[[चित्र:Eye iris.jpg|right|thumb|मानव आँख का पास से लिया गया चित्र]]
[[चित्र:Schematic diagram of the human eye en.svg|right|thumb|मानव नेत्र का योजनात्मक आरेख]]
'''आँख''' या ''' कणनेत्र''' ({{lang-sa|अक्षि , नयनम् }} ) ({{lang-en|Eye}}) जीवधारियों का वह अंग है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील है। यह प्रकाश को संसूचित करके उसे तंत्रिका (तन्त्रिका) कोशिकाओ द्वारा विद्युत-रासायनिक संवेदों में बदल देता है। उच्चस्तरीय जंतुओं (जन्तुओं) की आँखें एक जटिल प्रकाशीय तंत्र (तन्त्र) की तरह होती हैं जो आसपास के वातावरण से प्रकाश एकत्र करता है; मध्यपट के द्वारा आँख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की तीव्रता का नियंत्रण (नियन्त्रण) करता है; इस प्रकाश को लेंसों की सहायता से सही स्थान पर केंद्रित (केन्द्रित) करता है (जिससे प्रतिबिंब ([[प्रतिबिम्ब]]) बनता है); इस प्रतिबिंब ([[प्रतिबिम्ब]]) को विद्युत संकेतों में बदलता है; इन संकेतों को तंत्रिका (तन्त्रिका) कोशिकाओ के माध्यम से [[मस्तिष्क]] के पास भेजता है।आँखो का रंग और वर्णन आँखें [[काली]], [नीली]], [[भूरी]], [[हरी]] और [[लाल]] रंग की हो सकती है। नेत्र यह तेजस्वी होते हैं। उन्हे कफ इन दोष से डर रहता है। इस कारण आँखो में सात दिन में कम-से-कम एक बार [[अंजन]] करना चाहिए।
नेत्र रोग :- आयुर्वेद में नेत्र के विविध रोगो का ( संख्या: [[७६|76]]) वर्णन किया है।