रैखिक परिपथ (linear circuit) वह परिपथ है जिसमें f आवृत्ति का साइनवक्रीय (साइनस्वायडल) इनपुट वोल्टेज लगाने पर उसके सभी वोल्टेज तथा धाराएँ भी f आवृत्ति की साइनवक्रीय होती हैं। हाँ, यह आवश्यक नहीं है कि सभी वोल्टेज और धारायें इनपुट के फेज में ही हों।.[1]

रैखिक परिपथ की एक दूसरी परिभाषा यह है कि यह अध्यारोपण प्रमेय का पालन करता है। इसका अर्थ यह है कि जब रैखिक परिपथ के इनपुट में दो संकेतों का रैखिक योग ax1(t) + bx2(t) लगाया जाता है तो इसका आउटपुट F(x) इनपुट में लगाये गये संकेतों x1(t) और x2(t) को अलग-अलग लगाने से प्राप्त आउटपुट के रैखिक योग के बराबर होता है। अर्थात्

रैखिक परिपथों में लगे हुए प्रतिरोध, प्रेरकत्व, संधारित्र तथा लब्धि (gain) आदि का मान परिपथ में मौजूद वोल्टेज और धारा के मान से बिलकुल नहीं बदलते। रैखिक परिपथ इसलिये महत्वपूर्ण है कि वे इलेक्ट्रानिक संकेतों का रूप बदले बिना ही (बिना डिस्टॉर्शन) उन्हें प्रवर्धित तथा प्रसंस्कृत कर सकते हैं।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Zumbahlen, Hank (2008). Linear circuit design handbook. Newnes. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-7506-8703-7.

इन्हें भी देखें संपादित करें