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22 जनवरी 2024

  • 06:1806:18, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास −3,620 आदम Kai shree ram टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 06:1806:18, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास +1,304 आदम Jai shree ram टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 06:1706:17, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास −4,984 आदम Jai shree ram टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 06:1606:16, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास +1,666 आदम शिव शक्ति श्रेष्ठ है जगत में उनसे बड़ा कोई नहीं जय शारदा जयशिव शक्ति श्रेष्ठ है जगत में उनसे बड़ा कोई नहीं जय शारद टैग: Reverted References removed मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 06:1406:14, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास −8,046 आदम शिव शक्ति श्रेष्ठ है जगत में उनसे बड़ा कोई नहीं जय शारदा जय गौ माता जय 52 भैरव। टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 06:1206:12, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास −39,612 आदम शिव शक्ति श्रेष्ठ है जगत में उनसे बड़ा कोई नहीं जय शारदा जय गौ माता जय 52 भैरव। टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 06:1106:11, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास +5,201 आदम शिव शक्ति श्रेष्ठ है जगत में उनसे बड़ा कोई नहीं जय शारदा जय गौ माता जय 52 भैरव। टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 06:0706:07, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास −410 आदम ॐ प्रातर्नमामि मनसा त्रिजगद्-विधात्रीं कल्याणदात्रीं कमलायताक्षीम् । कालीं कलानाथ-कलाभिरामां कादम्बिनी-मेचक-काय-कान्तिम् ॥ १॥ अर्थात् तीनों भुवनों की रचना करनेवाली, कल्याण की देनेवाली, कमल-सी सुन्दर आँखोंवाली, चन्द्रमा की कला से सुशोभित, सघन मेघ-सी साँवली काली को मैं प्रातःकाल मन से नमन करता हूँ ॥ १॥ जगत्प्रसूते द्रुहिणो यदर्च्चा-प्रसादतः पाति सुरारिहन्ता । अन्ते भवो हन्ति भव-प्रशान्त्यै तां कालिकां प्रातरहं भजामि ॥ २॥ संसार से शान्ति पाने के लिए प्रातःकाल मैं उस काली का भजन करता हूँ, जिसकी प टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 06:0506:05, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास +4,283 आदम ॐ प्रातर्नमामि मनसा त्रिजगद्-विधात्रीं कल्याणदात्रीं कमलायताक्षीम् । कालीं कलानाथ-कलाभिरामां कादम्बिनी-मेचक-काय-कान्तिम् ॥ १॥ अर्थात् तीनों भुवनों की रचना करनेवाली, कल्याण की देनेवाली, कमल-सी सुन्दर आँखोंवाली, चन्द्रमा की कला से सुशोभित, सघन मेघ-सी साँवली काली को मैं प्रातःकाल मन से नमन करता हूँ ॥ १॥ जगत्प्रसूते द्रुहिणो यदर्च्चा-प्रसादतः पाति सुरारिहन्ता । अन्ते भवो हन्ति भव-प्रशान्त्यै तां कालिकां प्रातरहं भजामि ॥ २॥ संसार से शान्ति पाने के लिए प्रातःकाल मैं उस काली का भजन करता हूँ, जिसकी टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 06:0406:04, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास −1,318 आदम ॐ प्रातर्नमामि मनसा त्रिजगद्-विधात्रीं कल्याणदात्रीं कमलायताक्षीम् । कालीं कलानाथ-कलाभिरामां कादम्बिनी-मेचक-काय-कान्तिम् ॥ १॥ अर्थात् तीनों भुवनों की रचना करनेवाली, कल्याण की देनेवाली, कमल-सी सुन्दर आँखोंवाली, चन्द्रमा की कला से सुशोभित, सघन मेघ-सी साँवली काली को मैं प्रातःकाल मन से नमन करता हूँ ॥ १॥ जगत्प्रसूते द्रुहिणो यदर्च्चा-प्रसादतः पाति सुरारिहन्ता । अन्ते भवो हन्ति भव-प्रशान्त्यै तां कालिकां प्रातरहं भजामि ॥ २॥ संसार से शान्ति पाने के लिए प्रातःकाल मैं उस काली का भजन करता हूँ, जिसकी टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 06:0106:01, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास +199 आदम शिव शक्ति श्रेष्ठ है जगत में उनसे बड़ा कोई नहीं जय शारदा जय गौ माता जय 52 भैरव। टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 06:0106:01, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास +189 आदम शिव शक्ति श्रेष्ठ है जगत में उनसे बड़ा कोई नहीं जय शारदा जय गौ माता जय 52 भैरव। टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 05:5805:58, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास +80 आदम जय शारदा जय गौ माता जय 52भैरव। टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 05:5105:51, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास −35,295 आदम अथ श्रीभैरवताण्डवस्तोत्रम् । ॐ चण्डं प्रतिचण्डं करधृतदण्डं कृतरिपुखण्डं सौख्यकरं लोकं सुखयन्तं विलसितवन्तं प्रकटितदन्तं नृत्यकरम् । डमरुध्वनिशङ्खं तरलवतंसं मधुरहसन्तं लोकभरं भज भज भूतेशं प्रकटमहेशं भैरववेषं कष्टहरम् ॥ १॥ टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 05:4505:45, 22 जनवरी 2024 अन्तर इतिहास +1,828 आदम गीता अनुसार सुधार किया गया टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन