"विकिपीडिया:चौपाल": अवतरणों में अंतर
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=== चर्चा भाग २ ===
[[#प्रबन्धकों के कार्य का विभाजन|उपरोक्त विषय]] पर सभी प्रबन्धकों (अन्तिम सम्पादन के क्रम में: [[स:आर्यावर्त|आर्यावर्त जी]], [[स:अजीत कुमार तिवारी|अजीत जी]], [[स:हिंदुस्थान वासी|पीयूष जी]], [[स:आशीष भटनागर|आशीष जी]], [[स:अनिरुद्ध!|अनिरुद्ध जी]], [[स:Mala chaubey|माला जी]], [[स:Anamdas|अनाम जी]] और [[स:चक्रपाणी|चक्रपाणी जी]]) से अनुरोध है कि अपना पक्ष रखें। ध्यान रहे, आपका कथन लघु और सारगर्भित हो तो लाभदायक होगा। यदि कोई प्रबन्धक इसमें अपना मत नहीं रखना चाहे तो कृपया उसका भी कारण दें जिससे स्थिति को स्पष्ट करने में आसानी रहे।<span style="color:green;">☆★</span>[[u:संजीव कुमार|<u><span style="color:Magenta;">संजीव कुमार</span></u>]] ([[User talk:संजीव कुमार|<span style="color:blue;">✉✉</span>]]) 05:56, 17 मार्च 2018 (UTC)
== SM7 को प्रश्न ==
{{सुनो|SM7}}जी आप से प्रश्न पुछना चाहता हूँ कि ...
# क्या एक ही शब्द के उपयोग के लिये किसी को विवश किया जा सकता है?
# खिड़की का वातायन करना अनुचित है, तो आक्रमण का हमला करना क्यों अनुचित नहीं है?
# अंक का जो विवाद है, उस में निवेश में अरबी अंक और परिणाम में भारतीय अंक हो तो क्या आप उस समस्या का समाधान करने के लिये तत्पर हैं?
# बिना चर्चा के "तार्किक रूप से सही" कहने वाले पीयूषजी से आप प्रश्न करेंगे कि क्या तर्क है, जो उस निर्णय पर बिना चर्चा के भी सही है?
# [https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=2017_%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5_%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A4%BE&type=revision&diff=3554683&oldid=3548234 इस सम्पादन में] जो परिवर्तन हुए हैं, जिस में सन्दर्भों का निष्कासन हुआ है और शब्दों को परिवर्तित किया गया है, उसके लिये आप क्या कार्यवाही करेंगें?
मैंने ये अनुभव किया है। जब तर्क समाप्त हो जाते हैं, तो ऐसे कारण देकर उसे टाला जाता है, जो वास्तव में एक व्यक्ति नहीं करता है। आप से इन प्रश्नों पर वैसे ही स्पष्ट उत्तर की अपेक्षा है, जैसी भाषा में आप अन्यों से प्रश्न पूछते हैं। अस्तु। <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 03:13, 21 सितंबर 2017 (UTC)
:: किसी ने 'द्वितीय विश्वयुद्ध' को 'दूसरा विश्व युद्ध' कर दिया था। कारण दिया था 'द्वितीय' एक संस्कृत शब्द है।'[[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 04:26, 21 सितंबर 2017 (UTC)
;हमला और आक्रमण में अंतर
*हमला: हमला प्रायः और अस्त्र -शस्त्र रहित भी हो सकते हैं।
*आक्रमण : जब हमला योजनाबद्ध हो और अस्त्र -शस्त्र प्रयुक्त हों। वहां आक्रमण शब्द प्रयुक्त होना चाहिए।
--[[सदस्य:Teacher1943| ए० एल० मिश्र]] ([[सदस्य वार्ता:Teacher1943|वार्ता]]) 14:49, 21 सितंबर 2017 (UTC)
:::[https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=2017_अमरनाथ_यात्रा_हमला&type=revision&diff=3554683&oldid=3548234 ये संपादन] अपने आप में एक आक्रमण है। इस प्रकार हिन्दी की, हिन्दी के शब्दों की दुर्दशा देखकर कोई भी हिन्दीप्रेमी योगदान देना नहीं चाहेगा। ये तो अब सीधे सीधे ही लेख बनाने वालें के साथ अतिक्रमण हो रहा है। न केवल आक्रमण का हमला, परन्तु का लेकिन, देवनागरी अंको के अरबी कर दिए। सभी संस्कृतनिष्ठ हिन्दी शब्दों को बदल दिया गया। ये तो अब बहुत बड़ी समस्या हो गई है।--<span style="color:gr।।e।।।।।en;">☆★</span>[[u:आर्यावर्त|<u><span style="color:red;">आर्यावर्त</span></u>]] ([[User talk:आर्यावर्त|<span style="color:green;">✉✉</span>]]) 17:12, 21 सितंबर 2017 (UTC)
:::::*पिछले बहुत दिनों से सक्रिय नहीं रह पाने के कारण मैं इस चर्चा से अलग चल रह आथा, किन्तु अभी इस चर्चा पर कुछ उड़ती दृष्टि डाली। इस सन्दर्भ में ये लिखना चाहूंगा कि एक शब्द होता है '''हमलावर''', जिसका अर्थ है हमला करने वाला। अब यहां ''वर'' प्रत्यय का प्रयोग किया गया है जो कि उर्दु (संभवतः फारसी मूल) से आया है। हिन्दी में आक्रमणकारी शब्द होता है। इस को ध्यान में रखते हुए हम शायद इस निष्कर्ष पर पहुंच पायें कि हमला हिन्दी मूल का हो, इसमें सन्देह है, किन्तु आक्रमण तो निश्चितरूप से हिन्दी का ही शब्द है।
:::::*एक शायद बेकार का तर्क ये भी है कि हमला छोटा व आक्रमण बड़े हमले के लिये प्रयोग होता है, किन्तु ये बेकार का ही तथ्य है।
::::: कई निजी समाचार टीवी चैनल्स पर उर्दु का अत्याधिक मिश्रण किया जाता है, जैसे आजतक पर विशेषरूप से शख़्स, आदि। अब अगली पीड़ी तो उसे पढ़ते पढ़ते हिन्दी चैनल के कारण इसे हिन्दी शब्द ही समझेंगे व उदाहरण के साथ तर्क भी देंगे।
::::: *एक सीधा सादा तरीका समाधान ढूंढने का ये भी हो सकता है कि हमला हिन्दी हो न हो, किन्तु आक्रमण पर सभी एकमत होंगे तो कम से कम आक्रमण पर आक्रमण न किया जाये व उसे रहने ही दिया जाये।(मेरे विचार में) [[User:आशीष भटनागर|<span style="text-shadow:#EE82EE 3px 3px 2px;"><font color="#0000FF"><b>आशीष भटनागर</b></font></span>]]<sup>[[User talk:आशीष भटनागर|<font color="#FF007F">वार्ता</font>]]</sup> 02:01, 23 सितंबर 2017 (UTC)
:: हम आशीष भटनागर के विचारों से सहमत हैं। --[[सदस्य:Teacher1943| ए० एल० मिश्र]] ([[सदस्य वार्ता:Teacher1943|वार्ता]]) 06:08, 23 सितंबर 2017 (UTC)
:: आशीष जी ने निःसंदेह अच्छे से समझाया। मेरे विचार से भी, हम सब एक मत से उनकी इस बात को समझ सकते है और मान सकते है। पूर्ण रूप से सहमत। [[सदस्य:Swapnil.Karambelkar|स्वप्निल करंबेलकर ]] ([[सदस्य वार्ता:Swapnil.Karambelkar|वार्ता]]) 06:15, 23 सितंबर 2017 (UTC)
::: उपर की चर्चा के प्रकाश में हमें हिन्दी विकि की शैली-मार्गदर्शिका का पुनर्निर्माण करना चाहिए। अन्य बातों के साथ इसमें नुक्ते के प्रश्न और 'प्रचलन' को कितना महत्व दिया जाय - इन दोनों से सम्बन्धित नीति होनी चाहिए। कौन निर्धारित करेगा कि एक शब्द, दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रचलित है? वर्तमान शैली-मार्गदर्शिका अत्यन्त एकांगी है और पढ़ने पर ऐसा लगेगा कि हिन्दी में विशेष रूप से नुक्ते की रक्षा के लिए रची गयी है।-- [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 07:42, 23 सितंबर 2017 (UTC)
:::: भाषा विज्ञान में यह एक स्थापित तथ्य है कि हिन्दी शब्दों के बहुत सारे मुख़्तलिफ़ मूल होते हैं। तद्भव, तत्सम, संस्कृत, प्राकृत, अरबी, तुर्कीयाई, फ़ारसी, द्रविड़, चीनी, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी, आदि। वैसे तो "हिन्दी" भी फ़ारसी/अरबी से लिया गया शब्द है, ज़रा बता दीजिए इसका संस्कृतकरण कैसे करेंगे आप लोग? हमारी सदियों पुरानी भाषा, ज़बान-ए हिन्द, हिन्दुस्तानी खाड़ीबोली यानि कि हिन्दी की इस बेइज़्ज़ती बन्द कीदिए अब।
:::: [[विकिपीडिया:लेखन शैली]] में साफ़ लिखा है कि '''"हिन्दी विकिपीडिया पर लेख रोजमर्रा की सामान्य हिन्दी अर्थात खड़ीबोली (हिन्दुस्तानी अथवा हिन्दी-उर्दू) में लिखे जाने चाहिये। हालाँकि तकनीकी तथा विशेष शब्दावली हेतु शुद्ध संस्कृतिनष्ठ हिन्दी के ही प्रयोग की संस्तुति की जाती है।"''' - यह सही शैली-मार्गदर्शिका है और विकी के सारे लिखने और पढ़ने वालों के लिए सबसे उत्तम है।
:::: इस ज़ाहिर सी बात को समझाने की ज़रूरत नहीं है कि "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" आदि सारे शब्द हिन्दी की आम शब्दावली में आते हैं, इनकी जगहों पर फ़ालतू संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल करना बेकार है। "आक्रमण", "उत्तरदायित्व", "द्राक्षा", "एवं", "किन्तु-परन्तु" जैसी शब्दावली हिन्दी की आम और प्रचलित बोलचाल की शब्दावली में कभी नहीं आते हैं। तकनीकी अवधारणाओं और उच्च शब्दावली के लिए '''हम उपयुक्त संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे''' लेकिन किसी राजनैतिक या धार्मिक कट्टरपंथी विचारधारा के लिए हमारी प्रचलित और आम शब्दावली का अनादर मत कीजिए। विकिपीडिया अपने मास संस्कृताइज़ेशन और सेफ़्रोनाइज़ेशन आन्दोलन चलाने के लिए जगह नहीं है। अगर आप लोग संस्कृत के इतने बड़े प्रेमी हैं, तो sa.wikipedia.org/ पर जाइए और ख़ूब लिखिए। हर भाषा अपनी प्रचलित शब्दावली का इस्तेमाल करना चाहिए, वैसे ही अगर हमें हिन्दी में लिखना है तो हम हिन्दी की प्रचलित शब्दावली की नज़रअंदाज़ी कैसे कर सकते हैं?
:::: सादर, --[[सदस्य:Salma Mahmoud|<font color="green">सलमा </font>]][[सदस्य वार्ता:सलमा महमूद|<font color="lime">महमूद</font>]] 22:33, 23 सितंबर 2017 (UTC)
:सलमा जी ने समस्या का मूल बता दिया, जो ये लेखन शैली नीति। इसमें बदलाव हो या तो विकि में निराश होकर लिखना छोड़ दें। ये सब अब नहीं।--<span style="color:gr।।e।।।।।en;">☆★</span>[[u:आर्यावर्त|<u><span style="color:red;">आर्यावर्त</span></u>]] ([[User talk:आर्यावर्त|<span style="color:green;">✉✉</span>]]) 03:23, 24 सितंबर 2017 (UTC)
:{{सुनो|Salma Mahmoud}}आप अपना '''आतंकवाद''' क्यों नहीं उर्दू विकि पर जा कर करती हैं? "फ़ालतू संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल करना बेकार है।" इस वाक्य से आपने आरम्भ किया तो अब मैं शान्त नहीं रहूंगा। महिला हैं, अतः इतना ही लिखा। महिला का सम्मान करते हुए मैंने सर्वदा आप से चर्चा की है। परन्तु आपको पहले चर्चा करने की शैली ज्ञात हो ये आवश्यकता है। जब भी आप से बात करते हैं, आप विषय को अन्यत्र ले जाती हैं, और अपमान जनक शब्दों का प्रयोग करती हैं। यहाँ चर्चा ये हो रही है कि, जैसे हमला शब्द का प्रयोग स्वतन्त्रता से उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि वो एक हिन्दी शब्द के रूप में गिना जाता है, तो हिन्दी शब्द के रूप में ही गिने जाने वाले आक्रमण शब्दो के प्रयोग पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया गया है? </br>
आपने कहा वो आतंकवादी नहीं है और सभी स्रोत कहते हैं, वो आतंकवादी थे। एक भी स्रोत ले कर आवें, जहाँ लिखा है कि वो आक्रमणकारी थे। आपने जितनी भी बातें कहीं, वो सभी पक्षपात से परिपूर्ण थीं। अपनी विचारधारा के समान आपकी चर्चा के अंश भी निर्मूल और पक्षपाती हैं। आप कदाचित् उन लोगों की अवगणना कर रही हैं, जो शुद्ध भाषा में बोलते हैं। कभी भोपाल जाएं और वहाँ की हिन्दी विश्वविद्यालय में देखें, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और इग्नू में भी हिन्दी का स्तर देखें। स्वयं निरक्षर लोग कक्षा में न जाकर जब शब्दों को केवल बातों के शब्दों से सिखते हैं, तो वो मेरेको, तेरेको, अपनको ही सिखते हैं। किसी भी भाषा के किसी भी तज्ज्ञ सें पुछें कि, '''क्या बोलने की भाषा और लिखने की भाषा में अन्तर होता हैं?''' उत्तर यदि सकारात्मक न हो, तो कहें। '''सर्वदा भाष्यमाणा भाषा और लेख्यमाना भाषा भिन्न भिन्न स्तरों पर होती हैं।''' क्योंकि लेखन को भाषण से अधिक प्राधान्यता मिलती हैं। आपकी बात नहीं कर रहा हूँ। परन्तु जो लोग सभ्य हैं, वो सोचकर और उचित अनुचित का निर्णय करके लिखते हैं, क्योंकि ये एक अभिलेख हो सकता है। </br>
यदि भाषा की दृष्टि से देखें, जो तर्क आप दे रही हैं, तो हमला और आक्रमण दोनों हिन्दी शब्द हैं। यदि कोई हमला शब्द, जो आपके ऐनक में अधिक बोला जाने वाला हिन्दी शब्द है, तो आक्रमण कोई हिन्दी से निष्कासित नहीं हो जाता। वो भी हिन्दी शब्द ही रहेगा, भले ही कल हमला शब्द भी अप्रचलित हो जाए और उसके स्थान पर कोई अन्य शब्द प्रचलित हो। जब दोनों शब्द हिन्दी हैं, तो आप केवल "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" इन शब्दों के प्रयोग पर ही कैसे पक्षपातपूर्ण रूप से विवश कर सकती हैं? यदि "हमला", "ज़िम्मेदारी", "अंगूर", "और", "लेकिन" इत्यादि शब्द उचित हिन्दी हैं, तो "आक्रमण", "दायित्व", "द्राक्षा", "परन्तु" इत्यादि अनुचित सिद्ध करें कि ये हिन्दी नहीं हैं। </br>
अब आपने जो लिखा है कि, '''तकनीकी अवधारणाओं और उच्च शब्दावली के लिए '''हम उपयुक्त संस्कृतनिष्ठ शब्दों का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे'''''' ये आपके शब्द स्मरण रखना और यदि विस्मृत हो जाएँ, तो चिन्ता न करें, मैं आपको इस चर्चा का सन्दर्भ दे कर स्मरण करवाउंगा। मैं इस के पश्चात् हिन्दी विकिपीडिया पर जितने भी इस प्रकार के नीतिगत पृष्ठ हैं, उनमें परिवर्तन का प्रकल्प आरंभ करूंगा। उस समय आप ये न कहना कि यहाँ भी बोलनें में आने वाले प्रसिद्ध शब्द ही होनें चाहिए, क्योंकि नीति सामान्य लोगो को पढ़नी है। जैसे एस.एम.7 जी प्रश्नों का उत्तर देनें से कतरा रहे हैं, आप भी मेरे प्रश्नों का उत्तर देनें से कतराना नहीं। यदि वास्तव में आपके लिये भाषा महत्त्वपूर्ण हैं और आप हिन्दी में प्रयुक्त होने (अधिक उपयोग होने वाले और न्यून उपयोग होनो वाले) सभी शब्दों को हिन्दी के अन्तर्भूत मानते हैं, (भाषा विज्ञान में यह एक स्थापित तथ्य है कि हिन्दी शब्दों के बहुत सारे मुख़्तलिफ़ मूल होते हैं। तद्भव, तत्सम, संस्कृत, प्राकृत, अरबी, तुर्कीयाई, फ़ारसी, द्रविड़, चीनी, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी, आदि। वैसे तो "हिन्दी" भी फ़ारसी/अरबी से लिया गया शब्द है) तो जैसे हमें ये चिन्ता नहीं कि आप लेकिन लिखें उत परन्तु, वैसे ही आपको भी चिन्ता नहीं होनी चाहिये कि सामने वाला परन्तु लिखें उत लेकिन। हिन्दी को अपनी राजनैतिक या धार्मिक कट्टरपंथी विचारधारा के आधार पर विभक्त न करें। विकिपीडिया अपना शाब्द-आतंकवाद और जिहादी आन्दोलन चलाने के लिए स्थान नहीं है। </br>
यदि आप चाहते हैं कि, आगे से हम केवल तर्कों और तथ्यों पर चर्चा करें, तो अपने शब्दों के चयन पर विचार करें। क्योंकि आपके प्रत्युत्तर के पश्चात् मैं भी उसी भाषा में प्रत्युत्तर दूंगा, जिसका प्रयोग आप करेंगें। आपने असभ्यता का आरम्भ किया था, तो आपको ही इसका अन्त करना होगा। यदि आप मुझे फिर से ऐसा कुछ लिखेंगे, तो मैं भी लिखूंगा। अस्तु। <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 04:08, 24 सितंबर 2017 (UTC)
: नेहाल जी फिर से अपने ज्ज़बातों में आकर गालियाँ दे रहे हैं। [https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_countries_by_number_of_Internet_users इंडिया के इंटरनेट यूज़रों की गिनती] पूरी अमरीका की आबादी से भी ज़्यादा है, लेकिन हिन्दी विकी पर सदस्यगण और लेखों की गिनती इतनी कम क्यों है? क्योंकि यहाँ पर उन बयालीस करोड़ से ज़्यादा लोगों की ज़बान की बेइज़्ज़ती हो रही है। अगर आम हिन्दुस्तानियों की बोली से प्रेम करना, और इसकी इज़्ज़त करना अब एक "जिहाद" है तो समझिए कि मैं मुजाहिद हूँ। अगर हिन्दी से इतनी नफ़रत है तो यहाँ से ज़रूर जाइएगा। इस सदियों पुरानी ज़बान की विकिपीडिया पर अपनी इस नई हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी [[भाषा शुद्धतावाद|लिंग्विस्टिक पियूरिज़्म]] विचारधारा का प्रचार मत कीजिए। <span style="color:#00B7EB;">"हमला हिन्दी मूल का हो, इसमें सन्देह है, किन्तु आक्रमण तो निश्चितरूप से हिन्दी का ही शब्द है।"</span> - इसी "तर्क" के मुताबिक़ शब्द "हिन्दी" भी "हिन्दी मूल" का नहीं है। यह भी भाषा विज्ञान द्वारा स्थापित तथ्य है कि हिन्दी और उर्दू एक ही भाषा है। मैने अभी आप लोगों को इस बात के बारे में समझाया कि हिन्दी की शब्दावली के विभिन्न स्रोत होते हैं। तो इस तर्कहीन, अवैज्ञानिक, अनपढ़ और मूर्खतापूर्ण प्रसाव पर हिन्दी विकी की लेखन शैली नीति का पुनर्निर्माण करना अनावश्यक है। लिखित रूप में खाड़ीबोली, हिन्दुस्तानी अथवा सामान्य हिन्दी का इस्तेमाल नेहाल डेव जी की इस नक़ली, बेकार में संस्कृतनिष्ठ भाषा से बहुत ही ज़्यादा आम है। तो सामान्य व प्रचलित हिन्दी शब्दावली का विकिपीडिया पर इस्तेमाल करना बिल्कुल ही जायज़ है। सादर, --[[सदस्य:Salma Mahmoud|<font color="green">सलमा </font>]][[सदस्य वार्ता:सलमा महमूद|<font color="lime">महमूद</font>]] 12:03, 24 सितंबर 2017 (UTC)
:: सलमा जी,
:: 'हिन्दी' का नाम लेकर आप हिन्दी के फारसीकरण का समर्थन कर रहीं हैं। दूसरों पर 'भगवाकरण' का आोप लगाकर पूरा हरा-काला करने का ही यत्न हो रहा है। आप 'हिन्दी के अपमान' का नाम लेकर वैसे ही आक्रमण कर रही हैं जैसे काश्मीर में आतंकी सेना की छद्मवर्दी में घुसकर आक्रमण करते हैं। पर यह बार-बार सफल नहीं हो सकता। जिसे आप 'हिन्दी' कह रहीं हैं उसे लोगों ने १०० वर्ष पहले ही समझ लिया था कि यह उर्दू-फारसी है, हम पर एक प्रकार की गुलामी लादी गयी है, इससे हमे मुक्ति पाना है- यह सब सोचकर एक आन्दोलन चलाया और सफल हुए। पिछले १५-२० वर्षों में कुछ लोगों ने 'सरलता' का नाम लेकर हिन्दी के क्रियोलीकरण की प्रक्रिया शुरू की। जिसका परिणाम यह दिख रहा है कि आपको 'आक्रमण', 'तथा', 'एवं', 'किन्तु' आदि शब्द कठिन लगने लगे हैं। सलमा जी, ये वे शब्द हैं जो पूरे भारत ही नहीं, पड़ोसी देशों में भी बोले समझे जाते हैं। 'हिन्दी' शब्द विदेशियों ने दिया तो क्या हुआ? अपने शब्द होते हुए भी हम विदेशी शब्द प्रयोग करेंगे? हिन्दी और उर्दू कितनी एक हैं और कितनी अलग है, सबको पता है। दोनों एक हैं तो दोनों के लिए अलग-अलग पुरस्कार क्यों है? कई राज्यों में हिन्दी प्रथम भाषा और उर्दू द्वितीय भाषा क्यों है? समय आने पर परायी भाषा को सभी देशों ने एकबार में या धीरे-धीरे हटाया है। तुर्की और बांगलादेश को देखिए। चीनी-जापानी कठिन कही जाती हैं लेकिन वे सरल शब्दों की खोज में सउदी-अरब तो नहीं जाते।- [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 13:37, 24 सितंबर 2017 (UTC)
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जिसे हम अप्रचलित शब्द कहते हैं, उनमें से कई सारे शब्द दूसरे भाषाओं में आम बोलचाल में उपयोग होते हैं और ऐसे शब्द जो अंग्रेजी का हिन्दी में अनुवाद के लिए बनाए गए हैं, वे सब सच में अप्रचलित ही हैं। क्योंकि उन्हें केवल हिन्दी में अनुवाद करने हेतु ही बनाया गया है। तो ऐसे शब्द आप लोग केवल पुस्तकों में ही देखेंगे, या हो सकता है कि कुछ लोग उसी शब्द को बोलते हों, पर अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले अधिकांश लोग उस शब्द से परिचित नहीं होते हैं, हालांकि ऐसे शब्दों को विकिपीडिया में आसानी से लिख सकते हैं। क्योंकि उनका कोई अन्य रूप हिन्दी के शब्द के रूप में प्रचलित नहीं है। समस्या केवल उन शब्दों में उत्पन्न हो जाती है, जिसका कोई और शब्द पहले से ही काफी प्रचलित हो।
: प्रचलित/अप्रचलित का मुद्दा आधारहीन है, इसका मापन सम्भव नहीं। कौन सा सिद्धान्त कहता है कि प्रचलित को ही लिखा जाएगा? यह तो भाषा संरक्षण की नीति के विरुद्ध है। यह नीति उन भषाओं का गला ही दबा देगी जो मरणासन्न हैं। यदि प्रचलित को ही लिखना होता तो वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग बनाने की आवश्यकता क्या थी? तकनीकी शब्द-निर्माण के लिए लगभग सभी सभ्य और आत्मसम्मानी देशों ने संस्थाएँ बनायी है। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
विद्यालयों में क ख ग वाली पुस्तकों में '''अं''' से अंगूर और '''द''' से दवात लिखा होता है। शुरू से हमें "अंगूर" शब्द ही हिन्दी में पढ़ाया जाता है, यदि अचानक हम उसे कुछ और कर देंगे तो किसी को अच्छा नहीं लगेगा। पढ़ाई में "अंगूर" शब्द ही प्रचलित है और लोग भी अंगूर शब्द से तुरंत समझ जाते हैं। द्राक्षा जैसा शब्द तो मैंने पहली बार यहीं सुना था।
: पहले आपने यह लिखा था कि 'द्राक्षासव' आपने सुना था किन्तु उसका अर्थ बहुत बाद में समझ आया था। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
आवश्यकता, दायित्व जैसे कई सारे शब्द तो हिन्दी माध्यम के पुस्तकों में रहते ही हैं और अंग्रेजी माध्यम में हिन्दी विषय में भी इसका उपयोग होता ही होगा। तो सभी को इसका अर्थ पता ही होगा, पर बातचीत में इन शब्दों का बहुत ही कम उपयोग है। फिर भी इनके उसे कोई समस्या नहीं है। पर समस्या ऐसे शब्दों से हो जाती है, जो हिन्दी माध्यम की पुस्तकों में होती ही नहीं है और उसका विकिपीडिया में उपयोग किया जाता है। अंगूर और खिड़की शब्द का उपयोग पुस्तकों में भी होता है और सामान्य बातचीत में भी बहुत उपयोग होता है। इसके अलावा फिल्मों में गानों में भी इसका उपयोग किया गया है।
: यह एक सुप्रसिद्ध तथ्य है कि लिखित भाषा, बोलचाल की भाषा से बहुत भिन्न होती है। इतना ही नहीं, विषय के अनुसार भाषा बदलनी पड़ती है। गणित की अपनी भाषा है, रसायन की अपनी भाषा है। दार्शनिक विषयों पर 'बॉलीवुड की भाषा' में नहीं लिखा जा सकता। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
कोई भी शब्द किसी एक माध्यम से प्रचलित नहीं हो सकता। विकिपीडिया में यदि हम अंगूर को द्राक्षा भी कर दें तो शायद अंगूर शब्द अप्रचलित हो जाये, पर द्राक्षा का प्रचलित होना मुश्किल है। पर अंगूर शब्द अप्रचलित हुआ तो उसका स्थान अंग्रेजी शब्द ही ले लेगा। वैसे भी धीरे धीरे अंग्रेजी के शब्द बहुत ही अधिक हो रहे हैं। फिल्मों से लेकर समाचार पत्रों में भी अंग्रेजी के शब्द अधिक हो रहे हैं। ऐसे समय में यदि हम किसी प्रचलित हिन्दी शब्द को हटा कर उसके स्थान पर दूसरे शब्द को लाने का प्रयास करेंगे तो इसका लाभ केवल अंग्रेजी के शब्द को ही मिलेगा। शायद हिन्दी में ढेर सारे अंग्रेजी शब्द के प्रचलित होने का कारण भी यही है कि हम उसे दूसरे भाषा का शब्द है बोल कर उसे अलग कर के दूसरे शब्दों को प्रचलित करने में समय व्यर्थ कर देते हैं। ऐसे सभी शब्दों में आज फिल्मों या समाचार पत्रों में ज्यादातर अंग्रेजी के शब्द ही आ गए हैं।
: ये 'वक्त-समय-टाइम' किसी का हाइपोथेसिस है, स्थापित सिद्धान्त नहीं। इस पर बहुत चर्चा हुई है। मैं इसे तर्कहीन मानता हूँ। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
: (सत्यम् मिश्र और हुञ्जाल एक ही व्यक्ति के दो अवतार तो नहीं??)
यदि हमें इन शब्दों का प्रचार भी करना है तो ऐसा प्रचार करना चाहिए कि पढ़ने वाले को बहुत ही आसानी से इन शब्दों का ज्ञान हो जाये। इस तरह से करना है कि जिसे इस के बारे में कुछ भी पता न हो, वो इस शब्द को देख कर याद रख सके।
वैसे यदि आप थोड़ा ध्यान से सोचेंगे तो आपको पता चलेगा कि आपको कई सारे अंग्रेजी शब्दों का ज्ञान है। शायद ऐसे शब्दों का भी ज्ञान है, जिसका हिन्दी अर्थ भी आपको पता नहीं होगा। पर इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि हमारे ही पाठ्यपुस्तकों में हिन्दी के साथ साथ अंग्रेजी नाम भी दिया होता है और हम अपने आप ही उन शब्दों को याद कर लेते हैं, जबकि हमारा उद्देश्य भी ऐसा नहीं होता है। केवल शब्दों के साथ रखने के कारण हिन्दी के अर्थ और परिभाषा के कारण ही हम उन शब्दों के अर्थ और परिभाषा को जान लेते है और किसी को न तो उसका ध्यान होता है और न ही वो उसे पढ़ने में अपना समय व्यर्थ करता है। ये सभी अपने आप ही हो जाता है। आप यदि उन शब्दों को फिर से देखोगे, तो आपको उसी समय उसका अर्थ समझ आ जाएगा क्योंकि उसे आप हिन्दी शब्द और परिभाषा के साथ ही देखे हो।
पर हम ऐसा शायद कभी नहीं कर सकते, क्योंकि हम उसके स्थान पर तो अंग्रेजी नाम ही लिख देते हैं, जिससे सभी को अर्थ पता चल सके या गूगल, बिंग आदि में पहले स्थान पर दिख सके, हालांकि लोग गूगल का अधिक उपयोग करते हैं और वो अपने आप ही हिन्दी चुने हुए लोगों के लिए अनुवाद कर के हिन्दी में ही परिणाम दिखा देता है और उस कारण हिन्दी विकिपीडिया का लेख ऊपर दिख जाता है। और जो लोग हिन्दी को परिणाम दिखाने के लिए नहीं चुने हैं, उन लोग चाहें तो हिन्दी में भी लिख लें, बहुत कम संभावना है कि हिन्दी विकिपीडिया का ऊपर दिखेगा। और यदि वे लोग अंग्रेजी में लिख दिये तो हिन्दी का कोई लेख तो दिखेगा ही नहीं, चाहे हिन्दी में कितना भी अंग्रेजी लिख लें।
हमें हिन्दी के शब्दों के लेखों में अंग्रेजी शब्दों को रखने की कोई जरूरत ही नहीं है, क्योंकि गूगल अपने आप ही उन शब्दों को खोजने से हिन्दी में हिन्दी विकिपीडिया के लेख को आगे ले आएगा और यदि कोई लेख में शब्द खोजने लगा तो उसे दूसरे भाषाओं की कड़ी में तो मिल ही जाएगा। वैसे यदि कोई विकिपीडिया में ही उस शब्द को ढूँढने लगे तो भी सन्दर्भ में एक भी जगह उसका अंग्रेजी शब्द हुआ तो उससे वो लेख मिल ही जाएगा।
: गूगल बिंग आदि की बात पता नहीं क्यों कर रहे हैं। यह अपने-आप में एक अलग विषय है। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
यदि कोई शब्द थोड़ा ही प्रचलित है तो उसके स्थान पर कोई और हिन्दी शब्द लिखने से भी चलेगा, पर जो शब्द पाठ्यपुस्तकों में भी रहता है, फिल्मों के गानों में भी उपयोग किया जाता है और सामान्य बातचीत में भी उपयोग किया जाता है, ऐसे शब्दों को हटाना ठीक नहीं है। पर यदि बाद में कोई हिन्दी शब्द उसके स्थान पर प्रचलित हो जाये तो उसे लिख सकते हैं। लेकिन तब तक ऐसा करना सही नहीं है। यदि "अंगूर" शब्द उर्दू में है तो ये और भी अच्छा है, क्योंकि इससे शब्द को प्रचलित रखने या और अधिक प्रचलित करने में बहुत आसानी होगी। पर दो अलग अलग शब्दों के चक्कर में ही हम रहे तो तीसरे अंग्रेजी शब्द को प्रचलित बनाने का ही कार्य करेंगे। हो सकता है कि कभी द्राक्षा शब्द भी प्रचलन में आ जाये, पर उससे यही होगा कि हिन्दी भाषी सोचेगा कि किस शब्द का उपयोग करूँ और किस शब्द का नहीं, और अंत में वो हो सकता है कि अंग्रेजी शब्द का उपयोग करने की सोचे। पर हम सभी "अंगूर" शब्द को ही प्रचलित बनाए रखने का प्रयास करें तो हिन्दी में हमेशा ही लोग "अंगूर" ही लिखेंगे और कोई उसके स्थान पर अंग्रेजी शब्द लिखने की सोचेगा ही नहीं।
वैसे किसी शब्द के प्रचार करने हेतु हमें केवल यही तरीका मिलता है कि उस लेख का नाम उस शब्द से बदल दिया जाये, पर एक ही माध्यम से इस तरह का प्रचार करने से ऐसे शब्द जो प्रचलन में नहीं हैं या कम हैं, उनके स्थान पर आसनी से उपयोग कर सकते हैं। शायद कम प्रचलित शब्दों को हटाने से कोई समस्या नहीं होगी। पर हमें पहले अंग्रेजी के शब्दों को हटाना पड़ेगा और नए आ रहे शब्दों को रोकना भी पड़ेगा। क्योंकि फारसी आदि भाषाओं से शब्दों का आना तो वैसे भी बंद हो गया है और नए शब्द आ भी नहीं सकते या आए भी तो किसी को समझ नहीं आएंगे, पर अंग्रेजी में ऐसा नहीं है। अभी अंग्रेजी के कई सारे शब्द हिन्दी में उपयोग हो रहे हैं पर ऐसे शब्दों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस कारण हमें पहले अंग्रेजी के शब्दों के बारे में सोचना चाहिए और उसका उचित अनुवाद और उसके स्थान पर ठीक तरीके से हिन्दी शब्दों का उपयोग करना चाहिए।
हिन्दी में लिखते समय कई बार दो या उससे अधिक शब्दों में से एक को चुनना पड़ता है। उसके कारण समस्या भी उत्पन्न हो जाती है और लिखने का काम धीमा हो जाता है। हिन्दी विकि में "श्रेणी" शब्द का ही उपयोग होता है। इस कारण सभी सक्रिय सदस्यों को इसका अर्थ पता होगा। लेकिन हम उसके जगह कोई और शब्द भी रख दें तो कुछ लोग भ्रम में रहेंगे कि श्रेणी का उपयोग करें या किसी और शब्द का उपयोग सही रहेगा। उसके बाद हो सकता है कि वे लोग अंग्रेजी के ही शब्द को लिखने लगें क्योंकि उन्हें "श्रेणी" शब्द ही याद नहीं रहेगा। दो या दो से अधिक शब्दों के किसी भाषा में उपयोग से दोनों ही शब्द कमजोर हो जाते हैं और उनका उपयोग लगभग आधा हो जाता है। यदि मान लें कि कोई शब्द पचास प्रतिशत प्रचलित है और कोई दूसरा शब्द भी उतना ही प्रतिशत प्रचलित है। तो कोई व्यक्ति यदि कुछ लिख रहा हो तो वो उन दोनों में से कौनसा शब्द उपयोग करेगा? वो यही देखेगा कि किस शब्द का उपयोग अधिक हो है और उसे ऐसा लगा कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो उस शब्द को समझ नहीं पाएंगे तो वो अपने लेख में उस शब्द के स्थान पर कोई सभी को समझ में आने लायक शब्द खोजेगा। पढ़ाई में तो वैसे भी अंग्रेजी पढ़ाया जाता ही है, चाहे आप हिन्दी माध्यम में भी क्यों न पढ़े हों। इस कारण वो इन दोनों शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी शब्द को चुन लेगा।
: '''दो या दो से अधिक शब्दों के किसी भाषा में उपयोग से दोनों ही शब्द कमजोर हो जाते हैं '''- सत्य से कोसों दूर है। सू्र्य के बीसों पर्याय हमें रटाए जाते थे। रामचरित मानस पढ़िए, पता चलेगा कितने पर्याय प्रयुक्त होते है। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
आप लोगों ने फुट डालो और राज करो की नीति के बारे में तो सुना ही होगा। शब्द भाषा की शक्ति होती है और जिस भाषा के जिस शब्द का अधिक उपयोग करें, वो उतना ही शक्तिशाली होता है। लेकिन दो या उससे अधिक शब्द के उपयोग करने से ये कुछ "फुट डालो और राज करो" की नीति के समान हो जाएगा। जिसके कारण शब्दों की शक्ति आधी या और कम हो जाएगी। इस कारण यदि हिन्दी में कोई एक शब्द प्रचलित है तो उसे ही उपयोग करना सही रहेगा।
फारसी आदि भाषाओं से जितने शब्द हिन्दी में आए हैं, उतने ही रहेंगे, अब उनकी संख्या नहीं बढ़ने वाली, पर हमें अंग्रेजी से आने वाले शब्दों को ही रोकना चाहिए, क्योंकि उसके कई सारे शब्द हिन्दी के प्रचलित शब्दों की जगह ले रहे हैं और उनके शब्द तो अभी भी आ रहे हैं। "रेडियो", "मोबाइल" जैसे शब्दों को रखने में कोई बुराई नहीं है, पर हॉरर, रिलीज़, स्टोरेज, जैसे कई सारे अंग्रेजी शब्दों को रोकना चाहिए। इस तरह के शब्दों को हम तभी रोक सकेंगे, यदि हम हिन्दी के वर्तमान प्रचलित शब्दों को ही प्रचलित करने और प्रचलन में बनाए रखने का प्रयास करें।
: कुछ विदेशी शब्दों को छोड़कर सभी को हटाना चाहिए- कुछ को तुरन्त, कुछ को समयबद्ध रूप में धीरे-धीरे। हिन्दी की घोषित नीति होनी चहिए कि उसे ऐसे शब्द अपनाने-बनाने हैं जिससे वह अन्य भारतीय भाषाओं के और भी निकट आ सके। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:57, 25 सितंबर 2017 (UTC)
हमें केवल प्रचलित शब्दों का ही उपयोग नहीं करना है। हम सभी हिन्दी के शब्दों के बारे में लेख में बता सकते हैं कि अंगूर को इन इन नामों से भी जाना जाता है। इस तरह से नाम बताएँगे तो उनके मन में कहीं न कहीं वो नाम तो रहेगा ही, जिससे हो सकता है कि भविष्य में "द्राक्षा" शब्द ही अंगूर से अधिक प्रचलित हो जाये, पर उसे प्रचलित करने के लिए पूरे लेख का नाम बदल देंगे तो दोनों शब्द अप्रचलित हो सकते हैं और ये भी हो सकता है कि लोग कारण विकिपीडिया में आना ही छोड़ दें कि इसके शब्द उन्हें समझ ही नहीं आते हैं। इसके साथ साथ ये भी हो सकता है कि उन्हें हिन्दी ही कठिन लगने लगे, क्योंकि उन्हें शब्दों का उतना ज्ञान ही नहीं हैं।
:-- नया कुछ नहीं है, पुनर्पुनरावृत्ति ।।।।।।।। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
यदि कोई बच्चा बचपन से अंगूर खाते हुए उसे अंगूर के ही नाम से जानता हो और बाद में उसे कहा जाये कि ये द्राक्षा है तो हम उसी समय अंगूर शब्द की शक्ति को दस प्रतिशत तक कम कर देंगे। उससे उस बच्चे को कभी लिखने कहा जाये कि ये इस फल का क्या नाम है तो वो सोचेगा फिर लिखेगा। जबकि उसे अंगूर शब्द ही पता होगा तो उसे सोचने की जरूरत भी नहीं होगा और वो तेजी से उस शब्द को लिख देगा। अंग्रेजी के शब्दों के कारण वैसे भी हिन्दी के शब्दों की शक्ति कमजोर हो रही है। ऐसे समय में यदि हम जानबूझ कर हिन्दी के प्रचलित शब्दों को मारने का प्रयास करें तो ये सच में शब्दों को मारना ही होगा। पर जिस शब्द के लिए आप उस शब्द को मारने की सोच रहे हैं, वो शब्द भी कोई उपयोग नहीं करेगा और उसके जगह अंग्रेजी के शब्द ही आ जाएँगे।
: पुनरावृत्ति [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
अंग्रेजी के शब्द दूसरे भाषाओं में उतने नहीं आए हैं और न ही उतने तेजी से आ रहे हैं। सिर्फ हिन्दी ही है, जिसमें इसके शब्द अन्य भाषाओं की तुलना में सबसे अधिक आ रहे हैं। इसका कारण भी हम ही लोग हैं, जो हिन्दी के प्रचलित शब्दों के स्थान पर अप्रचलित शब्द का उपयोग करते हैं। इसका दूसरा कारण भी इसी से जुड़ा है। हम शब्दों के अनुवाद में किसी एक शब्द का ही सही ढंग से उपयोग नहीं करते हैं। इस कारण किसी सॉफ्टवेयर या वेबसाइट का अनुवाद करें तो ऐसा लगता है जैसे वो शब्द किसी को समझ ही नहीं आएगा।
वैसे अनुवाद से ही एक और समस्या याद आई। हम लोग अनुवाद में एक ही शब्द का उपयोग कभी नहीं करते, खास तौर से दो अलग अलग अंग्रेजी शब्दों के लिए तो कभी नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि लिखना शब्द और टाइप शब्द अंग्रेजी में दोनों अलग अलग है। हम टाइप शब्द के लिए या तो टाइप शब्द ही उपयोग करते हैं या टंकण ही लिख देते हैं। पर चाहे हम कम्प्युटर में लिखें या किसी कागज में लिखें, लिख तो दोनों में ही रहे हैं, पर हम उसमें कभी "लिखना" शब्द का उपयोग नहीं करते हैं। अंग्रेजी में एप्लिकेशन शब्द का उपयोग आवेदन और अनुप्रयोग दोनों में उपयोग हो जाता है, फिर भी कोई समस्या उन्हें नहीं आती है। क्योंकि उन्हें पता है कि दोनों का अलग अलग जगह अलग अलग अर्थ होगा। वैसे ही कम्प्युटर में लिखने का अर्थ कम्प्युटर में टाइप करना ही होगा, पर हम उसके जगह टाइप या टंकण जैसे शब्द का उपयोग करते हैं। ऐसे में "लिखना" शब्द अप्रचलित तो नहीं होगा, लेकिन उसका इस शब्द के लिए भी उपयोग करने से वो काफी प्रचलित हो जाता और कम से कम "टंकण" शब्द से तो अच्छा ही रहता।
: अप्रसांगिक, सन्दर्भच्युत। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
हमें पढ़ाई से जुड़े लेखों के निर्माण करते समय इस पर ध्यान देना चाहिए कि लेख का नाम हिन्दी माध्यम के पुस्तकों के अनुसार हो, ताकि विद्यार्थी आसानी से उन शब्दों को खोज सकें। हिन्दी माध्यम में कोई भी पढ़ा हो तो उसे "अंगूर" शब्द पता ही होगा, पर कहीं द्राक्षा शब्द तो बताया ही नहीं गया है। पर्यायवाची शब्दों के बारे में पढ़ाते समय फूल, नदी, पानी, आकाश, धरती आदि के बारे में ही बताया जाता था, किसी फल के बारे में न तो बताया गया और न ही पुस्तकों में लिखा था। क्या इस शब्द का उपयोग किसी पढ़ाई के पुस्तकों में हो रहा है ? यदि नहीं हो रहा तो इसे "अंगूर" ही रखना उचित है। ताकि अंगूर शब्द को हम अत्यधिक प्रचलित कर सकें और कोई भी इसके स्थान पर अंग्रेजी शब्द लिखने की सोच भी न सके। पर ऐसा तभी होगा, जब हम सब मिल कर "अंगूर" शब्द का ही हर जगह उपयोग करेंगे। अंगूर शब्द का तो पुस्तकों में उपयोग तो होता ही है और कई फिल्मों में भी "अंगूर" शब्द का उपयोग हो ही रहा है। तो ऐसे में इस शब्द स्थान पर कोई और शब्द लिखना कहीं से भी उचित नहीं है। पर यदि किसी को अंग्रेजी शब्द से ही प्यार हो तो इसे वापस द्राक्षा कर दें, और कुछ साल बाद अंग्रेजी के शब्द के रूप में परिणाम देखने को मिल जाएँगे। हो सकता है कि उसके कुछ साल बाद कोई आकर इसे अंग्रेजी शब्द में लिखने की सोचे, क्योंकि "अंगूर" शब्द का उपयोग कम होने से यकीनन अंग्रेजी के शब्द को ताकत मिलेगी और उसका उपयोग और तेजी से होने लगेगा। आप लोग चाहें तो इसे द्राक्षा ही रखें, पर किसी भी जगह इन शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी के शब्द का उपयोग हुआ तो उसके दोषी आप ही लोग होंगे।
: पुनरावृत्ति ।।।। 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
अंगूर और द्राक्षा की बात समाप्त कर अब हमला और आक्रमण में आता हूँ। पहले से ही कई लेखों में हम लोगों ने "हमला" शब्द ही उपयोग किया है। इसी शब्द का उपयोग हिन्दी समाचार पत्रों में बहुत ज्यादा किया जाता है। गूगल या बिंग आदि में कोई घटना के बारे में खोजता तो उसे ___ हमला वाला सुझाव पहले दिखता, इस कारण वो उसी शब्द को खोजता, वैसे भी आक्रमण शब्द से हमला शब्द अधिक प्रचलित है। पर इसका ये अर्थ नहीं है कि आक्रमण शब्द लिखने से कोई समझ नहीं सकेगा। आक्रमण शब्द का उपयोग इतिहास के पुस्तकों में कई बार हुआ है और इस कारण कोई भी हिन्दी माध्यम का विद्यार्थी उस शब्द को बहुत ही आसानी से समझ सकता है। पर यहाँ मेरा उद्देश्य यही था कि हमला शब्द अधिक लोग खोजेंगे और उसका लाभ हिन्दी विकिपीडिया को अधिक लोगों के आने से मिलेगा। इसके अलावा पहले के कई लेखों में भी हम लोगों ने और पहले सक्रिय रहने वाले सदस्यों ने भी "हमला" शब्द का ही उपयोग किया है। यदि हम इस तरह के सभी घटनाओं में "हमला" शब्द ही उपयोग करें तो ये शब्द ही प्रचलित रहेगा और इसके स्थान पर कोई अंग्रेजी शब्द उपयोग करने की सोचेगा भी नहीं। पर हम ऐसे प्रचलित हिन्दी शब्दों का ही उपयोग नहीं करेंगे तो हम उसे अप्रचलित होने का कारण दे रहे हैं। इस तरह से ही शब्द अप्रचलित होते जाएँगे, जो अभी अन्य सभी शब्दों से भी अधिक प्रचलित है। हमला भी हिन्दी शब्द ही है। यदि न भी हो तो भी उसका लाभ हिन्दी को ही मिल रहा है, क्योंकि ये शब्द अंग्रेजी का नहीं है। वर्तमान समय में हमें केवल अंग्रेजी से ही खतरा है। बाकी दुनिया के किसी भी भाषा से हिन्दी को कोई खतरा नहीं है। पर इस तरह से प्रचलित हिन्दी शब्द को हटा कर उसके स्थान पर दूसरे हिन्दी शब्द का उपयोग हो तो पहले वाले शब्द की शक्ति थोड़ी न थोड़ी कम हो ही जाएगी, चाहे आप किसी एक लेख में भी इस तरह का बदलाव क्यों न करें, पर प्रभाव सभी जगह पड़ेगा ही, लेकिन इसका प्रभाव आपके इच्छा अनुसार न हो कर इससे अंग्रेजी शब्द को लाभ मिलेगा। आप चाहें तो "आक्रमण" शब्द को दो देशों के युद्ध के लेखों में उपयोग करें, उससे कोई भी आपको नहीं रोकेगा। उससे एक तरह से हिन्दी का विकास ही होगा, क्योंकि इस का अधिक से अधिक उपयोग वहीं मिलता है। इस तरह से दोनों शब्दों का अलग अलग जगह उपयोग करेंगे तो लोगों को शब्द चुनने में कोई समस्या नहीं होगी और लोग उन दोनों शब्दों को आसानी से समझ भी लेंगे। इस तरह से दोनों शब्दों का प्रचार हो सकता है।
आक्रमण शब्द इतिहास से जुड़े लेखों में उपयोग करना सबसे अच्छा रहेगा। पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों में इसका सबसे अधिक उपयोग "इतिहास" विषय के पुस्तक में मिलता है। "किसी देश ने किसी दूसरे देश के ऊपर आक्रमण कर दिया" इस तरह का बहुत सारा वाक्य आपको उस तरह के पुस्तकों में देखने को मिलेगा। एक तरह से इन दोनों शब्दों को अलग अलग जगह उपयोग करने के कारण अर्थ में इसी तरह का बदलाव भी हो गया है। इस कारण "आक्रमण" शब्द उस तरह लेखों में बहुत अच्छा लगता है। वहीं "हमला" शब्द का उपयोग समाचार वालों ने बहुत ज्यादा किया है, वो भी इस तरह के हमलों के लिए ही किया है। इस कारण इस तरह के घटनाओं के लिए "हमला" शब्द सबसे सटीक और उपयोगी रहेगा। वैसे कोई यदि इस घटना के बारे में खोजेगा और देखेगा कि सभी जगह हमला लिखा हुआ और केवल विकिपीडिया में ही "आक्रमण" लिखा हुआ है तो उसे अजीब लगेगा। मुझे यकीन है कि सभी को ये शब्द समझ में तो आ ही जाएगा, पर इस तरह के घटनाओं में "हमला" शब्द ज्यादा अच्छा रहेगा। केवल समझने में ही नहीं, बल्कि खोज परिणाम में भी इसका प्रभाव होगा। इससे देखने वाले तो अधिक आएंगे ही और साथ ही साथ इस शब्द का प्रचलन भी अधिक रहेगा। इस शब्द की जगह अंग्रेजी का शब्द न ले ले, इस कारण हमें इसके उपयोग में कभी कमी नहीं होने देना है। ताकि कई सालों बाद भी इस शब्द के बारे में सभी को पता रहे और ये प्रचलन में बना रहे।
शब्दों को प्रचलित करना काफी कठिन कार्य है, क्योंकि इसके लिए कई सारे माध्यमों की जरूरत होती है और प्रचार भी ऐसा करना होता है कि पढ़ने या सुनने वाले को अर्थ भी समझ आ जाये। यदि आप विज्ञापन देखते हो तो उसमें आपने जरूर देखा होगा कि कई बार हिन्दी शब्द के बाद अंग्रेजी शब्द बोल दिया जाता है। या साथ साथ उस शब्द को भी बोला जाता है। जिससे लोगों को अंग्रेजी शब्द भी समझ आ जाये और हिन्दी भी। एक तरह से जिसे हिन्दी शब्द न पता हो उसे पता चल सकता है, और जिसे अंग्रेजी शब्द न पता हो, उसे अंग्रेजी शब्द का पता चल जाता है। हो सकता है कि इस तरह से हिन्दी को लाभ मिलता हो, पर ज्यादातर तो ऐसे शब्द ही होते हैं, जिसे हिन्दी भाषी जानते हों और उसका अंग्रेजी नाम न पता हो, इस कारण अंग्रेजी शब्द का ही प्रचार हो जाता है। पता नहीं इस तरह के विज्ञापन का उद्देश्य क्या है, पर हमें तो एक ही शब्द का प्रचार है। ताकि वो शब्द कभी अप्रचलित न हो सके।
वैसे हमारी भाषा यदि अंग्रेजी से बच गई तो फिर कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि अंग्रेजी के शब्द ही अभी की सबसे बड़ी समस्या है। जिसका काफी हद तक कारण हिन्दी भाषी ही हैं। कई हिन्दी भाषी अपने बच्चों को हिन्दी माध्यम के विद्यालयों में नहीं पढ़ाते हैं। तो वे लोग कई सारे हिन्दी शब्द कभी समझ ही नहीं पाते हैं। ऐसे में कोई उस तरह से पढ़ा हिन्दी भाषी हिन्दी में योगदान करना भी चाहे तो उसे ऐसा ही लगेगा कि ये शब्द हिन्दी में होते ही नहीं या बहुत कम उपयोग होते हैं, इस कारण वो अंग्रेजी शब्द को ही प्रचलित मान लेता है। ठीक उसी प्रकार कई बार ऐसा होता है कि हम अंग्रेजी के प्रचलित शब्द को हटाने की कोशिश करते हैं, ऐसा कर तो सकते हैं, पर जब तक हर माध्यम से उस शब्द का प्रचार न हो, तब तक लोग उसे अप्रचलित ही मान लेंगे और विकि में किसी को आने का मन ही नहीं करेगा। क्योंकि उसे शब्द समझ ही नहीं आएंगे। पर हमें कोशिश यही करना है कि संज्ञा को छोड़ कर सभी का अनुवाद कर के ही डाल दें, क्योंकि संज्ञा का अनुवाद तभी सही रहता है, जब सभी को उसका दूसरा शब्द पता हो। अंग्रेजी शब्द का इस चर्चा से लेना देना नहीं है, पर एक तरह से अंग्रेजी के शब्द का ही इस चर्चा से अधिक लेना देना है। मैं बस इसमें यही बोल रहा हूँ कि संज्ञा शब्द यदि हिन्दी में न हो तो उसे अंग्रेजी में रख लेने में कोई बुराई नहीं है, जैसे, सर्वर, सीडी, आदि। पर हमें इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि बाकी सभी का अनुवाद होता ही है। यदि कोई शब्द न हो तो उसका परिभाषा के अनुसार अर्थ लिख सकते हैं। पर गैर-संज्ञा शब्दों को हिन्दी में ही लिखना चाहिए। पर ऐसा हम लोग नहीं करते हैं और कई गैर-संज्ञा शब्द को अंग्रेजी में ही लिख देते हैं और संज्ञा शब्द का अनुवाद करने लगते हैं। यदि किसी संज्ञा शब्द का हिन्दी में अर्थ न हो तो उसका उपयोग वैसे भी कम ही होगा। और आज के समय में कई लोग उसका पहले ही अंग्रेजी शब्द जान जाते हैं, इस कारण उसका अनुवाद करने से वो कठिन बन जाता है। अर्थात समझने में कठिन हो जाता है। वैसे जिसने भी ''विलेज पंप'' को गाँव का पंप आदि करने के स्थान पर चौपाल करने का सुझाव दिया था, उसने वाकई बहुत अच्छा कार्य किया है। हमें भी अनुवाद इसी तरह करना चाहिए। ठीक वैसे ही उपयोगकर्ता शब्द के स्थान पर सदस्य शब्द का उपयोग बहुत ही अच्छा है। एक तो सदस्य लिखना बहुत ही छोटा होता है और इस शब्द का उपयोग भी बहुत आसानी से होता है। हम इस शब्द का ''मेम्बर'' के लिए भी कर सकते हैं और ''यूज़र'' के लिए भी कर सकते हैं। इस कारण इस शब्द का प्रचार काफी अधिक हो है। इस कारण इसे प्रचलित रखने में हमें थोड़ा कम मेहनत करना पड़ेगा। हमें अपनी सोच इसी तरह बदलनी होगी और अंग्रेजी के शब्दों के लिए कोई नया शब्द ढूँढने के स्थान पर इसी तरह दूसरे शब्द का उपयोग करना चाहिए। जैसे टाइप के लिए भी "लिखना" और उपयोगकर्ता के लिए भी "सदस्य" शब्द का उपयोग।
: भारतीयों में एक गुप्त शक्ति है जो उन्हें अदम्य बनाती है। कितने सारे पुस्तकालय जला दिए गये फिर भी ३ करोड़ से अधिक संस्कृत पाण्डुलिपियाँ उन्होने बचा ली। दस-बीस वर्ष नहीं, हजारों वर्ष तक बचाये रखा। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
हमला और आक्रमण में से हम किसी एक ही शब्द का उपयोग नहीं कर सकते, क्योंकि दोनों ही किसी न किसी तरह से प्रचलित ही हैं। लेकिन आक्रमण शब्द किसी देश या साम्राज्य के मध्य युद्ध से जुड़ा है तो दूसरा "हमला" शब्द किसी पर भी चाकू से हमला करने को भी हम "हमला" कह सकते हैं। यदि हमें इन दोनों को प्रचलन में बनाए रखना है तो हमें इन दोनों का अलग अलग कार्यों में उपयोग करना चाहिए, ताकि लोग आसानी से तुरंत फैसला ले सकें और इन शब्दों का उपयोग कर सकें। पर "हमला" शब्द समाचारों में काफी प्रचलित है। इस कारण मेरी राय में इसे ही ___ हमला में उपयोग किया जाना चाहिए और "आक्रमण" शब्द दो देशों या साम्राज्य के मध्य लड़ाई में उपयोग होता है, तो उसे उसमें उपयोग करना ज्यादा अच्छा होगा।
: समाचार मुख्यतः 'श्रव्य-दृष्य' है, हिन्दी विकि पर 'लिखा' जाता है। दोनों की भाषा की अलग होगी। कोई नहीं मानेगा कि 'चाकू से हमला करना ठीक है' और 'चाकू से आक्रमण करना गलत'। किसी शब्दकोश में दिए अर्थ के अनुसार आपने लिखा हो तो कृपया उसका सन्दर्भ दीजिए।[[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
अब हमला और आक्रमण वाली बात से हट कर खिड़की और वातायन में आता हूँ। इसमें तो साफ है कि लोगों को खिड़की शब्द के बारे में अच्छी तरह जानकारी होगा ही। खिड़की नाम से एक धारावाहिक भी बना था। शायद पिछले कुछ वर्षों में ही प्रसारित हो चुका है। कुछ हिन्दी गानों में भी "खिड़की" शब्द का उपयोग हुआ है। इनमें कुछ नए फिल्म भी हैं। पुस्तकों में भी साफ साफ कई जगह केवल और केवल खिड़की शब्द का उपयोग हुआ है। इसे बदलने का तो कोई कारण ही नहीं था।
वैसे सलमा जी ने जब आक्रमण को हमला करने हेतु लेख के नाम परिवर्तन का अनुरोध किया था, तो वहाँ मैंने कई सारे समाचार सन्दर्भ दिये थे, कि इतने सारे समाचार स्रोत "हमला" शब्द का ही उपयोग कर रहे हैं। वैसे सभी समाचार स्रोत इसका उपयोग न भी करें, पर पिछले कई लेखों का नाम इसी अनुसार ही रखा गया है। इस बारे में भी मैंने कहा था। उस समय मुझे जल्दी थी कि "हमला" शब्द के उपयोग करने से पाठकों की संख्या में थोड़ी बढ़ोत्तरी होगी ही। पर उस दौरान आधे से अधिक समय तक उसका नाम आक्रमण ही रखा गया था, शायद उसके कारण जितने लोग आने थे, उससे थोड़े कम आए होंगे। वैसे आक्रमण शब्द तो प्रचलित ही है, लेकिन उसका इस तरह उपयोग नहीं किया गया है, इस कारण इस घटना को खोजने वाले भी "हमला" लिख कर ही खोजते या खोजेंगे।
: यह शुद्ध कपोलकल्पना है कि 'हमला' देखकर अधिक लोग हिन्दी विकी पर आयेंगे। हिन्दी विकी पर सामग्री खोजते हुए लोग आते हैं और निराश होकर लौटना पड़ता है- इसे ठीक करना होगा। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
वैसे हिन्दी विकिपीडिया में कुछ लेखों के नामों को बदलने से इस तरह के शब्द प्रचलित नहीं हो सकते, पर यकीनन इससे विकि पाठकों को अच्छा नहीं लगेगा, जो खिड़की वाला लेख देखने के लिए इसे खोलेंगे और नाम ही बिल्कुल अलग दिखेगा। मैंने ऊपर भी कहा है कि प्रचलित हिन्दी शब्दों के कमजोर होने से उसका लाभ पूरी तरह अंग्रेजी को ही मिलेगा। इस कारण इस लेख का नाम "खिड़की" ही रखना ठीक रहेगा, पर इसमें जानकारी के लिए आप "वातायन" लिख सकते हैं। ताकि लोगों को पता रहे कि इसे वातायन भी बोलते हैं।
पढ़ाई की पुस्तकों में इसे खिड़की के नाम से ही देखा हूँ, कहीं भी वातायन नहीं देखा। क्या आपके पढ़ाई के पुस्तक में "वातायन" नाम लिखा है ? वैसे बचपन से ही हिन्दी नाम के रूप में "खिड़की" शब्द ही बताया जाता है। इसे अचानक से "वातायन" करने से किसको अच्छा लगेगा? जबकि कई जगह इसी शब्द का उपयोग मिल रहा है।
यदि अंग्रेजों ने भी इस तरह से शब्दों को बदला होता तो बहुत से लोग इसका विरोध ही करते, पर उनके कार्य बहुत धीमे धीमे हुआ है। इस कारण कई सारे शब्द ऐसे हैं, जिसे हम जानते हुए भी उपयोग कर लेते हैं। हमें प्रचलित हिन्दी शब्दों से ही लेख का शीर्षक रखना चाहिए, ताकि लोगों को हिन्दी बहुत ही आसान लगे और अन्दर में उन शब्दों का उल्लेख करना चाहिए, जैसे अंगूर को द्राक्षा भी कहा जाता है।, खिड़की को वातायन भी कहा जाता है, आदि । इससे लोगों को धीरे धीरे ही इन शब्दों के बारे में पता चलेगा और हमें विकिपीडिया के साथ साथ दूसरे माध्यमों से भी इन शब्दों का प्रचार करना पड़ेगा, क्योंकि एक माध्यम से इसका प्रचार करेंगे तो प्रचार भी अच्छे से नहीं होगा और लोगों को अच्छा नहीं लगेगा।
बचपन से ही "अंगूर", "खिड़की" जैसे शब्द हिन्दी के ही बोले गए और पढ़ाई में भी इन शब्दों का उल्लेख था, ऐसे में उसे अचानक से बदलने से ऐसा लग रहा है जैसे मैं जिस हिन्दी को जानता हूँ और जिस कारण से विकिपीडिया में योगदान दे रहा, वो हिन्दी कोई और ही है।
अ़़ब़ ऩुक़़्त़ा क़ी ब़ा़त़, ज़ो श़ा़य़द क़िस़ी भ़ी ह़िऩ़्द़ी म़ाध़्य़म़ क़े व़िद्यार्थी को पता ही नहीं होगी और इसके कारण मेरे कुछ दोस्तों का दिमाग भी खराब हो जाता है। वैसे मुझे इसके बारे में विकिपीडिया में आने से पहले कुछ पता ही नहीं था और न ही इसका उच्चारण पता है। पढ़ाये जाने वाले किसी भी पुस्तक में मैंने एक भी नुक्ता नहीं देखा। पता नहीं विकिपीडिया में पढ़ाई से जुड़े लेखों में भी नुक्ते का इतना उपयोग क्यों होता है। पर मुझे इससे अभी तो कोई समस्या नहीं है, पर कुछ फॉन्ट में नुक्ते के कारण अक्षर समझ ही नहीं आते थे, उसे बदलने के बाद ही मैं नुक्ते वाले अक्षरों को समझ पाया। खास कर ऐसे शब्द जिसमें नुक्ता भी हो और तिरछा किया गया हो, वो तो बिल्कुल कोई अलग शब्द ही लगने लगता है। इसके अलावा एक और समस्या दो अलग अलग नुक्ते में है।
नुक्ते़ अ़ल़ग़ अ़ल़ग़ भ़ी ह़ोत़े है़ं, इ़स़क़ा प़त़ा़ भ़ी़ क़ई़ स़म़य़ क़े ब़ा़द प़त़ा च़ल़ा। जै़से फ़ = फ़, ज़ = ज़ दोनों ओ़़ऱ नु़क़्त़े है़ं, ल़ेक़िऩ द़ोऩों ए़क़ ऩह़ीं ह़ै। इ़स़क़े क़ाऱण़ ख़ोज़ऩे मे़ं और कड़ी जोड़ने में समस्या उत्पन्न होती है और कई बार एक से अधिक लेख भी बन जाता है। इसके कारण कुछ अन्य जगहों पर भी समस्या उत्पन्न हो गई है। खास कर लिखने वाले वेबसाइट में, जिसमें हिन्दी में कितने तेज लिख सकते हो, वो पता चलता है। वो सब ठीक से काम ही नहीं करता है। उसका कारण भी नुक्ता ही है। दो अलग अलग तरह के नुक्ते के कारण आप आसानी से लिख ही नहीं सकते। मैंने उन सभी को इस समस्या को हल करने लिए ईमेल भी किया था, पर एक का ही जवाब आया और वे भी समस्या को समझ नहीं पा रहे। चाहें तो पूरे विकि से नुक्ते को न हटाएँ, पर पढ़ाई से जुड़े लेखों में नुक्ते को रखना ठीक नहीं है, क्योंकि पुस्तकों में नुक्ते का उपयोग नहीं किया जाता है और शायद किसी भी हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी को नुक्ते के बारे में पता नहीं होगा । यदि वो किसी अन्य माध्यम से इसकी जानकारी प्राप्त न किया हो। वैसे इनपुट टूल के कारण नुक्ता डालने में कोई समस्या नहीं आती है। पर इनस्क्रिप्ट उपयोग करने वालों को व्यर्थ में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पूरे विकिपीडिया से हटाएँ या न हटाएँ, पर मुझे लगता है कि इसे उन सभी लेखों से हटा देना ही सही होगा, जो पढ़ाई से जुड़े हैं। रसायन, भूगोल, गणित, विज्ञान आदि से। वैसे पूरे जगह से नुक्ता हटा भी दें तो एक नई समस्या उत्पन्न हो जाएगी। लगभग सभी इनपुट टूल जैसे गूगल या माइक्रोसॉफ़्ट इनपुट टूल में अपने आप ही कई जगह नुक्ता आ जाता है। तो नुक्ता वाले लेख तो लोग बना ही लेंगे और खोजने वाले नुक्ते के साथ भी खोज सकते हैं।
अंकों के बारे में हम लोगों ने पहले भी बहुत सी चर्चाओं में चर्चा किए हैं। शायद सभी का यही निर्णय निकला था कि लेखों में जो अंक पहले से है, उसे ही पूरे लेख में रखा जाये। उसे बदला न जाये। वैसे इसका एक और हल भी है, पूरी तरह उपयोग तो नहीं कर सकते पर उसका लाभ जरूर होगा। हम लेखों में जितना हो सके, उतने जगहों पर संख्या को अंकों के स्थान पर शब्दों में लिख सकते हैं। जैसे आठ लोगों की मौत, तीन लोग डूब कर मर गए, या उन्नीस लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत आदि। कुछ लोग जो अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करते हैं, वे लोग अंकों को अंग्रेजी में ही बोल देते हैं। इस समस्या का हल भी इसी से हो जाएगा। इससे उन लोगों को शब्द याद रहेगा और हमें भी अंकों के बारे में उतना सोचना नहीं पड़ेगा।
: संख्यासूचक शब्दों को अंकों में लिखा जाय या शब्दों में? - इस सम्बन्ध में एक अच्छी नीति हमे बतायी गयी थी। साहित्य आदि लिखते समय शब्दों का करें ( आठ पहर लिखिए, ८ पहर नहीं।) गणित, विज्ञान आदि में अधिक से अधिक अंकों का प्रयोग करना चाहिए। इतिहास में भी तिथियाँ आदि अंकों में लिखी जानी चाहिए ( भारत सन् १९४७ में स्वतन्त्र हुआ। )[[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
ऊपर की सारी चर्चाओं को देख कर ऐसा लगता है कि हमें हर परियोजना हेतु शब्दावली का निर्माण करना चाहिए और उन्हीं शब्दों का उपयोग लेखों में करना चाहिए। जैसे विकिपरियोजना फिल्म में फिल्म में उपयोग होने वाले सभी शब्दों का उसके अर्थ के साथ सूची रहेगा, जिससे कोई भी सदस्य आसानी से उन सूचियों से देख कर नाम लिख लेगा, इससे इस तरह की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी और साथ ही साथ इससे हिन्दी के शब्दों का प्रचार भी काफी अच्छे से हो सकता है। इसका सबसे बड़ा लाभ उस विषय पर लिखने वाले सदस्यों को होगा और वो भी कोई नया सदस्य या जो उस विषय पर पहली बार लिख रहा हो।
प्रथम विश्व युद्ध या पहला विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध या दूसरा विश्व युद्ध में तो प्रथम और द्वितीय रखने में क्या समस्या हो सकती है ये तो समझ नहीं आ रहा, पर पाठ्यपुस्तकों में तो प्रथम और द्वितीय शब्द का बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है। इतिहास में प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध लिखा रहता है।
मैं जब क्रिकेट से जुड़ा लेख बना रहा था तो मुझे ऐसा लगा कि कोई एक शब्दावली हर परियोजना में होनी चाहिए, जिसे देख कर आसानी से अनुवाद किया जा सके। जब गूगल से अनुवाद करते हैं तो उसमें कई बार सही शब्द नहीं आता है या अर्थ ही नहीं दिखाता है, इस कारण मजबूरी में अंग्रेजी शब्द का ही उपयोग कर लेते हैं। पर शब्दावली रहेगा तो तुरंत कोई भी उसका हिन्दी अर्थ लिख देगा। हो सकता है कि इससे कई लोगों को अनुवादक की जरूरत भी न पड़े। हिन्दी के शब्दों का प्रचार करने और विवादों को दूर रखने में ये उपयोगी सिद्ध होगा। पर इसका निर्माण सभी से पूछ कर और सभी की सहमति से ही करना चाहिए। इस बात का भी ख्याल रखना पड़ेगा कि अलग अलग परियोजनाओं में अलग अलग तरह के शब्दों का उपयोग होता है। जैसे विकिपीडिया में हम ''रिवियू'' को पुनरीक्षण लिखते हैं और अन्य जगहों में "समीक्षा" लिखते हैं।
: एक ही शब्द के अलग-अलग सन्दर्भों में अलग-अलग अर्थ होते ही हैं। 'कम्प्लेक्स नम्बर' और 'फ्युएल कम्प्लेक्स' और 'इनफेरिआरिटी कम्प्लेक्स' में 'कम्प्लेक्स' का अर्थ समान नहीं है। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 17:53, 25 सितंबर 2017 (UTC)
इसके अलावा मुझे लगता है कि हमें शब्दों के साथ साथ अनुवाद विकि पर भी ध्यान देना चाहिए, उसके लिए भी हमें एक परियोजना का निर्माण करना चाहिए, जिसमें हम सभी मिल कर शब्दों को चुन कर सूची का निर्माण कर सकें। कई बार वहाँ लोग ऐसे शब्द लिख देते हैं, जो दूसरे में कुछ और व तीसरे में कुछ और होती है। सबसे ज्यादा पुनरीक्षण शब्द को समीक्षा लिख दिया जाता है। हटाने के शब्द को निकालें या अवरोध वाले शब्द को बार बार ब्लॉक लिख देते हैं। प्रतिबंध और अवरोध को भी इधर उधर कर के लिखा गया है। उसमें कई सारे शब्द में मात्रा त्रुटि भी है और कई में व्याकरण त्रुटि भी है। इस कारण हमें इस परियोजना की आवश्यकता है, जिससे इस तरह के अनुवादों को उसी समय सुधार कर लिया जाये और सभी जगह एक ही शब्द लिख रहे।
हिन्दी विकिपीडिया में कई सारे अनुवाद अनुवादविकि के अनुवाद से अलग हैं, इस कारण कई सारे गलत अनुवाद दिखाई नहीं दे रहे हैं, कुछ दूसरे एक्स्टेंसन में भी कई लोगों ने खराब अनुवाद किए हैं। उन्हें भी ठीक करना पड़ेगा। पर उन सभी को ठीक करने से पूर्व हमें इस नई परियोजना का निर्माण करना पड़ेगा, जिससे शब्दों को चुनने में हमें कोई परेशानी न हो और कोई दूसरा सदस्य यदि कोई उल्टा सीधा अनुवाद कर दे तो हम उसे शब्दावली दिखा सकते हैं। पर अभी कोई दूसरे शब्द को सही बोले तो हम कुछ नहीं कर सकते। वैसे कई लोग वहाँ पृष्ठ, पन्ना, पेज, तीनों को ही लिख देते हैं। इस तरह की समस्या भी दूर हो जाएगी। --[[स:स|स]] ([[सवा:स|वार्ता]]) 17:01, 24 सितंबर 2017 (UTC)
{{ping|अनुनाद सिंह}} जी, दो दिनों के लिए विकिपीडिया पर नहीं था न ही आपने मेरी अंतिम टिप्पणी पर कोई टिप्पणी की। ऊपर इस लंबी टिप्पणी के लेखक "सदस्य:स" जी हैं। आपके कुछ वाक्यों से ऐसा लग रहा जैसे इसे आप मेरी टिप्पणी समझ बैठे। स जी की उपरोक्त बातों में कई से सहमत और कई से असहमत हूँ और समय मिलते ही लिखूँगा। बस एक चीज नहीं समझ में आई, आप हर उस व्यक्ति को हुन्जजल का अवतार क्यों घोषित करने लगते जिससे आपकी असहमति हो? क्या आपको मालुम नहीं कि कठपुतली होना एक गंभीर ग़लती है और केवल संदेह के आधार पर किसी पर इसका आरोप लगाना भी? मेरे खाते पर हुंजाजल की कठपुतली होने का संदेह व्यक्त करके क्या साबित करना चाह रहे?--[[User:SM7|<font color="#00A300">SM7</font>]]<sup><small>[[User talk:SM7|<font color="#6F00FF">--बातचीत--</font>]]</small></sup> 10:13, 26 सितंबर 2017 (UTC)
::{{ping|SM7}} तीनों के विचारों में, भाषा में, शैली में इतनी अधिक समानता है कि मन तीनों को अलग मानने को तैयार ही नहीं होता। भारत में लभ जिहाद चल सकता है तो हिन्दी विकि पर क्यों नहीं? - [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 13:14, 26 सितंबर 2017 (UTC)
:::{{सुनो|अनुनाद सिंह|SM7|स}} नेहल जी से मेरी व्यक्तिगत बातचीत हो गयी है और वो इस मुद्दे को इतना तूल देने के समर्थन में नहीं हैं। उनके हिंदुस्तानवासी जी और SM7 जी से कुछ छोटे विवाद (असहमतियाँ) हैं जिन्हें बहुत आसानी से सुलझा लिया जायेगा। इस पर इस तरह की लम्बी वार्ता और आपस में कठपुतली कहना शोभा नहीं देता। मुझे स जी, SM7 जी और Hunnjazal जी की शैली, भाषा और विचार अलग-अलग लगते हैं। कई बार देखने के नज़रिये से भी समानता दिखाई दे सकती है जैसे हम सभी हिन्दी विकि के योगदानकर्त्ता हैं और हिन्दी भाषा अपनी समानता को प्रदर्शित करती है। अतः मेरा अनुरोध है कि आप सभी लोग, कृपया अपनी गलतियाँ स्वीकार करके (यदि आपको नहीं लगता कि आपने गलती की है तो भी क्षमा माँग सकते हो) विवाद का अन्त करें। इस विवाद के समय को विकि-विकास में लगायें।<span style="color:green;">☆★</span>[[u:संजीव कुमार|<u><span style="color:Magenta;">संजीव कुमार</span></u>]] ([[User talk:संजीव कुमार|<span style="color:blue;">✉✉</span>]]) 18:11, 26 सितंबर 2017 (UTC)
{{सुनिए|अनुनाद सिंह}} जी, आपके द्वारा प्रस्तुत किये गए संदेह को मैंने [[विकिपीडिया:प्रबंधक सूचनापट|सूचनापट]] पर रख दिया है और आशा करता हूँ इसका निर्णय बाकी के प्रबंधकगण करेंगे। आपसे उमीद करता हूँ कि आप नेहल जी के दायित्व छोड़ने के निर्णय पर चर्चा आगे बढ़ायेंगे। उक्त निर्णय में यदि भाषा शैली और/अथवा किसी अन्य नीतिगत प्रश्न पर निर्णय आप पहले आवश्यक समझते हों (अथवा कोई अन्य सदस्य आवश्यक समझता हो) तो कृपया अपने विचार स्पष्ट रूप से प्रस्ताव के रूप में लिखें। यदि किसी को पहले उन विवादों पर निर्णय सुनाना आवश्यक लगता हो जिनके कारण आदरणीय नेहल जी ने अपने अधिकार त्याग की चर्चा आरंभ की तो कृपया उसे अलग और स्पष्ट अनुभाग में लिखें और सबकी राय लें।
:{{सुनिए|SM7}} जी, प्रबन्धक सूचनापट्ट पर आप के सन्देश को मैने पढ़ लिया है। संजीव कुमार जी ने संक्षेप में अपने विचार भी रख दिये हैं। आप और हुञ्जाल जी हिन्दी के प्रबन्धक हैं। क्या आपको नहीं लगता कि शंका को निर्मूल करने का सबसे अच्छा तरीक यह होता कि आप दो कदम और आगे जाकर अपना चेक यूजर कराने का प्रस्ताव स्वयं देते? हिन्दी विकी पर कठपुतली के इतिहास में हुञ्जाल जी का नाम भी '''अंकित''' है। [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 04:08, 27 सितंबर 2017 (UTC)
::{{सुनिए|अनुनाद सिंह}} जी, जो तरीका मुझे सबसे अच्छा लगा वही किया है। विकि के इतिहास में या तो आप जैसे इतिहासी लोगों को रूचि है या विवाद प्रेमी जनता को जिसे इतिहास का उद्धरण देना प्रिय है, मेरी कोई रूचि नहीं। हुन्जजल जी अब प्रबंधक नहीं हैं। मैं हूँ, परन्तु मैं बतौर प्रबंधक शायद इस मामले में कुछ नहीं कर सकता। थोड़ा धैर्य रखिये, बाक़ी प्रबंधकों पर भी विश्वास न हो तो ये दो क़दम का फ़ासला आप ख़ुद भी तय कर सकते हैं, आशा करता हूँ इतना चलने के लिए तो तैयार ही होंगे जो यह आरोप लगाया है। --[[User:SM7|<font color="#00A300">SM7</font>]]<sup><small>[[User talk:SM7|<font color="#6F00FF">--बातचीत--</font>]]</small></sup> 18:45, 27 सितंबर 2017 (UTC)
::: {{सुनिए|SM7}}जी, आश्चर्य है कि इतिहास से सहसा घृणा हो गयी, वैराग्य आ गया। क्या नैतिकता की सारी बातें इतिहास हो गयीं? आपको पता है कि सोने को आग से डर नहीं लगता क्योंकि आग में जाकर सोना शुद्धतर होकर निकलता है। एक प्रबन्धक अपनी जाँच से डरे तो जनता में क्या सन्देश जाएगा?
@अन्य सदस्य -- यह अनुभाग मुझसे प्रश्न के रूप में लिखा गया था। जो मेरे वार्ता पन्ने पे किया जाना चाहिए था। अनुरोध करने पर वहाँ भी लिखा गया और पहले उन प्रश्नों का उत्तर माँगा जा रहा जिनकी वज़ह से आदरणीय नेहल जी को यहाँ आना पड़ा। मेरे उत्तर देने के विलम्ब को "कतराना" कहा गया। स्पष्ट कर दूँ कि जिन बातों पर मुझसे प्रश्न पूछा जा रहा उनका उत्तर मैं अभी कदापि नहीं दूँगा। कारण भी बता देता हूँ, मेरी स्पष्ट राय है कि विवाद पर चर्चा करने हेतु दायित्व छोड़ने का प्रस्ताव रखा गया है। जब तक इसका निर्णय नहीं होता किसी ऐसे विवाद पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूँगा जिसे पहले ही सामान्य रूप से सुलझाया जा सकता था। नेहल जी (और एक और मित्र ने जाने की धमकी दी है) की कार्यशैली देखते हुए ही इस नतीज़े पे पहुँचा हूँ कि ये लोग मात्र ध्यानाकर्षण हेतु ऐसे मुद्दे इस रूप में उछालते है। यकीन न हो तो कृपया इसी पन्ने पे ऊपर देखें, (छोटा सा उदाहरण दे रहा) नेहल जी ने एक लेख को निर्वाचित घोषित कर दिया क्योंकि ''"मेरा ये करने का उद्देश ये था कि कोई तो आगे आये और इस विषय पर चर्चा करे।"'' और विकीतर वाट्स एप समूह में इसे "बम फोड़ने" की संज्ञा भी दी थी (क्षमा प्रार्थी हूँ अनौपचारिक समूह की बात लिखने के लिए)।
उक्त तरीकों से शहीद बनने और त्याग की भावना (दायित्व त्याग) दिखाने का प्रयास ये लोग कर रहे -- और माननीय अनुनाद जी का कहना है कि पवित्र युद्ध में भाग लेने वाले (जिहादी) हम हैं। ख़ुद ये लोग टीम बना कर विकिपीडिया को पवित्र करने का अभियान चला रहे और आरोप हमपे कि हम जिहाद कर रहे। खिड़की को वातायन किया जा रहा कि यह शुद्ध किया जा रहा, और टोको तो हम जा रहे, तुम हमें छोड़ने पे मजबूर कर रहे इसलिए खलनायक हुए। सामने वाले को निन्दित करने का बेहतरीन तरीका खोजा है। आरोप लगा दो, ख़ुद अच्छे साबित हो गए।
कृपया सदस्यगण इस तरह के आरोपों पर चर्चा करें और ऐसी प्रवृत्ति का उपचार सुझाएँ। --[[User:SM7|<font color="#00A300">SM7</font>]]<sup><small>[[User talk:SM7|<font color="#6F00FF">--बातचीत--</font>]]</small></sup> 19:57, 26 सितंबर 2017 (UTC)
: एक समय था जब हिन्दुस्तानीलेन्गुएज और हिन्दुस्थानवासी को एक समझा जाता था। फिर शनैः शनैः वो भ्रम दूर होता गया। अभी कुछ दिनों पूर्व की ही बात है, जब किसी पुरातन सदस्य का नाम ले कर कठपुतलि लेखा बनाई गयी थी, जिससे प्रबन्धक के लिये नामांकन किया और पुनरीक्षक पद के लिये भी आवदेन किया गया था। व्यवहार पर शंका करना और उसको व्यक्त करना अत्यावश्यक है। फिर वो असत्य या सत्य सिद्ध हो तो किसी की जय या पराजय नहीं होती, अपि तु समुदाय का हित होता है। अतः इसे आप अपनी प्रतिष्ठा का विषय न बनाएँ। <br/>
"कतराना" शब्द आज भी उचित है और निर्वाचित लेख के समय भी उचित ही था। विकिपीडिया पर स्वान्तः सुखाय कार्य होता है और कभी कभी निष्क्रिय होना भी अत्यन्त लाभकारी होता है। इस नीति का '''प्रबन्धकगण''' अनुचित लाभ ले रहे हैं। जब किसी चर्चा पर मत देने की बात आती है या निर्णय करने की बात आती है, तो जानकर या तो निष्क्रिय हो जोते हैं या अन्य बात करते हैं। अभी तो आपके द्वारा दो दिन ही विलम्ब से उत्तर (नहीं) दिया गया। परन्तु निर्वाचित लेख के समय तो बहुत दिन हो चुके थे। अब पुछा जाये तो अन्य ही कारण मिलेगा। <br>
आपको जो प्रश्न किये हैं, वे आपको किसी सदस्य के रूप में पुछे नहीं गये। वे प्रश्न प्रबन्धक के रूप में आप से किये गये हैं। अतः अपने दायित्व से भागने का प्रयास न करें। आपकी प्रथम टिप्पणी से मैं देख रहा हूँ कि आप बात को घुमा रहे हैं। फिर भी मैं आप जैसे चाहते हैं, वैसे करने का प्रयास कर रहा हूँ। इसलिये नहीं कि मुझे किसी को अनुचित सिद्ध करना है। इसलिये कि मुझे समस्या का समाधान चाहिए। परन्तु प्रबन्धक के रूप में आप समाधान करने के स्थान पर पहले क्यों नहीं किया? अधिकार की आड क्यों ली? यहाँ क्यों लिखा? अमुक लेख का शीर्षक क्यों बदला? इत्यादि प्रतिप्रश्न कर विवाद को बढा रहे हैं। वास्तव में यदि आप निष्पक्ष हैं और हिन्दी की एक शैली के प्रति पक्षपाती नहीं, तो अपना मत प्रस्थापित करने से बचते (कतराते) क्यों दिख रहे हैं? <br>
बम फोड़ना शब्द प्रयोग कोई अनुचित नहीं था। क्योंकि यही वास्तविकता है कि, जब सब से मत मांगा जाता है, तब कुछ लोग निष्क्रियता का आवरण ले लेते हैं। फिर जैसे निर्णय अन्तिम चरम पर होता है, तो विवाद उत्पन्न किया जाता है। क्या एक प्रबन्धक के रूप में आपको पता नहीं था कि उस लेख के सन्दर्भ में क्या समस्या चल रही थी? अब आप कहेंगे मेरा ध्यान नहीं था। परन्तु खिड़की का वातायन होने पर आपका ध्यान है और इतना विशाल विवाद आपके ध्यान में नहीं था? या आप प्रतीक्षा कर रहे थे कि देखते हैं मेरे विचार के अनुरूप निर्णय हो तो उचित है, अन्यथा मैं कूद पडूंगा। कौन प्रबन्धक बनेगा और किसको अमुक अधिकार मिलेंगे ये नेपथ्य में ही निश्चित हो जाता है। ये व्यक्ति ? इसने तो उस दिन मुझ से अमुक प्रश्न किये थे। ये नहीं। वो? हाँ वो अच्छा है। उसने उस समय अच्छा तर्क दिया था (जो मेरे अनुकूल था)। इसे आगे बढाते हैं। <br>
नेपथ्य में विवाद के समाधान पर कार्य करना कोई अनुचित कार्य नहीं है। सब चाहते थे कि निर्वाचित लेख पर कोई अपना मत देवें। परन्तु जिनके पास ये क्षमता थी वो अघोषित रूप से अपने दायित्व से भाग रहे थे और अपने अधिकारों का अवलम्बन (आड) लेकर अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। वो अधिकार के अवलम्बन में चर्चा न करना यदि उचित है, तो मेरा अधिकार त्यागने की बात कर चर्चा करवाना भी उचित ही है। वास्तव में ये आरोप ही है कि मैंने अधिकारों के अवलम्बन में चर्चा करवाई। फिर भी उसका समाधान ये है कि, चाहे इस चर्चा का निर्णय पक्ष में या विपक्ष में आये मैं ये अधिकार त्याग दूंगा। इस वाक्य से मेरी मन्शा स्पष्ट है। द्राक्षा, वातायान इत्यादि की जो बात है, वो मैं स्वीकार करता हूँ। वहाँ स्थिति ये थी कि, मैंने अधिक शुद्ध शब्दों के प्रयोग का सोचा। क्योंकि समाज में स्थानप्राप्त शब्दों को तो सब जानते ही हैं। वो खोजेंगे तो अनुप्रेषण के माध्यम से वो खोज ही लेंगे। परन्तु उनको वास्तविक शब्द नहीं पता चलेगा। उदा.। खिड़की सब उपयोग सब करते हैं, तो उसे खोजा ही जाएगा। अतः उसको कोई समस्या नहीं है। परन्तु उससे किसी को वातायन शब्द का ज्ञान नहीं होगा। यदि हम खड़की को अनुप्रेषित कर वातायन की ओर भेजें, तो अंगूर जानने वाले को वातायन शब्द का भी बोध होगा और खिड़की शब्द तो वो जानता ही है। परन्तु आप लोगो के ऐनक में ये कृत्य अन्यथा है। अतः मैं स्वीकारता हूँ कि वो मेरी क्षति थी। परन्तु यहाँ जो विषय है, उस में जानकर किसी के द्वारा प्रयुक्त शब्द को परिवर्तित कर अपने सीमित (पक्षपाती) ज्ञान के आधार पर एक ही शब्द उपयोग करने के लिये अन्य को विवश किया जा रहा है। इन दोनों अंशों को आपने स्पष्ट रूप से समान सिद्ध करने का प्रयास किया।<br>
दो व्यक्तिओं के मध्य मतभेद होता है और तृतीय व्यक्ति आता है, जिसे समाधान ज्ञात है। अब वो व्यक्ति समाधान देगा और विवाद समाप्त करेगा। परन्तु यहाँ तर्क दिया जाता है कि, उस में से एक व्यक्ति यदि ऐसे करता तो विवाद होता ही नहीं या समाधान हो सकता था, अतः मैं समाधान नहीं दूंगा। ये हास्यास्पद और स्पष्टरूप से उत्तर देने से बचने का प्रयास ही कहा जाएगा। क्योंकि वो उस द्वितीय व्यक्ति के पक्ष का तर्कसंगत पाता है और अपनी विचारधारा के अनुरूप व्यक्ति के पक्ष को और अपने पक्ष को तर्कहीन।<br>
संजीवजी से मेरी विस्तृत बात हुई है। मैं उनसे भी निवेदन किया है और उसका ही यहाँ पुनरावर्तन कर रहा हूँ। मैं विवाद नहीं चाहता और न मैंने विवाद आरम्भ किया है। मैंने लेख बनाया और उस में जितने भी तथ्यों का अभाव बताया गया वो मैंने लेख में अन्तर्भूत किये। परन्तु एक पक्षपाती रूप से शीर्षक और लेख में प्रयुक्त हिन्दी शब्द को आक्रमण, दायित्व इत्यादि शब्दों के प्रयोग से रोका गया। संख्या विवाद जो वास्तविक विवाद है भी नहीं। क्योंकि अंक परिवर्तक नामक उपकरण बना हुआ है। जिसे जो चाहे वो अंक देख सकता है। फिर भी वो अन्य के प्रयुक्त अंक को परिवर्तन करते हैं। इससे अधिक लेख में दिये उचित सन्दर्भों को नीकाला गया और पक्षपातपूर्ण लेख सज्ज किया गया। तो ऐसा करने वाले को दण्ड हो मैं नहीं चाहता परन्तु हिन्दी शब्दों के प्रयोग के लिये स्वतन्त्रता हो इतना ही हो ऐसा मैंने कहा। <br>
जब मैंने खिड़की का वातायान किया और अंगूर का द्राक्षा किया तो उसे पूर्ववत् कर दिया गया, तो अब इस अनुचित कृत्य के लिये कार्यवाही की याचना मुझे किसी भी प्रकार का भयादोहन (blackmail) नही लगता। किसी अन्य पद्धति से हो सकता था, परन्तु वास्तविकता ये है कि नहीं हुआ। अब नहीं हुआ तो कभी नहीं होना चाहिये ऐसी नीति का त्याग कर पूर्वकाल में असिद्ध को सिद्ध करना चाहिये। अस्तु। <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 08:39, 27 सितंबर 2017 (UTC)
:सलमाजी भारत नामका एक देश है, जहाँ शताब्दीयों से नहीं युगों से मूर्तिपूजक, मूर्तिपूजा के न मानने वाले, ईश्वरवादी, ईश्वर में न मानने वाले लोग रहते हैं। उन लोगो की भावना को आहत करने वाले कुछ तत्त्वों को जब कहा जाता है कि, ये करना है तो जिस देश में ऐसा होता है, वहाँ चले जाएँ। तब वो कहते हैं कि ये देश उतना ही हमारा है, जितना तुम सबका। उस तर्क को मैं दे रहा हूँ। यदि हिन्दी के शब्दावली विभिन्न भाषाओं से प्रभावित है और भाषाविज्ञान भी उसके लिये तर्क देता है, तो किसी एक ही पक्ष की भाषा के उपयोग करने वालों का विरोध क्यों न करूं? और ये भाषा जितनी आपकी है उतनी मेरी भी है, तो मैं कहीं जा कर क्यों लिखूँ? मैं यहाँ लिखूँ या नहीं ये कोई मुजाहिद निश्चित नहीं करेगा। <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 09:09, 27 सितंबर 2017 (UTC)
* दोस्तों यहाँ चर्चा विश्वकोश निर्माण की नहीं, भाषा निर्माण की हो चली है। ये हमारे बस में नहीं है और हमारा काम भी नहीं है। कृपया यहाँ विकिपीडिया पर अपनी राजनीतिक आस्था लेकर युद्ध न चलाया जाए। हमारा मकसद हिन्दी में विश्वकोशीय जानकारी देना है, किसी राजनीतिक पद्धति या शब्द को प्रचारित करना नहीं है। इसके लिये ही साधारण शब्द उपयोग करने की अनुशंसा है और की गई है। कृपया इसी को ध्यान में रखें। जो कोई (मतलब हर कोई) ऐसा नहीं कर सकता वो जाने को स्वतंत्र है। उसके लिये इतना बवाल और शोर-शराबा करने की जरूरत नहीं। हम में से हर कोई किसी न किसी मकसद के लिये आया था यहाँ पर, तो जाहिर है जब वो मकसद पूरा होते हुए न लगे तो मन उखड़ जाता है और कुछ करने का मन नहीं करता। इसका उपाय यही हो सकता है कि मकसद बदल लिया जाए या विदा ली जाए। परिपक्व लोग इसे शांति से करेंगे और कुछ नहीं। पर इससे वास्तविकता नहीं बदलती। खैर इस मामले को तूल न दिया जाए और जो विकिपीडिया निर्माण के लिये आए हैं, वो अपने काम में लग जाए। जिनको कुछ और करना है वो दूसरा माध्यम तलाश लें। धन्यवाद।--[[सदस्य:हिंदुस्थान वासी|<font color="80 00 80">हिंदुस्थान वासी</font>]]<sup> ''' [[सदस्य वार्ता:हिंदुस्थान वासी|वार्ता]]''' </sup> 10:55, 27 सितंबर 2017 (UTC)
::: {{सुनिए|हिंदुस्थान वासी}} जी, आपके इस 'साधारण शब्द' का क्या अर्थ निकाला जाय? मैं यदि सीधे-सीधे कहूँ तो हममे से जो सबसे कम पढ़ा-लिखा, सबसे कम हिन्दी जानने वाला, या सबसे मूर्ख होगा उसकी हिन्दी शब्दावली का उपयोग करना पड़ेगा तब जाकर हम सही अर्थों में कह सकेंगें कि हम 'साधारण शब्दों' का उपयोग कर रहे हैं।क्या आप इसके लिए तैयार हैं? उदाहरण के लिए ऊपर आपने जो 'दोस्तों' का प्रयोग किया है, साधारण जनता वही उपयोग करती है। किन्तु हिन्दी का व्याकरण कहता है कि उसके स्थान पर 'दोस्तो' सही है।-- [[सदस्य:अनुनाद सिंह|अनुनाद सिंह]] ([[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|वार्ता]]) 13:11, 27 सितंबर 2017 (UTC)
:::: इसके लिये कोई नीतिगत चर्चा पृष्ठ बना के विचार किया जाना चाहिए। ये मुद्दा कई महीनों के अंतराल पर उठता रहता है, इसका समाधान होना चाहिए। "प्रचलित" शब्द कैसे तय होंगे इसपर भी बात होनी चाहिए, खासतौर से शीर्षक में। अंदर पाठ में तो ज्यादा किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। मूल मुद्दा संस्कृत या फ़ारसी का न बनाकर (विश्वकोश की) भाषा की सरलता और उपयोगिता पर होना चाहिए।--[[सदस्य:हिंदुस्थान वासी|<font color="80 00 80">हिंदुस्थान वासी</font>]]<sup> ''' [[सदस्य वार्ता:हिंदुस्थान वासी|वार्ता]]''' </sup> 18:31, 27 सितंबर 2017 (UTC)
: विश्वकोश का निर्माण का आधार भाषा है यहाँ पर। हिन्दी भाषा में विश्वकोश बनाने के लिये ही सब प्रयत्न कर रहे हैं। परन्तु जो लोग अपनी राजनीतिक आस्था को गुप्त रख कर अन्यों पर राजनीतिक आस्था के लिये युद्ध करने का आरोप करें, तो उन्हें दर्पण देख लेना चाहिए। यहाँ किसी के जाने के और न जाने के विषय मैं जो बात हो रही है, वो किसी ऐसे व्यक्ति के कारण आरम्भ हुई जो अपनी मनमानी करना चाहता है। किसी अन्य को विवश करना चाहता है कि उसको और उसके राजनीतिक आस्था वालों को जो शब्द आता है, उसका ही सब लोग उपयोग करें। 'तार्किक रूप से सही' बोल कर मनमानी कर लते हैं, अतः आप से वैसे भी हि.वि के सदस्यों की चिन्ता की अपेक्षा नहीं है। परन्तु ध्यान रहे, जो अधिकार आपके पास है, वो निर्माण के लिये विनाश के लिये नहीं। जाने न जाने की चर्चा तो एस.एम.7 जी ने पहले ही समाप्त करवा दी। अब यहाँ चर्चा समाधान की हो रही है, जो आपके स्वभाव में नहीं। <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 12:03, 27 सितंबर 2017 (UTC)
::नेहल जी, ये तो साफ़ है कि आप संस्कृत शब्द का प्रचार ही करना चाहते हैं और ऐसे शायद संस्कृत विकिपीडिया के लिये नए सदस्य खोज रहे हैं। उसे हिन्दी बताकर सबको "शुद्ध" करना चाहते है। क्या मैंने कोई शब्द जबरदस्ती करने के लिये हो-हल्ला किया है? जो लोगों को सही लगा होने दिया। अब आप कभी जाने का और कभी न जाने की कहते हैं। कोई ढंग का लेख बनाइये, क्यों शब्द को प्रचारित करने में हमारा समय बर्बाद कर रहे।
::आप बार-बार अमरनाथ हमला की चर्चा को ले आते हैं। उसकी सच्चाई सबको दिख रही है। वहाँ सब लोग हमला शब्द करने के साथ थे (आप को छोड़कर), वो भी तर्क के साथ। आप ही नए-नए जुगाड़ निकाल रहे थे उसको न होने देने से। हर किसी का सम्पादन हटा रहे थे। जरूर आपका उन लोगों के प्रति सहानुभूति हो सकती है और आपका लेख के साथ लगाव भी। पर आप वहाँ सिर्फ एक तरफा ही लिख रहे थे जिसे आप "सच्चाई" मानते हैं। मैंने उस लेख में कोई सम्पादन नहीं किया है। नाम बदलने की चर्चा खुली हुई थी मैंने उसको बंद किया। उसके बाद से आप यहाँ पर बचकानी हरकत कर रहे जो आपको शोभा नहीं देता। आपको पुचकारने का काम खत्म, अब बड़े हो जाइए और परिपक्वता से कार्य करें।
::आपके साथ शब्द प्रचार में बिल्कुल साथ नहीं दिया जाएगा। इस विषय (विदेशी शब्द से हिन्दी को "शुद्ध" करना) में कोई समाधान की गुंजाइश नहीं है और कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इनको प्रचारित करने का कोई और साधन खोज लें। धन्यवाद।--[[सदस्य:हिंदुस्थान वासी|<font color="80 00 80">हिंदुस्थान वासी</font>]]<sup> ''' [[सदस्य वार्ता:हिंदुस्थान वासी|वार्ता]]''' </sup> 18:31, 27 सितंबर 2017 (UTC)
::: वो लेख अब जिस स्थिति में है, उस का आप समर्थन कर रहे हो। क्योंकि उस में शब्दों का परिवर्तन किया गया और सन्दर्भ नीकाले गये। इसे प्रबन्धक के रूप में समर्थन देना अनुचित आपको नहीं लगा इस में मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। पुचकारने की आपकी कोई मन्शा नहीं हो ये अच्छी बात है, परन्तु अपनी मनमानी करना नहीं। मैंने प्रचलित अप्रचलित की कभी बात नहीं की है। परन्तु जब कुछ लोगोने तर्क दिये, तो मैंने उनके तर्कों के अनुगुण भी मेरा कार्य उचित है, ये तर्क दिया था। अन्यथा मेरा एक ही मत है, जैसे अन्यों को शब्दों के प्रयोग में सब को स्वतन्त्रता है, वैसे मुझे भी हो। फिर उस में ये अप्रचिलत है या मुझे समझ नहीं आता या अशिक्षित लोगों को समझ नहीं आयेगा इत्यादि कारण देना अनुचित है। समाधान वैसे भी आप से होने की कोई अपेक्षा नहीं थी न है। यदि आप एकाकी प्रबन्धक के रूप में निर्णय ले कर इस चर्चा को बंद करें, तो आप स्वतन्त्र हैं। परन्तु मेरा प्रश्न सर्वदा एक ही रहेगा कि, क्यों एक ही शब्द के प्रयोग पर किसी सम्पादक को विवश किया जा रहा है? ये मनामानी नहीं, तो क्या? <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 03:31, 28 सितंबर 2017 (UTC)
:::: [https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=2017_%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5_%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A4%BE&type=revision&diff=3554683&oldid=3548234 इस सम्पादन में] जो परिवर्तन हुए हैं, जिस में सन्दर्भों का निष्कासन हुआ है और शब्दों को परिवर्तित किया गया है, यदि ऐसा होता रहा, तो सर्वदा शब्द युद्ध में ही सम्पादक व्यस्त रहेगा। क्योंकि उसने जो शब्द लिखें, जो उसके मन में हैं, उसे बारंबार परिवर्तित करने से कार्य कभी आगे नहीं बढ़ेगा। अंक परिवर्तक निर्मित है, जिसे जो अंक चाहिये वो देखें। उस में किसी लेख में जाकर अंको के परिवर्तन करने की आवश्यकता क्यों हैं? तब जब कुछ लोग अरबी अंक को लिखना चाहते हैं और कुछ देवनागरी। एक शब्द के तो अनेक पर्यायवाची शब्द होते हैं, तो मुझे जो पर्याय अच्छा लगता है, उसे ही में जा कर लेखों में परिवर्तित कर दूं, तो मुझे आप विकिकार्यो में विघ्न उत्पादन करने की श्रेणी में डालते हैं और समान कार्य कोई अन्य करता है, तो उसे पुचकारते हैं। ये प्रबन्धक के मत अनुरूप कार्य करने वालों के प्रति पक्षपात नहीं तो क्या है। मैं केवल शब्दों के प्रयोग में स्वतन्त्रता तो चाहता हूँ। इस में सब ने राजनीति, धार्मिकता और बहुत कुछ जोड़ दिया। उसका उत्तर इसलिये दिया क्योंकि वो आरोप लगा रहे थे। वास्तव में शुद्ध और स्तय विचार मेरा शब्दों के परिवर्तन से होने वाले विवादो के प्रति थी। परन्तु चर्चा को बारं बार यहाँ वहाँ ले जाया गया। इससे प्रश्नों के उत्तर नहीं मिले और समाधान भी नहीं। आप से तो समाधान की कोई अपेक्षा भी नहीं थी अतः अधिकार छोड़ जा रहा था। परन्तु आपके स्थान पर सत्यंजी ने पुछा की पुनर्विचार करें अन्यथा मैं कुछ कहे बिना ही त्याग देता। क्योंकि मुझे पूर्ण विश्वास था कि, आप बिना कुछ चर्चा किये मेरे अधिकार हटा देंगे और सह समाप्त हो जाएगा। परन्तु ये चर्चा चली। वास्तव में सत्यं जी मेरे विरुद्ध केवल दिख रहे हैं, परन्तु प्रत्येक समय वो किसी न किसी प्रकार मुझे मार्ग बताते गये और अन्त में मैंने उनके संकेतो को ग्रहण किया और अधिकार त्याग की बात को अनुचित स्वीकार कर समस्या का समाधान करना चाहा। परन्तु अभी आपके प्रत्युत्तर से स्पष्ट है, कि मैंने पहले विचार जो किया था कि समाधान असम्भव है, वहीं होगा। अब {{सुनो|Innocentbunny|Mala chaubey|Anamdas|स|Sniggdha rai|Somesh Tripathi|Sushilmishra|Suyash.dwivedi|अनुनाद सिंह|चंद्र शेखर|SM7|संजीव कुमार|Hindustanilanguage|Swapnil.Karambelkar|Kamini Rathee|Ganesh591|Gaurav561|Hunnjazal|j ansari|अजीत कुमार तिवारी|ShriSanamKumar|Jayprakash12345|आशीष भटनागर|चक्रपाणी|भोमाराम सुथार}}
{{सुनो-प्रबंधक}} प्रबन्धकगण और अन्य सदस्य जो निर्णय ले मेरे लिये स्वीकार्य होगा। अधिकार की ये बात थी ही नहीं शब्द स्वतन्त्रता की बात थी। जिसे अधिकार की आड़ लेना कहा गया। परन्तु ऊपर मैंने जो सत्य था वो सब के सम्मुख प्रस्थापित किया। अब पुचकारना कहें या चर्चा करना आप सब निर्धारित करें। शब्द प्रयोग की स्वतन्त्रता ही न हो ऐसा कैसे हो सकता है? <b><span style="text-shadow:6px 6px 8px gray">[[u:NehalDaveND|<span style="color:#FF9933">ॐNehalDaveND</span>]]<sup>•[[सदस्य वार्ता:NehalDaveND|<font color="blue">✉</font>]]•[[विशेष:योगदान/NehalDaveND|<font color="green">✎</font>]]</sup></span></b> 03:46, 28 सितंबर 2017 (UTC)
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