Ankit kumar vijeta के सदस्य योगदान
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10 फ़रवरी 2020
- 07:5407:54, 10 फ़रवरी 2020 अन्तर इतिहास −197 छो सदस्य:Ankit kumar vijeta No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
24 जनवरी 2020
- 12:2212:22, 24 जनवरी 2020 अन्तर इतिहास +288 छो सदस्य:Ankit kumar vijeta Kuchh paane ki kosis me, sab kuchh bhool jana padaa, Jab mile un sabhi se , Ve bole aap to sab kuchh pa liye, Khusii mt dhoondo in zindagi ki rah me, Zine ke liye maut bhi kaafi hoti hai, Hm kisi se khussi nhi magte apni, Bas sbke chehre pr muskan ho , Mera dard dekhne par bhi, टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
11 जनवरी 2020
- 17:3217:32, 11 जनवरी 2020 अन्तर इतिहास +3 छो सदस्य:Ankit kumar vijeta No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
7 अगस्त 2019
- 08:0808:08, 7 अगस्त 2019 अन्तर इतिहास −1,155 सदस्य:Ankit kumar vijeta बुराई की मज़बूर,...शराब, कोई होश खोने के लिए पीता है और कोई होश में आने के लिए, कोई जीने के लिए पीता है कोई मरने के लिए, कोई एन्जॉय के लिए पीता है तो कोई दर्द में ज़ीने के लिए, कोई इसे नाशा कहता है तो कोई इसे दवा कहता है, कोई इसे मज़बूरी में पीता ही, एक रिक्शा वाला इसलिए पीता है की उसे दिनभर की थकान में भी नींद आ जाये वहीँ एक डॉक्टर इसलिए पीता है की ऑपरेशन करते वक़्त उसका हाथ न कापे, चौकीदार इसलिए पीता है की वो रात भर पहरे दे सके, क्या है ये मजबूरी? टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 08:0608:06, 7 अगस्त 2019 अन्तर इतिहास +10 सदस्य:Ankit kumar vijeta बुराई की मज़बूर,...शराब, कोई होश खोने के लिए पीता है और कोई होश में आने के लिए, कोई जीने के लिए पीता है कोई मरने के लिए, कोई एन्जॉय के लिए पीता है तो कोई दर्द में ज़ीने के लिए, कोई इसे नाशा कहता है तो कोई इसे दवा कहता है, कोई इसे मज़बूरी में पीता ही, एक रिक्शा वाला इसलिए पीता है की उसे दिनभर की थकान में भी नींद आ जाये वहीँ एक डॉक्टर इसलिए पीता है की ऑपरेशन करते वक़्त उसका हाथ न कापे, चौकीदार इसलिए पीता है की वो रात भर पहरे दे सके, क्या है ये मजबूरी? टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
- 08:0508:05, 7 अगस्त 2019 अन्तर इतिहास +1,145 सदस्य:Ankit kumar vijeta बुराई को मज़बूर,...शराब, कोई होश खोने के लिए पीता है और कोई होश में आने के लिए, कोई जीने के लिए पीता है कोई मरने के लिए, कोई एन्जॉय के लिए पीता है तो कोई दर्द में ज़ीने के लिए, कोई इसे नाशा कहता है तो कोई इसे दवा कहता है, कोई इसे मज़बूरी में पीता ही, एक रिक्शा वाला इसलिए पीता है की उसे दिनभर की थकान में भी नींद आ जाये वहीँ एक डॉक्टर इसलिए पीता है की ऑपरेशन करते वक़्त उसका हाथ न कापे, चौकीदार इसलिए पीता है की वो रात भर पहरे दे सके, क्या है ये मजबूरी? टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन