"शिव की आरती": अवतरणों में अंतर
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वास्तव में यह आरती त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, एवं शिव) की एकरूप स्तुति है। यहां यह बताया गया है कि ॐ में तीनों का रूप एक ही है।
▲== '''आरती''' ==
[[चित्र:शिव.png|अंगूठाकार|260x260पिक्सेल|शिव]]
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।<br />
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे। शिव पंचानन राजे।<br />
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव.॥ दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। प्रभु दस भुज अति सोहे।<br />
तीनों रूप निरखते। त्रिभुवन मन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥ अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी। शिव मुण्डमाला धारी।<br />
चंदन मृगमद चंदा, सोहे त्रिपुरारी॥ ॐ हर हर हर महादेव॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। शिव बाघम्बर अंगे।<br />
ब्रह्मादिक सनकादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥ कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता। शिव कर में त्रिशूल धर्ता।<br />
जगकर्ता जगहर्ता जगपालनकर्ता॥ ॐ हर हर हर महादेव॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। स्वामी जानत अविवेका।<br />
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥ त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे। प्रभु प्रेम सहित गावे।<br />
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥ == सन्दर्भ ==▼
ओंकार (ॐ) रूप शिव की जय हो।
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हंस पर आसीन (ब्रह्मा), गरुड़ पर आसीन (नारायण), व शिव अपने वाहन बैल के ऊपर सज्जित हैं।।
ब्रह्मा की दो भुजाएं हैं, विष्णु की चार भुजाएं हैं व शिव की दस भुजाएं बहत सुंदर लगती हैं।
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वास्तव में प्रणव अक्षर (ॐ) में यह तीनों एक ही हैं।।
▲== सन्दर्भ ==
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