आजकल अक्सर अखबारों में खबर देखता हु की भारत में हर जगह अनाज की बर्बादी हो रही है।
*[[वाघा]] बॉर्डर के पाकिस्तानी तरफ़ आत्मघाती हमला, 60 की मौत और अन्य 200 घायल। ([http://khabar.ndtv.com/news/world/at-least-60-killed-in-suicide-attack-at-wagah-border-in-pakistan-688048?update=1414992920 एनडीटीवी इंडिया])
एक तरफ 25 करोड़ लोगो को दो टाइम का खाना भी नसीब नही होता दूसरी तारीफ लाखो टन आनाज बर्बाद हो जाता है।बड़ी तकलीफ होती है।
फिर मन में सवाल उठता है आखिर क्यों होती है ये बर्बादी?
दरसल गेहूं सड़ता नहीं सडाया जाताहै ...!फिर उसको कौड़ियों के भाव अपने अरबपति आकाओं की शराब बनाने वाली कंपनियों कोबेच दिया जाता है...!
इस देश में करोड़ों लोगों ऐसे हैं जिनको पूरे जीवन में एक बारभी भरपेट भोजन नसीब नहीं होता, कल पेट भर के खायेंगेइसी आस में उनकी जिंदगी कटजाती है... !
दूसरी तरफ वह गेंहूँ ....जिसपरसरकारी सब्सिडी दी जाती है...वह गेंहूँ ... जिसे ऊँचे दामों पर सरकार खरीदती हैवह गेंहूँ.....जो राशन की दुकानों से होता हुआ सस्ते दर परगरीबों की थाली तक जाना चाहिए ..वही गेंहूँ ....बारिश की बूंदों के साथ रिस रिस कर शराब की हरी नीली बोतलों मेंसीलबंद होकर प्यालों में नाचने लगता है....!