"वैशाली": अवतरणों में अंतर

वैशाली में घूमने की जगह
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[[चित्र:Ablution bath, Vaishali.jpg|right|thumb|200px|बुद्ध स्तूप के निकट स्थित ''अभिषेक पुष्करणी'']]
प्राचीन वैशाली गणराज्य द्वारा ढाई हजार वर्ष पूर्व बनवाया गया पवित्र सरोवर है। ऐसा माना जाता है कि इस गणराज्‍य में जब कोई नया शासक निर्वाचित होता था तो उनको यहीं पर अभिषेक करवाया जाता था। इसी के पवित्र जल से अभिशिक्त हो लिच्छिवियों का अराजक गणतांत्रिक संथागार में बैठता था। [[राहुल सांकृत्यायन]] ने अपने उपन्यास "सिंह सेनापति" में इसका उल्लेख किया है।
 
'''<big>कौनहारा घाट</big>'''
 
गंडक नदी के तट पर बसे हाजीपुर शहर का यह घाट काफी महत्व रखता है, इसी जगह पर [[गंगा]] और गंडक का संगम होता है जहाँ यह नदी गंगा में समाहित हो जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी जगह पर [[भगवान विष्णु]] के हाथों गज-ग्राह को मुक्ति मिली थी जिसके बाद से यह भूमि महा-मुक्ति धाम बन गई।<ref>{{Cite news|url=https://www.prabhatkhabar.com/life-and-style/travel/tour-and-travel-bihar-tourist-destinations-check-places-to-visit-in-vaishali-kaunhara-ghat-nepali-chawani-mandir-vishwa-shanti-stupa-sry|title=भगवान महावीर का जन्म स्थल वैशाली, जाने घूमने की जगह|date=12 अगस्त 2023|work=प्रभात खबर|access-date=15 दिसंबर 2023}}</ref>
 
'''<big>नेपाली छावनी मंदिर</big>'''
 
नेपाली छावनी मंदिर कोनहारा घाट के समीप ही स्थित है, यह एक नेपाली सेनाधिकारी मातबर सिंह थापा द्वारा 18वीं सदी में पैगोडा शैली में निर्मित कराया गया था. यह अद्वितीय मंदिर नेपाली वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है. काष्ट फलकों पर बने प्रणय दृश्य का अधिकांश भाग अब नष्टप्राय है या चोरी हो गया है. कला प्रेमियों के अलावे शिव भक्तों के बीच इस मंदिर की बड़ी प्रतिष्ठा है.
 
'''<big>विशाल किला</big>'''
 
ऐसा माना जाता है कि वैशाली के प्राचीन शहर का नाम राजा विशाल से मिला है. प्रारंभ में, यह के नाम से चला गया विशालपुरी जिसे बाद में बदलकर वैशाली या वैशाली कर दिया गया. और यहां का विशाल किला लिच्छवियों की संसद माना जाता है. कई इतिहासकारों और जानकारों का कहना है कि एक समय ऐसा था जब राजनीतिक मामलों पर चर्चा करने के लिए लगभग सात हजार प्रतिनिधि यहां इकट्ठा होते थे.
 
'''<big>गणिनाथ धाम</big>'''
 
यह मंदिर मधेशिया वैश्य समुदाय के कुल गुरू बाबा गणिनाथ को समर्पित है, यह मंदिर संतशिरोमणि बाबा गणिनाथ की समाधि-भूमि पावन पलवैया धाम के रूप में जाना जाता है. हर वर्ष बाबा गणिनाथ के जन्म तिथि (कृष्ण जन्माष्टमी के बाद के पहले शनिवार) के दिन उनके समुदाय के द्वारा पूजा किया जाता है एवम मेला लगता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर के मानस पुत्र के रूप में पृथ्वी पर अवतार के बाद बाबा गणिनाथ ने नैनाधोगिन नाम की राक्षसी का वध कर पूरी मानव जाति को निजात दिलायी.
 
=== विश्व शान्ति स्तूप ===
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== एक नजर में ==
 
* जनसंख्‍या :- २७,१८,४२१ (२००१ की जनगनणना अनुसार)<br />
पुरुषों की संख्या:- १४,१५,६०३<br />स्त्रियों की संख्या:- १३,०२,८१८
* जनसंख्या का घनत्वः- १,३३५