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. कई बार इन दोनों प्रकारों के [[भोजन व्यवहार|खाद्य व्यवहारों]] में विभेद करना मुश्किल हो जाता है, उदाहरण के लिए, [[परजीवी|परजीवी प्रजाति]] एक परपोषी जीव का शिकार करती है, और फिर उस पर अपने अंडे देती है, ताकि उनकी संतति इसके अपघटित होते हुए कार्बनिक द्रव्य से भोजन प्राप्त कर सके.
 
एक दुसरेदूसरे पर लगाये गए चयनित दबाव ने शिकार और शिकारी के बीच [[विकासवादी हथियारों की दौड़|विकासवादी दौड़]] को जन्म दिया है, जिसके परिणामस्वरूप कई [[शिकार विरोधी अनुकूलन|शिकारी विरोधी अनुकूलन]] विकसित हुए हैं.
 
ज्यादातर जंतु अप्रत्यक्ष रूप से [[सूर्य का प्रकाश|सूर्य के प्रकाश]] से ही उर्जा प्राप्त करते हैं. पौधे [[ऊर्जा|प्रकाश संश्लेषण]] नामक एक प्रक्रिया के द्वारा इस [[शर्कराएँ|उर्जा]] का प्रयोग करके सूर्य के प्रकाश को साधारण [[प्रकाश संश्लेषण|शर्करा]] के अणु में परिवर्तित कर देते हैं. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया [[कार्बन डाइऑक्साइड]] (CO<sub>2</sub>) और [[जल]] (H<sub>2</sub>O) के साथ शुरू होती है, इसमें सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल दिया जाता है, जो [[ग्लूकोज|ग्लूकोस]] (C<sub>6</sub>H<sub>12</sub>O<sub>6</sub>) के बंधों में संचित हो जाती है, इस प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन (O<sub>2</sub>) भी मुक्त होती है. अब इस शर्करा का उपयोग निर्माण इकाइयों के रूप में होता है, जिससे पौधे में वृद्धि होती है. जब पशु इन पौधों को खाते हैं (या अन्य पशुओं को खाते हैं जिन्होंने इन पौधों को खाया है), पौधों के द्बारा उत्पन्न की गयी शर्करा जंतुओं के द्वारा काम में ले ली जाती है. यह या तो जंतु के प्रत्यक्ष विकास में सहायक होती है या अपघटित हो जाती है, और संग्रहित सौर उर्जा छोरति है, और इस प्रकार से जंतु को गति के लिए आवश्यक ऊर्जा की प्राप्ति होती है.