"उपनिषद्": अवतरणों में अंतर

छो →‎अनुवाद: removing temporary category
व्याकरण में सुधार
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
पंक्ति 4:
}}
{{हिन्दू धर्म सूचना मंजूषा}}
'''उपनिषद्''' हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण [[श्रुति]] [[धर्मग्रन्थ]] हैं। ये वैदिक वाङ्मय के अभिन्न भाग हैं। ये [[संस्कृत]] में लिखे गये हैं। इनकी संख्या लगभग १०८ है, किन्तु [[मुख्य उपनिषद]] १३१४ हैं। हर एक उपनिषद किसी न किसी [[वेद]] से जुड़ा हुआ है। इनमें [[परमेश्वर]], [[परमात्मा]]-[[ब्रह्म]] और [[आत्मा]] के स्वभाव और सम्बन्ध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन दिया गया है।
 
उपनिषदों में [[कर्मकाण्ड]] को 'अवर' कहकर ज्ञान को इसलिए महत्व दिया गया कि ज्ञान स्थूल (जगत और पदार्थ) से सूक्ष्म (मन और आत्मा) की ओर ले जाता है। [[ब्रह्म]], [[जीव]] और [[जगत्‌]] का ज्ञान पाना उपनिषदों की मूल शिक्षा है। [[भगवद्गीता]] तथा [[ब्रह्मसूत्र]], उपनिषदों के साथ मिलकर [[वेदान्त]] की '[[प्रस्थानत्रयी]]' कहलाते हैं। ब्रह्मसूत्रगीता औरको गीताउपनिषदो का भी उपनिषद कहा जाता है, इसलिए इसे कुछहै, सीमाइसे तकगीतोपनिषद उपनिषदोंभी परकहा आधारितजाता हैं।है। भारत की समग्र दार्शनिक चिन्तनधारा का मूल स्रोत उपनिषद-साहित्य ही है। इनसे दर्शन की जो विभिन्न धाराएं निकली हैं, उनमें 'वेदान्त दर्शन' का अद्वैत सम्प्रदाय प्रमुख है। उपनिषदों के तत्त्वज्ञान और कर्तव्यशास्त्र का प्रभाव [[भारतीय दर्शन]] के अतिरिक्त [[धर्म]] और [[संस्कृति]] पर भी परिलक्षित होता है। उपनिषदों का महत्त्व उनकी रोचक प्रतिपादन शैली के कारण भी है। कई सुन्दर [[आख्यान]] और [[रूपक]], उपनिषदों में मिलते हैं।
 
उपनिषद् भारतीय सभ्यता की अमूल्य धरोहर है। उपनिषद ही समस्त भारतीय दर्शनों के मूल स्रोत हैं, चाहे वो [[वेदान्त]] हो या [[सांख्य]]। उपनिषदों को स्वयं भी '[[वेदान्त]]' कहा गया है। १७वीं सदी में [[दारा शिकोह]] ने अनेक उपनिषदों का [[फारसी]] में [[अनुवाद]] कराया। 19वीं सदी में जर्मन तत्त्ववेता [[आर्थर शोपेनहावर|शोपेनहावर]] ने इन ग्रन्थों में जो रुचि दिखलाकर इनके अनुवाद किए वह सर्वविदित हैं और माननीय हैं। विश्व के कई दार्शनिक उपनिषदों को सबसे बेहतरीन ज्ञानकोश मानते हैं।
 
उपनिषद भारतीय आध्यात्मिक चिन्तन के मूल आधार हैं, भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के स्रोत हैं। वे ब्रह्मविद्या हैं। जिज्ञासाओं के ऋषियों द्वारा खोजे हुए उत्तर हैं। वे चिन्तनशील ऋषियों की ज्ञानचर्चाओं का सार हैं। वे कवि-हृदय ऋषियों की काव्यमय आध्यात्मिक रचनाएँ हैं, अज्ञात की खोज के प्रयास हैं, वर्णनातीत परमशक्ति को शब्दों में प्रस्तुत करनेकि की कोशिशें हैं और उस निराकार, निर्विकार, असीम, अपार , ज्ञानज्योति , साकार को अन्तरदृष्टि से समझने और परिभाषित करने की अदम्य आकांक्षा के लेखबद्ध विवरण हैं।<ref>{{Cite web |url=https://hindi.webdunia.com/hindu-religion/upanishads-116051700033_1.html |title=उपनिषद क्या हैं, आइए समझें |access-date=28 सितंबर 2019 |archive-url=https://web.archive.org/web/20190402165640/http://hindi.webdunia.com/hindu-religion/upanishads-116051700033_1.html |archive-date=2 अप्रैल 2019 |url-status=dead }}</ref>
 
== उपनिषद शब्द का अर्थ ==