"उद्यमिता": अवतरणों में अंतर
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'''उद्यमिता''' (entrepreneurship) नये संगठन आरम्भ करने की भावना को कहते हैं। किसी वर्तमान या भावी अवसर का पूर्वदर्शन करके मुख्यतः कोई व्यावसायिक संगठन प्रारम्भ करना '''उद्यमिता''' का मुख्य पहलू है। उद्यमिता में एक तरफ भरपूर लाभ कमाने की सम्भावना होती है तो दूसरी तरफ अनिश्चितता और अन्य खतरे की भी प्रबल संभावना होती है।
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जीवित रहने के लिए पैसा कमाना आवश्यक होता है। अध्यापक स्कूल में पढ़ाता है, श्रमिक कारखाने में काम करता है, डॉक्टर अस्पताल में प्रैक्टिस करता है, क्लर्क बैंक में नौकरी करता है, मैनेजर किसी व्यावसायिक उपक्रम में कार्य करता है - ये सभी जीविका कमाने के लिए कार्य करते हैं। ये उन लोगों के उदाहरण हैं, जो कर्मचारी हैं तथा वेतन अथवा मजदूरी से आय प्राप्त करते हैं। यह मजदूरी द्वारा रोजगार कहलता है। दूसरी ओर एक दुकानदार, एक कारखाने का मालिक, एक व्यापारी, एक डॉक्टर, जिसका अपना दवाखाना हो, इत्यादि अपने व्यवसाय से जीविका उपार्जित करते हैं। ये उदाहरण हैं [[स्वरोजगार]] करने वालों के। फिर भी, कुछ ऐसे भी स्वरोजगारी लोग हैं, जो न केवल अपने लिए कार्य का सृजन करते हैं बल्कि अन्य बहुत से व्यक्तियों के लिए कार्य की व्यवस्था करते हैं। ऐसे व्यक्तियों के उदाहरण हैं : टाटा, बिरला आदि जो प्रवर्तक तथा कार्य की व्यवस्था करने वाले तथा उत्पादक दोनों हैं। इन व्यक्तियों को उद्यमी कहा जा सकता है।
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