"भारतीय शिक्षाशास्त्रियों के विचार": अवतरणों में अंतर

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शिक्षा [[आदि शंकराचार्य|आद्य शंकराचार्य]] (७८८-८२० ई.), [[स्वामी दयानन्द सरस्वती|स्वामी दयानन्द]] (१८२४-१८८३), [[स्वामी विवेकानन्द]] (१८७३-१९०२), [[एनी बेसेन्ट|श्रीमती एनी बेसेण्ट]] (१८४७-१९३३), [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर|गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर]] (१८६१-१९४१), [[मदन मोहन मालवीय|महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय]] (१८६१-१९४५), [[महात्मा गाँधी]] (१८६९-१९४८) और, [[महर्षि अरविन्द]] (१८७२-१९५०) और [[भीमराव आम्बेडकर]] (१८९१-१९५६) आदि विचारक आधुनिक [[भारत]] के महान [[शिक्षाशास्त्री|शिक्षा-शास्त्री]] माने जाते हैं। वे अन्य विचारकों द्वारा ग्रहण की हुई भारतीय शिक्षा से सम्बन्धित विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहाँ भारतीय शिक्षा-शास्त्रियों की मुख्य विचारधारा का अवलोकन किया जायगा और यह भी बतलाने का प्रयत्न किया जायगा कि भारतीय विचारकों के शिक्षा-सम्बन्धी विचारों में मुख्य पाश्चात्य शिक्षा-दर्शन की छाप कहाँ तक पायी जाती है।
 
== प्रकृतिवाद और भारतीय शिक्षा-शास्त्री ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://www.forwardpress.in/2017/10/ambedkars-thoughts-on-education-an-overview-hindi/ आंबेडकर : हाशियाकृत समाज के शिक्षाशास्त्री]
* [http://books.google.co.in/books?id=DBbPcgrTC-QC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false राष्ट्रीय शिक्षा आन्दोलन] (गूगल पुस्तक ; लेखक - देवेन्द्र स्वरूप)
* [http://books.google.co.in/books?id=4etIT5P1NNoC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false आधुनिक भारत में शैक्षिक चिन्तन] (गूगल पुस्तक ; लेखक - हरिराम जासटा)