"वार्ता:अफ़ग़ानिस्तान": अवतरणों में अंतर

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:: बिल जी का जवाब मुझे बड़ा सटीक लगा। आजकल तकनीक ने हिंदी में टाइप करना इतना आसान कर दिया है, कि समाचार पत्रिकाओं और नेट पर भी भाषा व वर्तनी की शुद्धता पर लोग ध्यान नहीं देते। पर मैंने अक्सर देखा है की बीबीसी अन्य स्रोतों के मुकाबले इस मामले में ज़्यादा विश्वसनीय रहता है। मैं अफ़गानिस्तान के समर्थन में हूँ। <font color="#585858">░▒▓</font>► [[User:Shubhamkanodia|<b><font color="#1B7CFF">शुभम</font><font color="#1B5AFF"> कनो</font><font color="#1B4AF">डिया</font></b>]]<sup>[[User talk:shubhamkanodia|<span title="(͡° ͜ʖ ͡°) बातचीत करें!"> वार्ता</span>]]</sup> 07:07, 13 अप्रैल 2014 (UTC)
:::{{सुनो|shubhamkanodia}} मैं अफ़गानिस्तान के विरोध में नहीं हूँ लेकिन आपकी बीबीसी वाली टिप्पणी पर एक बात कहना चाहुँगा कि बीबीसी भी दुध की धुला नहीं है। वहाँ आजतक मैंने पूर्णविराम नहीं देखा। इसके अतिरिक्त हिन्दी भाषा भले ही विश्वस्तरीय बनने की राह में है लेकिन उसके मानक भारत के राजभाषा विभाग से निर्धारित किये अनुसार ही आगे बढ़ाये जाते हैं।<span style="color:green;">☆★</span>[[u:संजीव कुमार|<u>'''<span style="color:Magenta;">संजीव कुमार</span>'''</u>]] ([[User talk:संजीव कुमार|<span style="color:blue;">✉✉</span>]]) 09:45, 13 अप्रैल 2014 (UTC)
:मैंने इस पर बहुत विचार किया। मुझे लगता है कि अफ़गानिस्तान शब्द सही है। इसलिए मैं अफ़गानिस्तान शब्द के लिए अपनी सहमति देता हूँ। कृपया इस पृष्ठ का नाम बदलकर अफ़गानिस्तान किया जाय।--<b>[[सदस्य:Prateekmalviya20|<font color="FF990">प्रतीक मालवीय</font>]]</b><sup>[[सदस्य वार्ता:Prateekmalviya20|<font color="green">वार्ता</font>]]</sup> 11:15, 14 अप्रैल 2014 (UTC)
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