भगवान बुद्ध ने लोगों को मध्यम मार्ग का उपदेश दिया । उन्होंने दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। उन्होंने अहिंसा पर बहुत जोर दिया है। उन्होंने यज्ञ और पशु-बलि की निंदा की। बुद्ध के उपदेशों का सार इस प्रकार है -
* महात्मा बुद्ध ने सनातन धरम के कुछ संकल्पनाओं का प्रचार किया, जैसे [[अग्निहोत्र]] तथा [[गायत्री मन्त्र]]
Line 70 ⟶ 71:
* [[आर्यसत्य|चार आर्य सत्य]]
* [[आर्य आष्टांगिक मार्ग|अष्टांग मार्ग]]
* "एक निष्ठाहीन और बुरे दोस्त से जानवरों की अपेक्षा ज्यादा भयभीत होना चाहिए,क्यूंकि एक जंगली जानवर सिर्फ आपके शरीर को घाव दे सकता है, लेकिन एक बुरा दोस्त आपके दिमाग में घाव कर जाएगा"<ref>{{Cite news|url=https://www.prabhatkhabar.com/life-and-style/buddha-purnima-2022-quotes-inspirational-gautam-buddha-quotes-in-hindi-anamol-vichaar-buddha-ke-prerak-upadesh-tvi|title=भगवान बुद्ध के उपदेशों के बारे में जो जीने की कला सिखाते हैं|date=15 मई 2022|work=प्रभात खबर|access-date=19 दिसंबर 2023}}</ref>
* आपके पास जो कुछ भी है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिए.
* बुराई से बुराई कभी खत्म नहीं होती. घृणा को तो केवल प्रेम द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है, यह एक अटूट सत्य है।
* जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
* क्रोध में हजारों शब्दों को गलत बोलने से अच्छा, मौन वह एक शब्द है जो जीवन में शांति लाता है.
* मनुष्य का दिमाग ही सब कुछ है, जो वह सोचता है वही वह बनता है.