"देवर्षि रमानाथ शास्त्री": अवतरणों में अंतर

कनाश जी के सम्पादनों को अल्प सुधार के साथ वापस जोड़ा
छो बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की।
पंक्ति 41:
*पुष्टिमार्गीय नित्यसेवा स्मरण, प्रकाशक - श्रीवल्लभाचार्य जनकल्याण प्रन्यास, मथुरा, 1989
*अनुग्रह मार्ग (सुबोधिनीजी के अनुसार), प्रकाशक - श्रीवल्लभाचार्य जनकल्याण प्रन्यास, मथुरा, 1994
*शुद्धाद्वैत दर्शन (तीन भाग), प्रकाशक - विद्या विभाग, नाथद्वारा , नया संस्करण, 2000
 
उक्त ग्रंथों के अतिरिक्त उनके द्वारा लिखे अन्य प्रमुख ग्रंथों में “सिद्धांतरहस्यविवृत्ति”, “शुद्धाद्वैत सिद्धान्तसार” (हिन्दी – गुजराती), “त्रिसूत्री”, “गीता के सिद्धान्तों पर शांकर एवं वाल्लभ मत की तुलना”, “षोडशग्रन्थ टीका”, “स्तुतिपारिजातम्” (संस्कृत में), “दर्शनादर्शः” (संस्कृत में), “गीतातात्पर्य”, “श्रीमद्वल्लभाचार्य”, “भगवानक्षरब्रह्म”, “श्रीमद्भगवतगीता (हिन्दी अनुवाद)”, “राधाकृष्णतत्व”, “सुबोधिनीजी का हिन्दी विशद अनुवाद”, “छान्दोग्योपनिषद् भाष्यं (संस्कृत में) आदि ग्रन्थ भी सम्मिलित हैं। उन्होने सन् 1942 में “गीता की समालोचना” नामक ग्रन्थ लिखना प्रारम्भ किया जो उनके देहावसान के केवल एक सप्ताह पहले ही 1943 में पूरा हुआ।