"मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर": अवतरणों में अंतर
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यह विवाह एवं भगवान विष्णु को शांत कर मनाना, दोनों को ही मदुरई के सबसे बडे़ त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, जिसे '''चितिरई तिरुविझा''' या '''अझकर तिरुविझा''', यानि सुन्दर ईश्वर का त्यौहार
।<ref>{{cite web | url = http://www.indiantemples.com/Tamilnadu/Madurai/festival1.html
|title = "Madurai - Chitrai festival}}</ref>
इस दिव्य युगल द्वारा नगर पर बहुत समय तक शासन किया गया। यह वर्णित नहीं है, कि उस स्थान का उनके जाने के बाद्, क्या हुआ? यह भी मना जाता है, कि [[इन्द्र]] को भगवान शिव की मूर्ति शिवलिंग रूप में मिली और उन्होंने मूल मन्दिर बनवाया। इस प्रथा को आज भी मन्दिर में पालन किया जाता है ― त्यौहार की शोभायात्रा में इन्द्र के वाहन को भी स्थान मिलता है।
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== उत्सव एवं त्यौहार ==
इस मन्दिर से जुड़ा़ सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है '''मीनाक्षी तिरुकल्याणम''', जिसका आयोजन चैत्र मास (अप्रैल के मध्य) में होता है। इस उत्सव के साथ ही [[तमिल नाडु]] के अधिकांश मन्दिरों में वार्षिक उत्सवों का आयोजन भी होता है। इसमें अनेक अंक होते हैं, जैसे कि '''रथ-यात्रा''' (तेर तिरुविझाह) एवं '''नौका उत्सव''' (तेप्पा तिरुविझाह)। इसके अलावा अन्य हिन्दु उत्सव जैसे '''नवरात्रि '''एवं''' शिवरात्रि''' भी यहाँ धूम धाम से मनाये जाते हैं। तमिलनाडु के सभी शक्ति मन्दिरों की भांति ही, तमिल माहीने '''आदि''' (जुलाई १५-अगस्त १७) और '''तै''' (जनवरी १५ से फ़रवरी १५) में आने वाले सभी [[शुक्रवार]] बडे़ हर्षोल्लस के साथ मनाए जाते हैं। मन्दिरों में खूब भीड़ होती है।
[[चित्र:An aerial view of Madurai city from atop of Meenakshi Amman temple.jpg|center|thumb|600px|मीनाक्षी मन्दिर के ठीक ऊपर से लिया गया हवाई दृष्य]]
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