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'''विक्रमशिला''' [[भारत]] का एक प्रसिद्ध शिक्षा-केन्द्र ([[विश्वविद्यालय]]) था। [[नालन्दा विश्वविद्यालय]] और विक्रमशिला दोनों [[पाल राजवंश]] के राज्यकाल में शिक्षा के लिए जगत्प्रसिद्ध थे। वर्तमान समय में [[बिहार]] के [[भागलपुर जिला|भागलपुर जिले]] का अन्तिचक गाँव वहीं है जहाँ विक्रमशिला थी। इसकी स्थापना ८वीं शताब्दी में [[पाल राजवंश|पाल]] राजा [[धर्मपाल]] ने की थी।<ref>{{cite web|url=http://www.mithilavihar.com/mithilaStatic/bihar-SikShA_vyavasthA.html|title=विक्रमशिला विश्वविद्यालय|access-date=[[१६ अगस्त]] [[२००९]]|format=|publisher=मिथिला विहार|language=}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> प्रसिद्ध पण्डित [[अतीश दीपंकर]] यहीं शिक्षण करते थे।
 
[[बिहार]] में [[भागलपुर]] जिला स्थित एक ऐतिहासिक नगर है [[विक्रमशिला]], जो प्राचीन समय में ज्ञान और शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था। 8वीं शताब्दी में पाल राजा [[धर्मपाल]] द्वारा स्थापित, [[विक्रमशिला विश्वविद्यालय]] [[नालंदा विश्वविद्यालय]] के साथ मिलकर उस समय की दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाओं में से एक था।<ref>{{Cite news|url=https://www.prabhatkhabar.com/state/bihar/vikramshila-mahotsav-2023-to-start-know-about-program-and-chief-guest-in-bhagalpur-skt|title=विक्रमशिला महोत्सव का आगाज आज, जानें कार्यक्रम|date=18 मार्च 2023|work=प्रभात खबर|access-date=19 दिसंबर 2023}}</ref>
 
लगभग 400 वर्षों तक, विक्रमशिला ने दर्शन, तंत्र, न्याय, बौद्ध धर्म और व्याकरण जैसे विषयों में विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान की। यहां 100 शिक्षकों का एक समूह 1000 से अधिक छात्रों को पढ़ाता था, जिनमें विदेशी छात्र भी शामिल थे। विश्वविद्यालय 100 एकड़ में फैला हुआ था।
 
आज, विक्रमशिला के खंडहर एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल हैं और प्राचीन भारत के शैक्षणिक गौरव की याद दिलाते हैं। 2018 में, भारत सरकार ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार की घोषणा की, जिससे आशा है कि यह गौरवशाली शिक्षा केंद्र एक बार फिर से ज्ञान का प्रकाश फैलाएगा।
 
यहाँ पर लगभग 160 विहार थे, जिनमें अनेक विशाल प्रकोष्ठ बने हुए थे। विद्यालय में सौ शिक्षकों की व्यवस्था थी। नालन्दा की भाँति विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय भी बौद्ध संसार में सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। इस महाविद्यालय के अनेक सुप्रसिद्ध विद्वानों में [[अतिश दीपांकर श्रीज्ञान]] प्रमुख थे। ये ओदन्तपुरी के विद्यालय के छात्र थे और विक्रमशिला के आचार्य। 11वीं शती में [[तिब्बत]] के राजा के निमंत्रण पर ये वहाँ पर गए थे। तिब्बत में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में इनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण समझा जाता है।
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== खुदाई कार्य ==
विक्रमशिला के बारे में सबसे पहले [[राहुल सांकृत्यायन]] ने [[सुल्तानगंज]] के निकट होने का अंदेशा प्रकट किया था। उसका मुख्य कारण था कि अंग्रेज़ों के जमाने में सुल्तानगंज के निकट एक गांव में बुद्ध की प्रतिमा मिली थी। बावजूद उसके अंग्रेज़ों ने विक्रमशिला के बारे में पता लगाने का प्रयास नहीं किया। इसके चलते विक्रमशिला की खुदाई पुरातत्त्व विभाग द्वारा 1986 के आसपास शुरू हुई।
 
== सन्दर्भ ==
<references />
 
== इन्हें भी देखें==
* [[विक्रमशिला]]
* [[नालन्दा विश्वविद्यालय]]
 
== सन्दर्भ ==
<references />
*
 
== बाहरी कडियाँ ==