"हाइकु दर्पण": अवतरणों में अंतर

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दुनिया की सबसे छोटी मात्र १७ अक्षर की कविता हाइकु कविता है। दुनिया की सबसे छोटी मात्र १७ अक्षर की कविता हाइकु कविता है। हाइकु मूलतः जापानी कविता है। हिन्दी में हाइकु कविता का प्रारम्भ अज्ञेय की जापान यात्रा से वापसी के समय उनके द्वारा किए गए जापानी हाइकु कविताओं के अनुवाद से होता है। जवाहरलाल विश्वविद्यालय दिल्ली में कार्यरत भारत के पहले जापानी भाषा के प्रोफेसर सत्यभूषण वर्मा ने भारत मे हिन्दी हाइकु का प्रचार प्रसार किया। उन्हीं की प्रेरणा से हाइकु दर्पण पत्रिका का शुभारम्भ हुआ।
दुनिया की सबसे छोटी मात्र १७ अक्षर की कविता हाइकु कविता है।