता देती है कि उसने कमल और सीता के बारे में झूठी कहानी बनाई थी। सारी सच्चाई पता चलने के बाद कैलाश उससे माफी मांगता है और सीता उसे माफ कर देती है। इस तरह अंत में सारा परिवार एक हो जाता है और खुशियों के साथ जीवन बिताने लगता है।

मुख्य कलाकार संपादित करें

संगीत संपादित करें

सभी गीत शकील बदायूँनी द्वारा लिखित; सारा संगीत रवि द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं"मोहम्मद रफ़ी4:47
2."जय रघुनंदन जय सियाराम"मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले3:21
3."दादी अम्मा दादी अम्मा"आशा भोंसले, कमल बरोट3:16
4."ये दुनिया उसी की जो प्यार"आशा भोंसले4:21
5."ये जिंदगी की उलझनें"आशा भोंसले3:09
6."जब से तुम्हें देखा है"मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले4:20
7."ना देखों हमें घूर के"मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले4:04
8."हो गई रे हो गई रे"मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले3:08
9."मेरे बन्ने की बात ना"आशा भोंसले, शमशाद बेगम7:01

नामांकन और पुरस्कार संपादित करें

वर्ष नामित कार्य पुरस्कार परिणाम
1962 शुभा खोटे फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार नामित
रवि फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार जीत
मोहम्मद रफ़ी ("हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार नामित
शकील बदायूँनी ("हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार जीत

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें