"तानाजी मालुसरे": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Tanaji Malusare.jpg|right|thumb|300px|तानाजी की प्रतिमा]]
'''तानाजी मालुसरे''' [[शिवाजी]] के घनिष्ठ मित्र और वीर निष्ठावान सरदार थे। अपने बेटे की शादी जैसे महत्वपुर्ण कार्य को दुय्यम समझते हुए उन्होने शिवाजी महाराज की इच्छा का मान रखते हुए कोंढाणा किला जितना ज्यादा जरुरी समझा । इस लडाईमें किला तो "स्वराज्य"में शामिल हो गया लेकीन तानाजी वीरगती को प्राप्त हुए । छत्रपती शिवाजी महाराजने जब यह खबर सुनी तो वो बोल पडे "गढ़ तो जिता, लेकीन "सिंह" नही रहा (मराठी - गड आला पण सिंह गेला)।
'''तानाजी मालुसरे''' [[शिवाजी]] के घनिष्ठ मित्र और वीर निष्ठावान सरदार थे। उनको 'सिंह' भी कहते हैं।
 
== इन्हें भी देखें==