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इस महाकाव्य के ऐतिहासिक विकास और संरचनागत परतों को जानने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। आधुनिक विद्वान इसका रचनाकाल ७ वीं से ४ वीं शताब्दी ईसा पूर्व मानते हैं। कुछ विद्वान तो इसे तीसरी शताब्दी ई तक की रचना मानते हैं।<ref>{{cite web|url=https://mumbaimirror.indiatimes.com/news/india/was-ram-born-in-ayodhya/articleshow/77380259.cms|title=Was Ram born in Ayodhya|first=Devdutt|last=Pattanaik|website=mumbaimirror| date=8 August 2020}}</ref> कुछ भारतीय कहते हैं कि यह ६०० ईपू से पहले लिखा गया।<ref name="BP">{{स्रोत किताब |last= सिंह|first= बी.पी.|editor= [[गोविन्द चन्द्र पाण्डे]]|others= |title= Life, Thought and Culture of India — “The Valmiki Ramayana: A Study”|year= 2001|publisher= Centre of Studies in Civilizations, नई दिल्ली|isbn= 81-87586-07-0}}</ref> उसके पीछे तर्क यह है कि [[महाभारत]], [[बौद्ध धर्म]] के बारे में मौन है जबकि उसमें [[जैन]], [[शैव]], [[पाशुपत]] आदि अन्य परम्पराओं का वर्णन है।<ref>{{cite web|url=https://amp.scroll.in/article/905466/how-did-the-ramayana-and-mahabharata-come-to-be-and-what-has-dharma-got-to-do-with-it|title=How did the ‘Ramayana’ and ‘Mahabharata’ come to be (and what has ‘dharma’ got to do with it)?}}</ref> महाभारत, रामायण के पश्चात रचित है, अतः रामायण [[गौतम बुद्ध]] के काल के पूर्व का होना चाहिये। भाषा-शैली के अनुसार भी रामायण, [[पाणिनि]] के समय से पहले का होना चाहिये।
 
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== संक्षेप में रामायण-कथा ==
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान राम, [[विष्णु]] के मानव अवतार थे। इस अवतार का उद्देश्य मृत्युलोक में मानवजाति को आदर्श जीवन के लिये मार्गदर्शन देना था। अन्ततः श्रीराम ने राक्षसों {{Ref_label|आचार्य|च|none}} के राजा [[रावण]] का वध किया और धर्म की पुनर्स्थापना की।
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== रामायण की सीख ==
{{wikify|(धार्मिक विचार कृपया हटाएँ। कृपया तथ्य पर आधारित होकर पुनर्लेखन करें)।}}
रामायण के सारे चरित्र अपने [[धर्म]] का पालन करते हैं।
* [[राम]] एक आदर्श पुत्र हैं। पिता की आज्ञा उनके लिये सर्वोपरि है। पति के रूप में [[राम]] ने सदैव एकपत्नीव्रत का पालन किया। राजा के रूप में प्रजा के हित के लिये स्वयं के हित को हेय समझते हैं। विलक्षण व्यक्तित्व है उनका। वे अत्यन्त वीर्यवान, तेजस्वी, विद्वान, धैर्यशील, जितेन्द्रिय, बुद्धिमान, सुंदर, पराक्रमी, दुष्टों का दमन करने वाले, युद्ध एवं नीतिकुशल, धर्मात्मा, मर्यादापुरुषोत्तम, प्रजावत्सल, शरणागत को शरण देने वाले, सर्वशास्त्रों के ज्ञाता एवं प्रतिभा सम्पन्न हैं।
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* [[रावण]] के चरित्र से सीख मिलती है कि अहंकार नाश का कारण होता है।
 
 
== रामायण द्वारा प्रेरित अन्य साहित्यिक महाकाव्य ==
 
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&nbsp;&nbsp;&nbsp;'''ङ.'''&nbsp;&nbsp;&nbsp; {{Note_label|रामचरितमानस|ङ|none}} रामचरितमानस = राम + चरित + मानस, रामचरितमानस का अर्थ है राम के चरित्र का सरोवर। रामचरितमानस के बालकाण्ड के दोहा क्रमांक ३५ से दोहा क्रमांक ४२ में तुलसीदास जी ने इस सरोवर के स्वरूप का वर्णन किया है।<br />
&nbsp;&nbsp;&nbsp;'''च.'''&nbsp;&nbsp;&nbsp; {{Note_label|आचार्य|च|none}} “आचार्य चतुरसेन” ने अपने ग्रंथ ‘वयं रक्षामः’ में राक्षसजाति एवं राक्षस संस्कृति का विस्तृत वर्णन किया है।
</div>
 
== संदर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
=== ग्रन्थसूची ===
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* ''कवितावली'', प्रकाशक एवं मुद्रक: गीताप्रेस, गोरखपुर
* ''रामायण के कुछ आदर्श पात्र'', प्रकाशक एवं मुद्रक: गीताप्रेस, गोरखपुर
* ''वाल्मीकीय रामायण'', प्रकाशक: देहाती पुस्तक भंडार, दिल्ली</div>
 
== संदर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
*
 
== बाहरी कड़ियाँ ==