"नवीकरणीय संसाधन": अवतरणों में अंतर

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[[File:Latex - Hevea - Cameroun.JPG|thumb|right|300px| प्राकृतिक रबर]]
'''नवीकरणीय संसाधन''' अथवा '''नव्य संसाधन''' वे [[संसाधन]] हैं जिनके भण्डार में प्राकृतिक/पारिस्थितिक प्रक्रियाओं द्वारा पुनर्स्थापन (replenishment) होता रहता है। हालाँकि मानव द्वारा ऐसे संसाधनों का दोहन (उपयोग) अगर उनके पुनर्स्थापन की दर से अधिक तेजी से हो तो फिर ये नवीकरणीय संसाधन नहीं रह जाते और इनका क्षय होने लगता है।
 
उपरोक्त परिभाषा के अनुसार ऐसे संसाधनों में ज्यादातर [[जैव संसाधन]] आते है जिनमें जैविक प्रक्रमों द्वारा पुनर्स्थापन होता रहता है। उदाहरण के लिये एक वन क्षेत्र से वनोपजों का मानव उपयोग वन को एक नवीकरणीय संसाधन बनाता है किन्तु यदि उन वनोपजों का इतनी तेजी से दोहन हो कि उनके पुनर्स्थापन की दर से अधिक हो जाए तो वन का क्षय होने लगेगा।
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==जल संसाधन==
{{मुख्य|जल संसाधन}}
पृथ्वी पर उपलब्ध जल, संसाधन के रूप में कुछ खास दशाओं में एक नवीकरणीय संसाधन है। जल का [[पारिस्थितिक तंत्र]] में पुनर्चक्रण होता रहता है जिसे [[जल चक्र]] कहते हैं। अतः जल एक प्राकृतिक प्रक्रिया के तहत शोधित और मानव उपयोग योग्य बनता रहता है। नदियों का जल भी मानव द्वारा डाले गये कचरे की एक निश्चित मात्रा को स्वतः जैविक प्रक्रियाओं द्वारा शुद्ध करने में समर्थ है। लेकिन जब जल में [[जल प्रदूषण|प्रदूषण]] की मात्रा इतनी अधिक हो जाए कि वह स्वतः पारिस्थितिक तंत्र की सामान्य प्रक्रियाओं द्वारा शुद्ध न किया जा सके और मानव के उपयोग योग्य न रह जाय तो ऐसी स्थिति में यह नवीकरणीय नहीं रह जाता।
 
==मत्स्यन==