"हकीकत राय": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
एकहकीकत दिनराय नाम का बालक हकीकतथा रायधर्म केपरायण साथऔर कुछवीर। मुस्लिममुगल बालकोंका नेराज़ झगडाथा। कियाएक औरमदरसे मे पढता था वह वीर बालक, एक दिन साथ के कुछ मुस्लिम बच्चे उसे चिढानेचिडाने के लिए हिंदू देवी देवताओ को गाली देने लगे।लगे उस सहनशील बालक ने कहा अगर यह सब मैं बीबी फातिमा के लिए कहू तो तुम्हे कैसा लगेगा। इतना सुन कर हल्ला मच गया किकी हकीकत ने गाली दी।दी, बात बढ़ी,बड़ी काजी तक पहुची फ़ैसला सुनाया गया।गया इस्लाम स्वीकार कर लो या मरो। उस बालक ने कहा मैंने कुछ गलत नही कहा मैं इस्लाम नही स्वीकार करूँगा। लाहौर के नवाब ने भी इसी निर्णय की पुष्टि की। सन १९३४ में [[वसंत पंचमी]] के दिन ही उस वीर हकीक़त राय का तलवार से सर काटकर उसकी हत्या का दी गई। वह शहीद हो गया। वीर हकीकत ने बलिदान कर दिया लेकिन धर्म से नही डिगा।
हकीकत राय नाम का बालक था धर्म परायण और वीर। इस बालक का जन्म सन १७१९ में पंजाब के शहर सियालकोट में हुआ था। इसके पिता का नाम भागमल तथा माता का नाम कौरा देवी था. उस समय भारत में मोहम्मद शाह रंगीला का राज़ था। बालक हकीकत राय को सात वर्ष की आयु में एक मदरसे मे पढ़ने के लिए भेजा गया। बालक हकीकत का विवाह सन १७३२ में बटाला की लक्ष्मी देवी से हुआ था।
 
एक दिन बालक हकीकत राय के साथ कुछ मुस्लिम बालकों ने झगडा किया और उसे चिढाने के लिए हिंदू देवी देवताओ को गाली देने लगे। उस सहनशील बालक ने कहा अगर यह सब मैं बीबी फातिमा के लिए कहू तो तुम्हे कैसा लगेगा। इतना सुन कर हल्ला मच गया कि हकीकत ने गाली दी। बात बढ़ी, काजी तक पहुची फ़ैसला सुनाया गया। इस्लाम स्वीकार कर लो या मरो। उस बालक ने कहा मैंने कुछ गलत नही कहा मैं इस्लाम नही स्वीकार करूँगा। लाहौर के नवाब ने भी इसी निर्णय की पुष्टि की। सन १९३४ में [[वसंत पंचमी]] के दिन ही उस वीर हकीक़त राय का तलवार से सर काटकर उसकी हत्या का दी गई। वह शहीद हो गया। वीर हकीकत ने बलिदान कर दिया लेकिन धर्म से नही डिगा।
[[वसंत पंचमी]] के दिन ही उस वीर हकीक़त राय को कत्ल कर दिया गया। वह शहीद हो गया। उसने बलिदान कर दिया लेकिन धर्म से डिगा नही।
 
[[श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन]]