"सालासर बालाजी": अवतरणों में अंतर

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श्रावण शुक्लशुक्लपक्ष नवमी, संवत् 1811 - शनिवार को एक चमत्कार हुआ। नागपुर जिले में असोटा गाँव का एक गिन्थाला-जाट किसान अपने खेत को जोत रहा था।
अचानक उसके हल से कोई पथरीली चीज़ टकरायी और एक गूँजती हुई आवाज पैदा हुई। उसने उस जगह की मिट्टी को खोदा और उसे मिट्टी में सनी हुई दो मूर्त्तियाँ मिलीं।
उसकी पत्नी उसके लिए भोजन लेकर वहाँ पहुँची। किसान ने अपनी पत्नी को मूर्त्ति दिखायी। उन्होंने अपनी साड़ी (पोशाक) से मूर्त्ति को साफ़ की।