"राखीगढ़ी": अवतरणों में अंतर
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दुनिया के सबसे बड़े एवं पुराने सिंधु घाटी सभ्यता के स्थलों में एक राखीगढ़ी तेज आर्थिक विकास के उफान के कारण विलुप्ति के कगार पर पहुँच गया है। पुरातत्ववेत्ताओं ने हरियाणा स्थित राखीगढ़ी की खोज 1963 ई. में की थी। विश्व विरासत कोष की मई 2012 रिपोर्ट में 'ख़तरे में एशिया के विरासत स्थल' में 10 स्थानों को चिह्नित किया है। रिपोर्ट में इन 10 स्थानों को 'अपूरणीय क्षति एवं विनाश' के केन्द्र करार दिया गया है। इनमें हरियाणा में स्थित राखीगढ़ी भी है। भारतीय पुरातत्व विभाग ने राखीगढ़ी में खुदाई कर एक पुराने शहर का पता लगाया था और तकरीबन 5000 साल पुरानी कई वस्तुएँ बरामद की थीं। राखीगढ़ी में लोगों के आने जाने के लिए बने हुए मार्ग, जल निकासी की प्रणाली, बारिश का पानी एकत्र करने का विशाल स्थान, कांसा सहित कई [[धातु|धातुओं]] की वस्तुएँ मिली थीं।
==== ख़तरे में एशिया के विरासत स्थल ====
विश्व विरासत कोष ने इस सूची में ख़तरे में जिन स्थलों को रखा है, उनमें काशगर भी शामिल है, जो [[चीन]] के अंतिम [[रेशम मार्ग]] स्थलों में है। इसके अलावा [[अफ़ग़ानिस्तान]] स्थित मेस आयनाक भी है, जो प्राचीन बौद्ध मठ है। इसमें [[थाइलैंड]] में स्थित अयुथ्या, फ़िलीपींस का क़िला सेंटियागो, [[बांग्लादेश]] स्थित महाष्टंगण, [[म्यांमार]] स्थित म्यूक-यू, [[कंबोडिया]] स्थित प्रीह विहियर आदि हैं। विश्व विरासत कोष के कार्यकारी निदेशक जेफ़ मोरगन ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि ख़तरे में विरासत के 10 स्थल एशिया में अलग-अलग स्थानों पर हैं। इन स्थानों पर पुरातन विरासत है।
== संदर्भ ==
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