"ठुमरी (कथासंग्रह)": अवतरणों में अंतर

No edit summary
छो replace archive.today -> archive.is (domain archive.today blocked by onlinenic)
पंक्ति 4:
Kalpakāra Prakāśana, 1977</ref> ठुमरी नामक इस कथा संग्रह में विविध प्रकार की कहानियाँ हैं और ठुमरी शीर्षक से कोई कहानी न होते हुए भी इसीलिए लेखक ने इसका नाम [[ठुमरी]] नमक गायन विधा के नाम पर रखा है जिसमें मिश्रित भावों और रागों का निरूपण होता है, क्योंकि यह संग्रह विविध प्रकार और भाव वाली कहानियों का संग्रह है।<ref>[https://books.google.co.in/books?id=dHw6AAAAIAAJ&q=%E0%A4%A0%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80+%E0%A4%AB%E0%A4%A3%E0%A5%80%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0&dq=%E0%A4%A0%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80+%E0%A4%AB%E0%A4%A3%E0%A5%80%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0&hl=en&sa=X&ei=H1aSVPGLINGNuATy_IDoAQ&ved=0CC4Q6AEwAg Śīrāzā Hindī, Volume 20]</ref>
 
इस कथा संग्रह की सर्वाधिक प्रसिद्द कहानी तीसरी कसम<ref>[httpshttp://archive.todayis/20120630204807/http://www.uiowa.edu/~linguist/faculty/davison/PREFACE.pdf तीसरी कसम का अंग्रेज़ी अनुवाद - The Third Vow]</ref> है जिस पर [[शैलेन्द्र]] ने एक फ़िल्म का निर्माण किया जी इसी [[तीसरी कसम (1966 फ़िल्म)|तीसरी कसम]] नाम से है और जिसमें [[राज कपूर]] तथा [[वहीदा रहमान]] मुख्य भूमिकाओं में हैं।
 
इस संग्रह की एक अन्य कहानी पंचलाइट काफ़ी लोकप्रिय रही और यह कई जगह [[हिन्दी कहानी]] के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी है।