"नाथूराम गोडसे": अवतरणों में अंतर

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क्या यह दायित्व [[जवाहर लाल नेहरू]] जो देश के प्रधान मन्त्री थे, अथवा [[सरदार पटेल]] जो गृह मन्त्री थे, उनका नहीं था? आखिर २० जनवरी १९४८ की पाहवा द्वारा [[महात्मा गाँधी]] की प्रार्थना-सभा में बम-विस्फोट के ठीक १० दिन बाद उसी प्रार्थना सभा में उसी समूह के एक सदस्य नाथूराम गोडसे ने गान्धी के सीने में ३ गोलियाँ उतार कर उन्हें सदा के लिये समाप्त कर दिया। यह सवाल बहुत पहले [[इन्दिरा गान्धी]] की मृत्यु के पश्चात सन १९८४<ref>[[स्वदेश (हिन्दी समाचारपत्र)]], [[ग्वालियर]] में प्रकाशित</ref><ref>राष्ट्रधर्म (साप्ताहिक), [[लखनऊ]] में प्रकाशित</ref> में ही उठाया था जो आज तक अनुत्तरित है।
 
== गान्धी-वधहत्या के कारण ==
गान्धी-वधहत्या के मुकद्दमें के दौरान न्यायमूर्ति खोसला से नाथूराम ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर सुनाने की अनुमति माँगी थी और उसे यह अनुमति मिली थी। नाथूराम गोडसे का यह न्यायालयीन वक्तव्य भारत सरकार द्वारा प्रतिबन्धित कर दिया गया था। इस प्रतिबन्ध के विरुद्ध नाथूराम गोडसे के भाई तथा गान्धी-वधहत्या के सह-अभियुक्त गोपाल गोडसे ने ६० वर्षों तक वैधानिक लडाई लड़ी और उसके फलस्वरूप [[सर्वोच्च न्यायालय]] ने इस प्रतिबन्ध को हटा लिया तथा उस वक्तव्य के प्रकाशन की अनुमति दी। नाथूराम गोडसे ने न्यायालय के समक्ष गान्धी-वध के जो १५० कारण बताये थे उनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: -
=== क्रमांकित सूची आइटम ===
# [[अमृतसर]] के [[जलियांवाला बाग|जलियाँवाला बाग़]] गोली काण्ड (१९१९) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के नायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाये। गान्धी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से स्पष्ठ मना कर दिया।