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17 जुलाई 2022

  • 13:5213:52, 17 जुलाई 2022 अन्तर इतिहास +34,766 प्राचीन भारत→‎वैदिक काल: पुराणों में प्राचीन समय का विभाग मन्वन्तरों की गणना के अनुसार किया गया है। मन्वन्तर को छोड़ कर अतीत काल की स्थिति जानने का कोई और उपाय नहीं है। मन्वन्तरों के कथन से हमें यह लाभ हुआ कि वैवस्वत मनु के पहले हमें छह मन्वन्तर मिलते हैं। ईसा से कोई चार हजार वर्ष पूर्व भारतवर्ष के मूल पुरुष स्वायंभुव मनु उत्पन्न हुए। इनकी तीन पुत्रियां तथा दो पुत्र हुए। पुत्रों के नाम प्रियव्रत और उतानपाद थे। प्रियव्रत के दस पुत्र हुए। इन्हें प्रियव्रत ने पृथ्वी बांट दी। ज्येष्ठ पुत्र अग्निन्ध्र को उस... टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 13:4513:45, 17 जुलाई 2022 अन्तर इतिहास +6,941 प्राचीन भारत→‎उत्पत्ति: आर्य लोग खानाबदोश गड़ेरियों की भांति अपने जंगली परिवारों और पशुओं को लिए इधर से उधर भटकते रहते थे। इन लोगों ने पत्थर के नुकीले हथियारों से काम लेना सीखा। मनुष्यों की इस सभ्यता को वे 'यूलिथ- सभ्यता' कहते हैं। इस सभ्यता में कुछ सुधार हुआ तो फिर 'चिलियन' सभ्यता आई। इन हथियार औजारों की सभ्यता के समय का मनुष्य नर वानर के रूप में थे। उनमें वास्तविक मनुष्यत्व का बीजारोपण नहीं हुआ था। " मुस्टेरियन " सभ्यता के पश्चात " रेनडियन " सभ्यता का प्रादुर्भाव हुआ। इस समय लोगों में मानवोचित बुद्धि... टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 13:3913:39, 17 जुलाई 2022 अन्तर इतिहास +2,503 भारत का इतिहास→‎सिन्धु घाटी सभ्यता: नव पाषाण युग के अंत तक मनुष्य की बुद्धि बहुत कुछ विकसित हो गई थी। इसी समय कृषि का आविष्कार हुआ। कृषि ही सम्यता की माता थी। आर्य ही संसार में सबसे प्रथम कृषक थे। कृषि के उपयोगी स्थानों की खोज में आर्य पंजाब की भूमि में आए और इसी का नाम सप्तसिन्धु प्रदेश रखा। आर्य लोग सम्पूर्ण सप्तसिन्धु प्रदेश में फैल गए, परन्तु उनकी सभ्यता का केन्द्र सरस्वती तट था। सरस्वती नदी तट पर ही आर्यों ने ताम्रयुग की स्थापना की। यहाँ उन्हें ताम्बा मिला और वे अपने पत्थर के हथियारों को छोड़कर ताम्... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 13:2513:25, 17 जुलाई 2022 अन्तर इतिहास +6,940 भारत का इतिहासआर्य लोग खानाबदोश गड़ेरियों की भांति अपने जंगली परिवारों और पशुओं को लिए इधर से उधर भटकते रहते थे। इन लोगों ने पत्थर के नुकीले हथियारों से काम लेना सीखा। मनुष्यों की इस सभ्यता को वे 'यूलिथ- सभ्यता' कहते हैं। इस सभ्यता में कुछ सुधार हुआ तो फिर 'चिलियन' सभ्यता आई। इन हथियार औजारों की सभ्यता के समय का मनुष्य नर वानर के रूप में थे। उनमें वास्तविक मनुष्यत्व का बीजारोपण नहीं हुआ था। " मुस्टेरियन " सभ्यता के पश्चात " रेनडियन " सभ्यता का प्रादुर्भाव हुआ। इस समय लोगों में मानवोचित बुद्धि का विकाश होने... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 13:1813:18, 17 जुलाई 2022 अन्तर इतिहास +6,940 भारत का इतिहास→‎प्रागैतिहासिक काल (3300 ईसा पूर्व तक): आर्य लोग खानाबदोश गड़ेरियों की भांति अपने जंगली परिवारों और पशुओं को लिए इधर से उधर भटकते रहते थे। इन लोगों ने पत्थर के नुकीले हथियारों से काम लेना सीखा। मनुष्यों की इस सभ्यता को वे 'यूलिथ- सभ्यता' कहते हैं। इस सभ्यता में कुछ सुधार हुआ तो फिर 'चिलियन' सभ्यता आई। इन हथियार औजारों की सभ्यता के समय का मनुष्य नर वानर के रूप में थे। उनमें वास्तविक मनुष्यत्व का बीजारोपण नहीं हुआ था। " मुस्टेरियन " सभ्यता के पश्चात " रेनडियन " सभ्यता का प्रादुर्भाव हुआ। इस... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 13:1013:10, 17 जुलाई 2022 अन्तर इतिहास +17,180 भारत का इतिहास→‎वैदिक सभ्यता (1500 ईसापूर्व–600 ईसापूर्व): ईसा से कोई चार हजार वर्ष पूर्व भारतवर्ष के मूल पुरुष स्वायंभुव मनु उत्पन्न हुए। इनकी तीन पुत्रियां तथा दो पुत्र हुए। पुत्रों के नाम प्रियव्रत और उतानपाद थे। प्रियव्रत के दस पुत्र हुए। इन्हें प्रियव्रत ने पृथ्वी बांट दी। ज्येष्ठ पुत्र अग्निन्ध्र को उसने जम्बुद्दीप( एशिया) दिया। इसे उसने अपने हाथों नौ पुत्रों में बाँट दिया। बड़े पुत्र नाभि को हिमवर्ष- हिमालय से अरब समुद्र तक देश मिला। नाभि के पुत्र महाज्ञानी- सर्वत्यागी ऋषभ देव हुए। ऋषभदेव के पुत्र... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन

3 जुलाई 2022

  • 12:2312:23, 3 जुलाई 2022 अन्तर इतिहास +316 जलप्रलयबारह आदित्य का नाम इस प्रकार थे- विवस्वान्, अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरुण, मित्र, इंद्र और त्रिविक्रम। वर्तमान टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन

29 जून 2022

17 जून 2022

  • 13:3313:33, 17 जून 2022 अन्तर इतिहास +151 आर्यावर्तकश्यप सागर के पुरब दक्षिण और पश्चिमोत्तर प्रदेश एवमं सम्पूर्ण अरब देश) टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 13:2513:25, 17 जून 2022 अन्तर इतिहास +3,251 आर्यावर्तबुध और वैवस्वत मनु दोनों पश्चिमोतर के दुर्जय पहाड़ो को पार करते हुए इलावर्त(कश्यप सागर के को त्याग भारत में चले आए। भारत में आकर वैवस्वत मनु ने सरयु तीर पर अयोध्या नगरी बसाकर अपने पिता के नाम से सूर्यवंश की गद्दी स्थापित की ओर बुध ने अपने पिता चन्द्र के नाम पर चन्द्रवंश की स्थापना करके गंगा यमुना के संगम पर प्रतिष्ठित नगरी बसा, अपनी राजधानी बनाई। बुध बड़े भारी अर्थशास्त्री और हस्तिशास्त्री थे। अपने दादा दैत्य गुरु शुक्राचार्य से उन्होने ये विधाएं सीखी थी। भारत में आकर दोनों ही कुलो ने वेद को... टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन