"सामान्य आपेक्षिकता": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) छो वर्तनी सुधार |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: विराम चिह्नों के बाद खाली स्थान का प्रयोग किया। |
||
पंक्ति 10:
न्यूटन की शास्त्रीय भौतिकी में यह कहा जाता था कि ब्रह्माण्ड में हर जगह समय (काल) की रफ़्तार एक ही है। अगर आप एक जगह टिक कर बैठे हैं और आपका कोई मित्र प्रकाश से आधी गति की रफ़्तार पर दस साल का सफ़र तय करे तो, उस सफ़र के बाद, आपके भी दस साल गुज़र चुके होंगे और आपके दोस्त के भी। लेकिन आइनस्टाइन ने इस पर भी कहा कि यह विश्वास ग़लत है। जब कोई चीज़ गति से चलती है, उसके लिए समय धीरे हो जाता है और वह जितना तेज़ चलती है, समय उतना ही धीरे हो जाता है। आपका मित्र अगर अपने हिसाब से दस वर्ष तक रोशनी से आधी गति पर यात्रा कर के लौट आए, तो उसके तो दस साल गुज़रेंगे लेकिन आपके साढ़े ग्यारह साल गुज़र चुके होंगे।
आइनस्टाइन ने सापेक्षता सिद्धांत में दिखाया कि वास्तव में दिक् के तीन और काल का एक मिलाकर ब्रह्माण्ड में चार पहलुओं वाला दिक्-काल है जिसमे सारी वस्तुएं और उर्जाएँ स्थित होतीं हैं। यह दिक्-काल स्थाई नहीं है- न दिक् बिना किसी बदलाव के होता है और न यह ज़रूरी है कि समय का बहाव हर वस्तु के लिए एक जैसा हो। दिक्-काल को प्रभावित कर के उसे मरोड़ा, खींचा और सिकोड़ा जा सकता है और ऐसा ही ब्रह्माण्ड में होता
== मनुष्यों को दिक्-काल में बदलाव क्यों नहीं प्रतीत होता ==
|