[[चित्र:Chandrakanta.jpg|right|100px|thumb|मुखपृष्ठ]]'''चंद्रकान्ताचंद्रकांता संतति''', [[हिन्दी]] के शुरुआती [[उपन्यास|उपन्यासों]] में से है, जिसके लेखक बाबू [[देवकीनन्दन खत्री]] हैं। इसकी[[चन्द्रकान्ता]] की सफलता से उत्साहित होकर खत्री जी ने चन्द्रकान्ता संतति की रचना १९की। वींइसकी रचना 19वीं सदी के आखिरीअंत में हुई थी। यह उपन्यास अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था और कहा जाता है कि इसे पढनेपढ़ने के लियेलिए कई लोगों ने [[देवनागरी]] सीखी थी। यह [[तिलिस्म]] और [[ऐयारी]] पर आधारित है और इसका नाम नायिका के नाम पर रखा गया है।<ref>http://www.pustak.org/bs/home.php?bookid=31</ref>
== संक्षिप्त परिचय ==
== कथानक ==
चन्द्रकान्ताचंद्रकांता संतति को एक प्रेम कथा कहा जा सकता है। इस शुद्ध लौकिक प्रेम कहानी को, दो दुश्मन राजघरानों, [[नवगढ]]नौगढ़ और [[विजयगढ]]विजयगढ़ के बीच, प्रेम और घृणा का विरोधाभास आगे बढ़ाता है। विजयगढविजयगढ़ की [[राजकुमारी चंद्रकांता]] और नवगढनौगढ़ के [[राजकुमार विरेन्द्रवीरेंद्र विक्रम]]सिंह को आपस मे प्रेम है।है, लेकिन राज परिवारोंराजपरिवारों में दुश्मनी है। दुश्मनी का कारण है कि विजयगढविजयगढ़ के महाराज नवगढनौगढ़ के राजा को अपने भाई की हत्या का जिम्मेदार मानते है।हैं। हांलांकिहालांकि इसका जिम्मेदार विजयगढविजयगढ़ का महामंत्री [[क्रूर सिंह]] है, जो चंद्रकांता से शादी करने और विजयगढविजयगढ़ का महाराज बनने का सपना देख रहा है। राजकुमारी चंद्रकांता और राजकुमार विरेन्द्र विक्रमवीरेंद्र की प्रमुख कथा के साथ-साथ ऐयार तेजसिंह तथा ऐयाराऐयार चपला की प्रेम कहानी भी चलती रहती है। कथा का अंत नौगढ़ के राजा सुरेन्द्र सिंह के पुत्र वीरेन्द्र सिंहवीरेंद्र तथा विजयगढ़ के राजा जयसिंह की पुत्री चन्द्रकांताचंद्रकांता के परिणय से होता है।
== इन्हें भी देखें ==
== समीक्षा ==
* [[चन्द्रकान्ता]]
उपन्यास का आकर्षण हैं तिलिस्मी और ऐयारी के अनेक चमत्कार जो पाठक को विस्मित तो करते ही हैं, रहस्य निर्मित करते हुए उपन्यास को रोचकता भी प्रदान करते हैं। क्रूर सिंह की षडयन्त्र और वीरेन्द्र विक्रम के पराक्रम के वर्णन काफ़ी रोचक बन पड़े हैं।
* [http://www.ndtvkhabar.com/DharmandSahityaListing.aspx?SubSectionName=Chandrakanta%20Santati '''एनडीटीवी खबर''' पर '''चन्द्रकान्ता संतति''' कई किस्तों में]