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सबाल्टर्न अध्ययन औपनिवेशिक कालखण्ड में [[आभिजात्य]] आधिकारिक स्रोत से इतर जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का [[इतिहास]] विनिर्मित करने की प्रविधि है।
== परिभाषा ==
सबाल्टर्न मिलिट्री के निचले ओहदे के अधिकारी के लिए व्यवहृत शब्द है। कालांतर में अर्थविस्तार पाकर यह शब्द अधीनस्थता का द्योतक बन गया। इतालवी विद्वान [[अंतोनियो ग्राम्शी]] ने अपनी रचना [[प्रिजन नोटबुक्स]] में [[सबाल्टर्न]] पद की स्वसंदर्भित व्याख्या प्रस्तुत की है।<ref>Selections from the Prison Notebooks of Antonio Gramsci, Ed- Q. Hoare & G.N. Smith, 1973 page- 53</ref> उन्होंने सबाल्टर्न पद का प्रयोग समाज के गौण- [[दलित]], उत्पीड़ित और मुत्ग़ालिब लोगों के लिए किया है।<ref>निम्नवर्गीय प्रसंग-१, संपादक- शाहिद अमीन, ज्ञानेंद्र पाण्डेय, पृष्ठ- ९-१०</ref>
== इतिहास ==
 
[[सबाल्टर्न अध्ययन समूह]] के रूप में बीसवीं सदी के आठवें दशक में [[दक्षिण एशिया|दक्षिण एशियाई]] इतिहास और समाज का अध्ययन करने वाले इतिहासकारों का एक समूह अकादमिक परिदृश्य पर उपस्थित हुआ, जिसने [[सबाल्टर्न अध्ययन ग्रंथमाला]] के अंतर्गत समूहबद्ध होकर इतिहास की एक समांतर वैकल्पिक धारा को विकसित करने का दावा किया। [[१९८२]] ई. से [[१९९९]] ई. तक दस खण्डों में [[ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस]] से प्रकाशित सबाल्टर्न अध्ययन श्रृंखला में औपनिवेशिक भारत के इतिहास को जहाँ विनिर्मित करने का प्रयास किया गया वहीं भारत में राष्ट्र के भीतर एक बड़े समूह के रूप में मुख्यधारा से विवर्जित सबाल्टर्न अस्मिता ने [[जातीयता]] की अवधारणा को भी प्रश्नबिद्ध किया।<ref>Edward Said's foreword in Selected Subaltern Studies, ed- Ranjit Guha & GC Spivak, OUP, 1984, page- vi </ref>
 
== अध्ययन प्रविधि ==
सबाल्टर्न अध्ययन में [[लोकवृत्त]] के माध्यम से इतिहास के अनजाने, अनदेखे सत्य को जानने­ समझने का प्रयास किया गया। माना गया कि [[लोकगाथा]] , [[लोकगीत]] और [[लोकस्मृतियाँ]] भी परंपरित इतिहास लेखन के समानांतर विवर्जित धारा को विकसित करने एवं निम्नजन के कर्म और चेतना तक पहुँचने का एक माध्यम हो सकतीं है।<ref>निम्नवर्गीय प्रसंग-१, संपादक- शाहिद अमीन, ज्ञानेंद्र पाण्डेय, पृष्ठ- ११</ref>