"मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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आधुनिक ढांचे का इतिहास सही सही अभी ज्ञात नहीं है, किन्तु तमिल साहित्य के अनुसार, कुछ शताब्दियों पहले का बताया जाता है। तिरुज्ञानसंबन्दर, प्रसिद्ध हिन्दु [[शैव]] मतावलम्बी संत ने इस मन्दिर को आरम्भिक सातवीं शती का बताया है औरिन भगवान को '''आलवइ इरैवान''' कह है।<ref name="आधिकारिक स्थल">{{cite web
|url = http://www.maduraimeenakshi.org
|title = आधिकारिक मन्दिर जालस्थल}}</ref> इस मन्दिर में मुस्लिम शासक मलिक कफूर ने 1310 में खूब लूटपाट की थी।<ref name = "आधिकारिक स्थल"/> और इसके प्राचीन घटकों को नष्ट कर दिया। फिर इसके पुनर्निर्माण का उत्तरदायित्व [[आर्य नाथ मुदलियार]] (1559-1600 A.D.), मदुरई के प्रथम नायक के प्रधानमन्त्री, ने उठाया। वे ही 'पोलिगर प्रणाली' के संस्थापक थे। फिर तिरुमलय नायक, लगभग 1623 से 1659 का सर्वाधिक मूल्यवान योगदान हुआ। उन्होंने मन्दिर के वसंत मण्डप के निर्माण में उल्लेखनीय उत्साह दिखाया।दिखाया
 
== मन्दिर का ढाँचा ==