"जीव": अवतरणों में अंतर
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{{नाम बदलें|[[जीव (धर्म)]]|ज्यादा उपयुक्त नाम}}
'''जीव''' शब्द का प्रयोग जीवित प्राणियों के लिए किया जाता है। जीव शब्द का प्रयोग [[जीव विज्ञान]] में सभी जीवन-सन्निहित प्राणियों के लिए किया जाता हैं। [[जैन ग्रंथों]], हिन्दू धर्म ग्रंथो [वैदिक (औपनिषदिक)], बौद्धधर्म एवं सूफी धर्म ग्रंथो में इस शब्द का प्रयोग किया गया हैं।
== जीव विज्ञान ==▼
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अंग्रेजी भाषा में जीव के लिए क्रिएचर, ओर्गनिज्म शब्द प्रयुक्त होते हैं।▼
== धार्मिक परिपेक्ष ==
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अद्वैतवादी औपनिषदिक परंपरा, श्रमण परंपरा (बौद्ध-जैन) एवं सूफी परंपरा के अनुयायी ज्ञान मार्ग का अनुसरण करते हैं। ज्ञातव्य है कि भक्तिमार्ग का पथिक सेवक-सेव्य भाव अपनाकर परम लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है। इस मार्ग का पथिक स्वयं को सेवक और ईश्वर को सेव्य मानता है। इसी प्रकार ज्ञानमार्गका पथिक अपनी साधना के बल पर परम लक्ष्य (मोक्ष, निर्वाण, कैवल्य) की सिद्धि करता है; आत्मसाक्षातकरता है; परमसत्यका दर्शन करता है। अद्वैतमार्गानुगामीसाधक की दृष्टि में ईश्वर एवं जीव का भेद ही समाप्त हो जाता है। जीव ही ईश्वर का रूप धारण कर लेता है।
▲== जीव विज्ञान ==
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▲अंग्रेजी भाषा में जीव के लिए क्रिएचर, ओर्गनिज्म शब्द प्रयुक्त होते हैं।
==सन्दर्भ==
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==सन्दर्भ सूची==
*{{citation|last=जैन|first=विजय कुमार|title=आचार्य कुन्दकुन्द समयसार|url=https://books.google.com/books?id=LwPT79iyRHMC|year=२०१२|publisher=Vikalp Printers|isbn=978-81-903639-3-8|quote=Non-Copyright}}
*{{citation|last1=जैन|first1=विजय कुमार|title=आचार्य उमास्वामी तत्तवार्थसूत्र|url=https://books.google.com/books?id=zLmx9bvtglkC|year=२०११|publisher=Vikalp Printers|isbn=978-81-903639-2-1}}
{{हिन्दू धर्म}}
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