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31 मई 2022
- 13:5113:51, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास +2 ईरान →नाम: पाराग्राफ टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 13:4813:48, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास +1,088 ईरान उस काल में पर्शिया का साम्राज्य चार खण्डों में विभक्त था, जिनके नाम सुग्द, मरू, वरवधी और निशा था। बाद में हरयू( हिरात) और वक्रित( काबुल) भी इसी राज्य में मिला लिए गए थे। उस समय यहाँ प्रियव्रत शाखा के स्वारोचिष मनु के वंशज राज्य कर रहे थे। यहाँ के महाराज जानन्तपति अत्यराति चक्रवर्ती कहे जाते थे वे आसमुद्र क्षितीश थे। भारतवर्ष की सीमा के अंतिम प्रदेश और पर्शिया का पूर्वी प्रान्त सत्यगिदी सत्यलोक के नाम से प्रसिद्ध था। टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 13:2813:28, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास +641 ईरान →नाम: ईसा से लगभग चार हजार वर्ष पूर्व मूल पुरुष स्वायंभुव मनु उत्पन्न हुए। मनुपुत्र प्रियव्रत के प्रपौत्र नाभि के नाम पर पर्शिया का प्राचीन नाम नाभी था। भूमि बँटवारा के बाद अगिनन्ध्र के बड़े पुत्र नाभि को हिमवर्ष- हिमालय से अरब समुद्र तक का देश मिला। टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 13:0513:05, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास +852 ईरान →नाम: ऋषि वशिष्ठ ने अपनी यज्ञ विधि से संपूर्ण अरब प्रदेश को व्याप्त कर रखा था। प्रसिद्ध है कि अरब के साबा आदि धर्मक्षेत्रों की यज्ञ होम की सुगन्धित वायु मिस्र देश तक पहुँचती थी। इसीलिए एलेग्जेंडर ने बेबिलोनिया में अपनी राजधानी स्थापित करनी चाही थी, मिल्टन ने अपने काव्य में अरब की सुंगधित वायु से सागरों के महकने का उल्लेख किया है। टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 12:4512:45, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास +691 ईरान →नाम: सीरिया और अरब निवासी प्राचीन काल में सूर्य के उपासक थे। पर्शिया के डेजर्ट के निवासी प्राचीन काल में आदित्य कहाते थे। 'आद' अरबी भाषा में सूरज को ही कहते हैं। अरब या यारा भी अरबी भाषा में सूर्य के ही नाम है। अदन का प्राचीन नाम आदित्यपुर था और यह सूर्य की एक राजधानी थी। टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 12:1512:15, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास +322 जलप्रलय शतपथ ब्राह्मण तथा मत्स्य पुराण में प्रलय की घटना वर्णित है, उसमें लिखा है कि मनु के हाथ में एक मछली लगी जिसने उसकी रक्षा की। टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 11:1911:19, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास +2,101 ईरान →इतिहास: नव-पाषाण युग के बाद कृषि का आविष्कार हुआ। कृषि ही सम्यता की माता है। आर्य ही संसार में सबसे प्रथम कृषक थे। कृषि के उपयुक्त स्थान की खोज में पंजाब की भूमि में आए और इसी का नाम सप्त-सिन्धु रखा, परन्तु उनकी सम्यता का केन्द्र सरस्वती नदी तट पर था। सरस्वती तट पर ही आर्यो ने ताम्रयुग की स्थापना की थी। वे अपने पत्थर के हथियार को छोड़कर ताम्बे के हथियारों को काम में लेने लगे। मेसोपोटामिया तथा इलाम में यही सभ्यता प्रोटोइलामाइट सभ्यता कहाती है। सुमेरू जाति प्रोटोइलामाइट जाति के बाद मेसैपोटा... टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 10:4710:47, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास +1 ईरान →इतिहास: पाराग्राफ टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 05:2505:25, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास +5 जलप्रलय पाराग्राफ टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 05:2105:21, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास −1,400 जलप्रलय प्राचीन ईरानी इतिहासकार और अवस्ता दोनों में ही स्वीकार किया गया है कि वारुण लोग वरुण को ही सृष्टि का रचयिता मानते हैं। प्राचीन ईरान के कापाडोसिया प्रान्त में इन्द्र और वरुण की शपथ के शिलालेख मिले हैं। वरुण के इस समूचे साम्राज्य का नाम अमरदेश था और सुषा का नाम अमरावती भी था। अपर्वत वर्तमान ईरान का एक प्रदेश था जो कलात नादरी के निकट था। उस समय उसे अवर्द या अविवर्द दोजख कहते थे वहां सूर्य पुत्र यम ने महाजल प्रलय के बाद अपने नवीन राज्य की स्थापना की थी। वहाँ के अधिकांश लोग जल प्रलय में मर चुके थे... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 05:1405:14, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास 0 जलप्रलय को टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 05:1005:10, 31 मई 2022 अन्तर इतिहास +8 जलप्रलय थी, टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन