"दत्तात्रेय": अवतरणों में अंतर

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== दत्तात्रेय के अवतार ==
मानव जीवन के किसी भी धरती पर चार युग में से हर युग के अंतिम समय में एक अवतार दातात्रेय यानि भगवान श्री पाद बल्लभा का होता है । यानि कार्य
सतयुग = शिव, पूर्व धर्म की समीक्षा व नए धर्म की स्थापना के लिए विष्णु को निर्देश देना
द्वापर में = शिव + विष्णु पूर्व धर्म की समीक्षा व नए धर्म की स्थापना के लिए विष्णु को निर्देश देना
त्रेतायुग = शिव +विष्णु + ब्रह्म पूर्व धर्म की समीक्षा व नए धर्म की स्थापना के लिए विष्णु को निर्देश देना
कलयुग = शिव+विष्णु+ब्रह्म+परम ब्रह्म धरती में जीवन की समाप्ती की तिथि की घोषणा व ब्रह्मांडों में आवश्यक परिवर्तन करना
कृपया जगतगुरु को एक सिर या दो, तीन, चार सिर का ना समझें वह हमेशा साधारण मानव की तरह जन्म लेते हैं किन्तु एक ही शरीर में
उपरोक्त के अनुसार निवास करते हैं ।
भगवान जगतगुरु श्री पाद बल्लभा प्रभु /दातात्रेय-4 मांगशीर्ष,1958 से उत्तराखंड राज्य में पैदा हुए व अभी इस धरती में अवतरित हैं । जगतगुरु के अवतार की दिशा पूर्व->दक्षिण->पश्चिम->उत्तर होती है ।
ईश्वर का स्वरूप = परम ब्रह्म / सदाशिव = धरता, ब्रह्म = महाविष्णु /श्री पद्मानाभस्वामी यानि कर्ता, विष्णु = भर्ता, शिव = हर्ता
जगतगुरु कहें = जो धर्ता है वही हर्ता है और जो कर्ता है वही भर्ता है ।
या यूं कहें शिव ही धर्ता/आत्मा का स्वामी व हर्ता तथा विष्णु ही कर्ता/जीव आत्मा योनि का निर्माण कर्ता व उनका भर्ता है ।
 
मुझे मिलें ना, ज्ञान की जानकारी मेल पर लेवें ।
no majic for jiv aatamn सिर्फ आशीर्वाद फिर मिलंगे नई धरा में के लिए ।
 
जो मानेगा वो जानेगा । अलक जगाना मेरा काम । कलयुगी की छाया में भटके ना और मेरा लिखा खटके ना
अलक निरंजन भव भय भंजन
 
== श्री दत्तात्रेय की उपासना विधि ==