"पुरुषोत्तम दास टंडन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो r2.7.2) (Robot: Adding sa:पुरुषोत्तमदासः टण्डन् |
→प्रारंभिक जीवन: removed copyrighted file |
||
पंक्ति 15:
==प्रारंभिक जीवन==
पुरुषोत्तम दास टंडन का जन्म [[1अगस्त|१ अगस्त]] [[1882|१८८२]] को [[उत्तर प्रदेश]] के [[इलाहाबाद]] नगर में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय सिटी एंग्लो वर्नाक्यूलर विद्यालय में हुई। १८९४ में उन्होंने इसी विद्यालय से मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसी वर्ष उनकी बड़ी बहन तुलसा देवी का स्वर्गवास हो गया। उस समय की रीति के अनुसार १८९७ में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उनका विवाह मुरादाबाद निवासी नरोत्तमदास खन्ना की पुत्री चन्द्रमुखी देवी के साथ हो गया। १८९९ कांग्रेस के स्वयं सेवक बने, १८९९ इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की और १९०० में वे एक कन्या के पिता बने। इसी बीच वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के म्योर सेण्ट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया किंतु अपने क्रांतिकारी कार्यकलापों के कारण उन्हें १९०१ में वहाँ से निष्कासित कर दिया गया। १९०३ में उनके पिता का निधन हो गया। इन सब कठिनाइयों को पार करते हुए उन्होंने १९०४ में बीए कर लिया। १९०५ से उनके राजनीतिक जीवन का प्रारंभ हुआ। १९०५ में उन्होंने बंगभंग आन्दोलन से प्रभावित होकर स्वदेशी का व्रत धारण किया, विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के रूप में चीनी खाना छोड़ दिया और गोपाल कृष्ण गोखले के अंगरक्षक के रूप में कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया। १९०६ में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधि चुना गया। इस बीच उनका लेखन भी प्रारंभ हो चुका था और अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होने लगी थी। यही समय था जब उनकी प्रसिद्ध रचना ''बन्दर सभा महाकाव्य'' 'हिन्दी प्रदीप' में प्रकाशित हुई। इन सब कामों के बीच उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और १९०६ में एल.एल.बी की उपाधि प्राप्त करने के बाद वकालत प्रारंभ की। पढ़ाई जारी रखते हुए उन्होंने १९०७ में इतिहास में स्नात्कोत्तर उपाधि प्राप्त की और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उस समय के नामी वकील तेग बहादुर सप्रू के जूनियर बन गए।
|