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== पूजा ==
श्री हरि विठ्ठल पूजा मुख्यतः [[महाराष्ट्र]], [[कर्नाटक]], [[गोवा]], [[तेलंगाना]], तथा [[आन्ध्र प्रदेश]] में होती है और साथही [[तमिल नाडु]], [[केरल]] और [[गुजरात]] मे भी होती हैं।<ref name="dhere">Kelkar (2001) p. 4179</ref> श्री हरि विट्ठल की पूजा अधिकतर [[मराठी लोग]] करते है, किन्तु वह [[कुलदेवता]] के रूप में लोकप्रिय नहीं हैं।<ref>Karve (1968) p. 183</ref> पंढरपुर में श्री हरि विट्ठल भगवान का मुख्य मंदिर हैं, जिसमें उनकी पत्नी रखुमाई (ऋक्षमणी) के लिए एक अलग, अतिरिक्त मंदिर भी उपस्थित हैं। इस संदर्भ में, पंढरपुर को प्रेम से भक्तों द्वारा "भु-[[बैकुण्ठ|वैकुंठ]]" (भु-वैकुंठ अर्थात पृथ्वी पर श्री हरि विष्णु भगवान के निवास का स्थान) कहा जाता हैं।<ref>Tagare in Mahipati: Abbott, Godbole (1987) p. xxxv</ref> महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना के भक्त, पंढरपुर में श्री विट्ठल मन्दिर मे [[ज्ञानेश्वर]]<nowiki/>जी (१३वीं शताब्दी) के समय से आते हैं।<ref name="Pande 2008 p. 508">Pande (2008) p. 508</ref>
 
पंढरपुर के मुख्य मंदिर में बड़वा परिवार के ब्राह्मण पुजारी पूजा-विधी करते हैं। इस पूजा में पांच दैनिक संस्कार होते हैं। प्रथम संस्कार : सुबह लगभग ३ बजे, भगवान को जागृत करने के लिए एक अरती है, जिसे ''काकडआरती'' कहा जाता है। द्वितीय संस्कार :''पंचामृतपुजा'' होती हैं, जिसमें [[पंचामृत]] के साथ स्नान भी कराया जाता हैं और मुर्ती का सुबह के भक्तों के दर्शन लिए शृंगार किया जाता हैं। तृतीय संस्कार : एक और पूजा है जिसमें दोपहर का भोजन और मूर्ति का शृंगार किया हैं। इसे ''माध्यान्यपूजा'' के रूप में जाना जाता हैं।