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महाकाव्यों में श्रावस्ती का विशद वर्णन मिलता है।
 
वायु पुराण और वाल्मीकि रामायण में वर्णन है कि रामचंद्र जी ने (दक्षिण कोसलकोशल का अपने पुत्र कुश को और उत्तर कोसलकोशल का लव को राजा बनाया था। रामायण के अनुसार लव की राजधानी श्रावस्ती में थी, मधुपुरी में शत्रुघ्न को सूचना मिली कि लव के लिए श्रावस्ती नामक नगरी राम ने बसाईबसायी है और अयोध्या को जनहीन करके उन्होंने स्वर्ग जाने का विचार किया है। इस वर्णन से प्रतीत होता है कि श्रीराम के स्वर्गारोहण के पश्चात अयोध्या उजड़ गईगयी थी और कोसलकोशल की नईनयी राजधानी श्रावस्ती में बनाईबनायी गईगयी थीं। रामायण में दो कोशल नगरों की चर्चा है:-
उत्तर कोशल जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी,
दक्षिण कोशल जिसकी राजधानी कुशावती थी।
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वायु पुराण के अनुसार श्रावस्तक के पिता का नाम अंध था। मत्स्य और ब्रह्म पुराणों में श्रावस्त या श्रावस्तक को युवनाश्व का पुत्र और अद्र का पौत्र कहा गया है।
महाभारत में इनसे अलग सूचना मिलती है। इसमें श्रावस्तक को श्राव का पुत्र तथा युवनाश्व का पौत्र कहा गया है। कुछ पुराणों में श्रवस्तक या श्रावस्तक को युवनाश्व का पुत्र और अद्र का पौत्र कहा गया है।
कालिदास ने रघुवंश में लव को 'शरावती' नामक नगरी का राजा बनाया जाना लिखा है। इस उल्लेख में 'शरावती', निश्चय रूप से श्रावस्ती का ही उच्चारण भेद है। श्रावस्ती की स्थापना पुराणों के अनुसार, 'श्रवस्त' नाम के सूर्यवंशी राजा ने की थी |थी। लव ने यहाँ कोसलकोशल की नईनयी राजधानी बनाईबनायी और श्रावस्ती धीरे-धीरे उत्तर कोसलकोशल की वैभवशालिनी नगरी बन गई।गयी।
 
[[श्रेणी:पवित्र शहर]]