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कविताकोश की कड़ी
 
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जो पुस्तकों के संपदन का काम करता है वह जानता है कि हरेक कभी-कभी वर्तनी ग़लतियाँ करता है और अपनी ग़लतियाँ देख सकता नहीं है। मुझे आनंद हो कि भूलें ठीक करने में सहायता देकर मैं अपनी हिंदी सुधार भी सकूँ।
 
आप कुछ मेरी कविताएँ [http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%87%E0%A4%95_%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B0 कविताकोश] में पढ़ सकते हैं।
 
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