"अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Ekamukhalinga_(Shiva_linga_with_one_face),_Jammu_and_Kashmir_or_Afghanistan,_Shahi_Period,_9th_century_-_Royal_Ontario_Museum_-_DSC09652.JPG|दाएँ|अंगूठाकार|एक मुखी लिंग (शिव लिंग के साथ एक मुख), अफगानिस्तान]]
[[चित्र:Kabul_Museum_statue_2.jpg|दाएँ|अंगूठाकार|काबुल संग्रहालय मूर्ति]]
'''अफगानिस्तान में हिंदूत्व'''  का अभ्यास एक छोटे से अल्पसंख्यक अफगानी दल द्वारा होता है। हिन्दुत्व में विश्वास रखने वालें 1,000 के समीप व्यक्ति अधिकतर [[काबुल]] और  देश के अन्य प्रमुख नगरों में रहते हैं।<ref name="rfi">[http://www.rfi.fr/actuen/articles/119/article_5843.asp Sikhs struggle for recognition in the Islamic republic], by Tony Cross. </ref><ref>[http://news.in.msn.com/international/article.aspx?cp-documentid=250427553 Minority Hindu and Sikh population shrinking in Afghanistan:US]</ref><ref>Legal traditions of the world: sustainable diversity in law, H. Patrick Glenn Edition 3, Oxford University Press, 2007</ref><ref>{{Cite<cite web|titleclass=Dark"citation days continue for Sikhs and Hindus in Afghanistan|url=web">[http://www.hindustantimes.com/chandigarh/dark-days-continue-for-sikhs-and-hindus-in-afghanistan/article1-1255023.aspx|publisher=Hindustan Times|accessdate=12"Dark Maydays 2015|access-date=12continue Mayfor 2015}}Sikhs and Hindus in Afghanistan"]. </cite></ref>
 
अफगानिस्थान पर इस्लामीयों की विजय से पूर्व अफगानिस्थान की जनता बहु-धार्मिक थी। बहुमत के अनुयायी [[हिन्दू धर्म|हिंदू धर्म]] और [[बौद्ध धर्म]]<ref>Al-Hind, the Making of the Indo-Islamic World: Early medieval India and the expansion of Islam, 7th-11th centuries, Volume 1 of Al-Hind, the Making of the Indo-Islamic World, André Wink, ISBN 90-04-09509-8, Publisher BRILL, 1990.</ref> के थे। 11 वीं सदी में अधिकांश [[मन्दिर|हिन्दू मंदिरों]] को नष्ट कर दिया गया या [[मस्जिद|मस्जिदों]] में परिवर्तित कर दिया गया।
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हिंदू धर्म का वहाँ आरम्भ कब हुआ इसकी कोई विश्वसनीय जानकारी नहीं है, परन्तु इतिहासकारों का मन्तव्य है कि, प्राचीन काल में दक्षिण [[हिन्दु कुश|हिन्दू कुश]] का क्षेत्र सांस्कृतिक रूप से [[सिंधु घाटी सभ्यता]] के साथ जुड़ा था। पक्षान्तर में, अधिकांश इतिहासकारों का कहना है कि, वंश परम्परा से अफगानिस्तान प्राचीन आर्यनों का निवास स्थान था, जो 330 ई. पू [[सिकंदर महान]] और उनकी ग्रीक सेना के आने से पूर्व [[हख़ामनी साम्राज्य]] के अधीन हो गया था। तीन वर्ष के पश्चात् सिकन्दर के प्रस्थान के बाद सेलयूसिद साम्राज्य का अंग बन गया। 305 ईसा पूर्व, यूनानी साम्राज्य ने भारत के [[मौर्य राजवंश|मौर्य साम्राज्य]] के साथ सन्धि करके दक्षिण हिन्दू कुश का नियन्त्रण समर्पित कर दिया।
 
5 वीं और 7 वीं शताब्दी के मध्य में जब चीनी यात्री [[फ़ाहियान]], गीत यूं और [[ह्वेन त्सांग]] ने अफगानिस्तान की यात्रा की थी, तब उन्होंने कई यात्रा वृत्तांत लिखे थे, जिनमें अफगानिस्तान पर विश्वसनीय जानकारी संकलित हुई थी। उन्होंने कहा कि, उत्तर में [[आमू दरिया|अमू दरिया]] (ऑक्सस् नदी) और [[सिन्धु नदी|सिंधु नदी]] के मध्य के विभिन्न प्रान्तों में बुद्धधर्म का अनुसरण होता था।<ref name="Habibi">{{Cite<cite class="citation web|url=">[http://www.alamahabibi.com/English%20Articles/E-Chinese_Travelers.htm|title= "Chinese Travelers in Afghanistan|work=[[Abdul Hai Habibi"]]|publisher=alamahabibi.com|year=1969|accessdate=August 9, 2012|access-date=August 9, 2012}}</cite></ref> यद्यपि, उन्होंने हिन्दुत्व के विषय में अधिक उल्लेख नहीं किया था, तथापि गीत यूं ने उल्लेख किया था कि, हेफथलाइट् (Hephthalite) शासकों ने कभी बौद्ध धर्म को नहीं जाना, किन्तु "उन्होंने छद्म देवताओं का प्रचार किया और पशुओं का उनके मांस के लिए आखेट किया"।<ref name="Habibi">{{Cite<cite web|urlclass="citation web">[http://www.alamahabibi.com/English%20Articles/E-Chinese_Travelers.htm|title= "Chinese Travelers in Afghanistan|work=[[Abdul Hai Habibi"]]|publisher=alamahabibi.com|year=1969|accessdate=August 9, 2012|access-date=August 9, 2012}}</cite></ref> चीनी भिक्षुगण बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। अतः यह संभव है कि, किसी अन्य धर्म के विषय में लिखने में उनकी रुचि न हो।इसके अतिरिक्त, युद्धनायको और दस्युओं (डाकु, bandit) के कारण अफगानिस्तान क्षेत्र की यात्रा उनके लिये अत्यन्त सङ्कटपूर्ण थी।<ref name="Habibi">{{Cite<cite class="citation web|url=">[http://www.alamahabibi.com/English%20Articles/E-Chinese_Travelers.htm|title= "Chinese Travelers in Afghanistan|work=[[Abdul Hai Habibi"]]|publisher=alamahabibi.com|year=1969|accessdate=August 9, 2012|access-date=August 9, 2012}}</cite></ref>
 
=== काबुल शाही और झुन्बिलझूनबिल राजवंश ===
[[चित्र:Kabul_ganesh_khingle.jpg|अंगूठाकार|310x310पिक्सेल|पाँचवी शताब्दी में मारबल की गणेश मूर्ति अफगानिस्थान के [[गरदेज़|गरदेज]] से प्राप्त हुई थी। अभी वो मूर्ति काबुल के दरगाह पीर रतन नाथ में है। शिलालेखों के अनुसार इस "महागणेश की उत्कृष्ट और सुन्दर मूर्ति" को हेफथलाइट् (Hephthalite) वंश के शासक खिंगल ने स्थापित की थी।<ref>For photograph of statue and details of inscription, see: Dhavalikar, M. K., "Gaņeśa: Myth and Reality", in: {{Harvnb|Brown|1991|pp=50,63}}.</ref>]]
स्लामीयों के अफगानिस्तान विजय से पूर्व वहाँ विभिन्न धार्मिक परम्परायें थी, जिन में [[पारसी]] धर्म (उत्तरपूर्वी क्षेत्र में), पेगन-मत (मूर्तिपूजा पद्धति) (दक्षिण और पूर्व में), [[बौद्ध धर्म]] (दक्षिणपूर्वी क्षेत्र में) और [[हिन्दू धर्म]] ([[काबुल]] और अन्य कई स्थानों पर) का समावेश होता है। [[फारसी]], खलजी, [[तुर्की]] और अफगानी जैसे कई लोगों का निवास स्थान [[अफगानिस्थान]] था। दक्षिणक्षेत्र के हफखाली-वंशी झूनबिल् और एपिगोनी लोगों द्वारा दक्षिण [[हिन्दू कुश]] पर शासन किया गया था। पूर्व भाग पर काबुल शाहों का वर्चस्व था। झूनबिल और कालुल शाहों का सम्बन्ध सभी [[भारतीय उपमहाद्वीप|भारतीय  उपमहाद्वीपी]]<nowiki/>य संस्कृति के साथ था। झूनबिल् राजा [[सूर्य]] भगवान् की पूजा करते थे, जिन्हें वे झून नाम से जानते थे और इसी शब्द से उनके वंश का नाम समुत्पन्न हुआ। कुछ वर्तमानकालीन इतिहासविदों ने अनुचित अनुमान किया है कि, जो लोग मूर्ति पूजा करते हैं, वे सभी हिन्दू होते हैं। उदाहरण के रूप में आन्द्रे विन्क् लिखते हैें कि, "झून लोगों का पंथ मूलरूप से हिन्दु था। उसे बौद्ध या [[पारसी]] नहीं।" <ref name="Wink">André Wink, "Al-Hind: The Making of the Indo-Islamic World", Brill 1990. p 118</ref> सभी मूर्ति पूजकों को हिन्दूत्व का भाग नहीं माना जाना चाहिये। मूर्तिपूजा सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त है, जिस में [[मक्का]] और [[साउदी अरब]] भी अन्तर्भूत होते हैं। <ref name="Wink">André Wink, "Al-Hind: The Making of the Indo-Islamic World", Brill 1990. p 118</ref>
 
653-4 AD में अब्दुल् रहमान् बिन् समारा ने 6,000 अरबी मुस्लिम के साथ झूनबिल-वंशीयों की सीमा को पदाक्रान्त किया और झमिनदवार में स्थित झून मन्दिर (सूर्य मन्दिर) पर्यन्त पहुंच गये। अफगानिस्थान में स्थित आज के [[हेलमन्द प्रान्त]] जो प्राचीन काल में मुसा कुला (आज एक मुसा कुला नगर भी है वहां।) नाम से प्रसिद्ध था, उससे तीन माइल् दूर झमिनदवार था ऐसा माना जाता है। अरब सेना के सेनापति ने उस मन्दिर की "सूर्य मूर्ति के हाथ खण्डित कर दिये और मूर्ति की आँखों में स्थित [[कुरुविंद|कुरुविन्द]] (ruby) को नीकाल दिया। सिस्तान के मर्झबान् के भगवान् की अनुपयोगिता को सिद्ध करने के लिये ऐसा किया गया था"।<ref>André Wink, "Al-Hind: The Making of the Indo-Islamic World", Brill 1990. p 120</ref>   
== सन्दर्भ ==
 
{{Reflist}}
काबुल शाही शासकों ने उत्तरीय झूनबिल क्षेत्र में शासन किया था, जिस में [[काबुलिस्तान]] और [[गांधार (जनपद)|गान्धार जनपद]] भी अन्तर्भूत होते हैं। अरबी लोग काबुल तक इस्लाम के संदेश के साथ पहुंचें, परन्तु वो वहाँ अधिक शासन करने में सक्षम नहीं हुए। काबुल शाहों ने नगर के चारों ओर विशाल भित्ती (wall) बनाने का निर्णय लिया, जिससे अरबों द्वारा किये जाने आक्रमणों से बचा जा सके। वो भित्ती आज भी उपस्थित है। <ref><cite class="citation news">"The Kabul Times Annual". </cite></ref>
 
2002 नामक अपनी पुस्तक में विलियम् वोगेल्सन्ग् लिखते हैं कि, "आठवीं और नौवीं शताब्दी के काल में आधुनिक अफगानिस्तान के पूर्वक्षेत्रीय पान्तों पर गैर-मुस्लिम शासकों का राज्य था। यद्यपि उन में से कई स्थानीय शासक हुन्निक या तुर्की वंशीय थे, तथापि मुसलमानों नें उन्हें हिन्दु ही मानते। पूर्वीय अफगानिस्थानीयों के सन्दर्भ में आज मुसलमानों का वो अनुमान उचित सिद्ध हो रहा है। क्योंकि वे सभी गैर-मुस्लिम समुदाय सांस्कृतिक रूप से दृढ़तया [[भारतीय उपमहाद्वीप|भारतीय उप-महाद्वीप]] संस्कृति से जुड़े हुए थे। उनमें से अधिकतर हिन्दू या बौद्ध थे।"<ref>by Willem Vogelsang, Edition: illustrated Published by Wiley-Blackwell, 2002 Page 188</ref> 870 AD  में [[सफ़्फ़ारी राजवंश]] से [[ज़रंज|ज़ारंज]] वंश पर्यन्त अधिकतम अफगानिस्तान पर विजय प्राप्त हो गई और मुस्लिम राज्यपालों को सम्पूर्ण देश में नियुक्त किया गया। यह सूचना मिलिती है कि 10 वीं शताब्दी में [[ग़ज़नवी साम्राज्य|गझनवी]] के आने पदाक्रान्त करने तक मुसलमान और गैर-मुसलमान उस स्थित में भी एक साथ रहते थे।
 
''हिंदू''  शब्द अफगानिस्तान प्रथम बार 982 में प्रकट हुआ ऐसे प्रमाण मिलते हैं। हुदौद-अल-आलम् का [[नंगरहार प्रान्त|नांगरहार]] के राज के साथ हुए संवाद में हिन्दु शब्द का उपयोग मिलता है। उसके उस सम्बोधन में इस्लाम के अन्तर्गत लोगों के रूपांतरण एक सार्वजनिक प्रदर्शन था। हुदौद-अल-आलम् की 30 से अधिक पत्नियां थी उन सभी का "[[मुसलमान|मुस्लिम]], अफगान, और हिन्दू" के रूप में वर्णन होता था। <ref name="Vogelsang"><cite class="citation book">Vogelsang, Willem (2002). </cite></ref> सामान्यतः भौगोलिक दृष्टि से उनका नामकरण होता था। उदाहरण के लिए, ''[[Hindu|हिन्दू]]'' (या ''[[Hindustani people|हिंदुस्तानी]]'') को ऐतिहासिक दृष्टि से एक [[भूगोल|भौगोलिक]] शब्द के रूप में वर्णित किया गया था, जो [[हिन्दुस्तान]] (भारतीय उपमहाद्वीप) के मूल निवासी थे। और ''अफगान''  अफगानिस्तान'' ''के मूल निवासियों के लिये था। <ref><cite class="citation book">David Lorenzen. </cite></ref>
[[चित्र:Kabul_Museum_statue_2.jpg|दाएँ|अंगूठाकार|काबुल संग्रहालय मूर्ति]]
10 वीं सदी में जब [[महमूद ग़ज़नवी|महमूद गजनी]] ने [[सिन्धु नदी|सिंधु नदी]] को लांघने कर हिंदुस्तान (हिंदुओं की भूमि) में प्रवेश करने के लिये प्रयास कर रहा था, गझनवी मुसलमानों ने हिन्दू दासों को पकना आरंभ कर दिया, जिससे आज का अफगानिस्तान बना है। [[अल-इदरीसी]] प्रमाणित करता है कि, 12 वीं शताब्दी पर्यन्त सभी शाही राजाओं के राज्याभिषेक के लिये एक अनुबंध (contract) काबुल पर लागु होता था और उस अनुबंध का पालन करने के लिये कुछ परम्परागत शर्तों स्वीकारना पड़ता था। <ref name="Al-Idrisi 1991, p 127">Al-Idrisi, p. 67, Maqbul Ahmed; Al-Hind, the Making of the Indo-Islamic World, 1991, p. 127, Andre Wink.</ref> गझनवी के सैन्य की पदाक्रान्तता (घुसपैठ) के कारण [[सुन्नी इस्लाम]] पर वर्चस्व स्थापित हो गया, जो आज अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हैं। विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों में, जैसे कि मार्टिन एवन्स्, इ. जे. ब्रिल् और फरिश्ता में काबुल से लेकर अफगानिस्थान के अन्य भागों में इस्लाम के विस्तार की और महमूद के विजय की घटनायें उल्लिखित हैं।
 
[[घोरी राजवंश]] के द्वारा घझनवी राज्य का अधिक विस्तार हुआ। खिलजी राजवंशीयों के समय भारत और अफगानिस्थान के लोगों द्वारा स्वतन्त्रता आन्दोन हो रहे थे। मुघलो द्वारा सुरी और दुरानी वंशीयों का अनुसरण न किया तब तक वे आन्दोलन चलते रहेष
 
== इतिहास ==
हिंदू धर्म का वहाँ आरम्भ कब हुआ इसकी कोई विश्वसनीय जानकारी नहीं है, परन्तु इतिहासकारों का मन्तव्य है कि, प्राचीन काल में दक्षिण [[हिन्दु कुश|हिन्दू कुश]] का क्षेत्र सांस्कृतिक रूप से [[सिंधु घाटी सभ्यता]] के साथ जुड़ा था। पक्षान्तर में, अधिकांश इतिहासकारों का कहना है कि, वंश परम्परा से अफगानिस्तान प्राचीन आर्यनों का निवास स्थान था, जो 330 ई. पू [[सिकंदर महान]] और उनकी ग्रीक सेना के आने से पूर्व [[हख़ामनी साम्राज्य]] के अधीन हो गया था। तीन वर्ष के पश्चात् सिकन्दर के प्रस्थान के बाद सेलयूसिद साम्राज्य का अंग बन गया। 305 ईसा पूर्व, यूनानी साम्राज्य ने भारत के [[मौर्य राजवंश|मौर्य साम्राज्य]] के साथ सन्धि करके दक्षिण हिन्दू कुश का नियन्त्रण समर्पित कर दिया।
 
अफगानिस्तान में जो मुख्य जाती समूह, जो हिंदू धर्म का आज भी अनुसरण करते हैं, वे [[पंजाबी समुदाय|पंजाबी]] और [[सिन्धी लोग|सिंधी]] हैं। वे सभी सिखों के साथ व्यापार करने के लिए 19 वीं शताब्दी अफगानिस्तान गये थे।<ref name="BBC"><cite class="citation web">Majumder, Sanjoy (2003-09-25). </cite></ref> [[अफ़ग़ानिस्तान में सोवियत युद्ध|अफगानिस्तान में सोवियत युद्ध]] ते पूर्व अफगानिस्थान में सहस्रों हिंदु रहते थे। परन्तु आज वहाँ केवल 1000 हिन्दू ही रहते हैं। <ref name="rfi">[http://www.rfi.fr/actuen/articles/119/article_5843.asp Sikhs struggle for recognition in the Islamic republic], by Tony Cross. </ref> अधिकांश हिन्दु विस्थापित होकर भारत में रहने लगे। बहुत लोग [[यूरोपीय संघ]], [[उत्तर अमेरिका]] की ओर चले गये।
 
अफगानिस्तान में जो मुख्य जाती समूह, जो हिंदू धर्म का आज भी अनुसरण करते हैं, वे पंजाबी और सिंधी हैं। वे सभी सिखों के साथ व्यापार करने के लिए 19 वीं शताब्दी अफगानिस्तान गये थे।<ref name="BBC"><cite class="citation web">Majumder, Sanjoy (2003-09-25). </cite></ref> उन्होंने एक बार अफगान की अर्थव्यवस्था को चलाया था। सिखों के साथ साथ उन सभी को सामूहिक रूप से हिन्दकोवंशी से सम्बोधिक किया जाता है।<ref name="Encyclopædia Britannica"><cite class="citation web">[http://encyclopedia.jrank.org/PAS_PER/HINDKI.html "Hindki"]. </cite></ref> भाषाई जनसांख्यिकी अनुसार हिंदू समुदाय विविध स्थानों पर सामान्यतः क्षेत्रीय भाषा बोलते हैं। जो लोगों पंजाब से हैं, वे [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], सिंधी लोग [[सिन्धी भाषा|सिंधी]], काबुली और कान्धरी के समुदाय [[पश्तो भाषा|पश्तो]], उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रीय [[हिन्दको भाषा|हिन्दको भाष]] की विभाषा (dialects) बोलते हैं। स्थानीय हिंदू समुदाय अधिकतरअफगानिस्तान के [[काबुल]] नगर में ही रहता है। 2002 लोया जिरगा पक्ष में दो मतक्षेत्र हिंदुओं के लिए आरक्षित थे,<ref>[http://newsvote.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/2032169.stm Afghanistan's loya jirga] BBC 0- June 7, 2002</ref> और पूर्व राष्ट्रपति [[हामिद करज़ई|हामिद करजई]] के आर्थिक सलाहकार अफगान हिन्दू थे।
 
1996 से 2001 में तालिबान के  शासन काल में हिंदुओं को अनिवार्य रूप से पीले बैज पहनने का आदेश दिया गया था। वो इस लिये क्योंकि, मस्जिदों में प्रार्थना के समय न जाने वाले मुस्लिमों को दण्डित करते समय गैर-मुसलमानों के रूप में उनका परिचय हो सके। हिन्दू महिलाओं को अनिवार्य रूप से [[बुर्क़ा|बुर्का]] पहनने का आदेश था। सार्वजनिक स्तर पर उनकी "रक्षा" और उत्पीड़न को रोकने के लिये ये नियम निर्धारित किये गये थे। परन्तु ये तालिबान की योजना का एक भाग था, जिससे वे  "गैर-इस्लामी" और "मूर्तिपूजक" समुदायों को इस्लामी लोगों से पृथक् कर सकें।<ref>[http://archives.cnn.com/2001/fyi/news/05/22/taleban.hindus/index.html Taliban to mark Afghan Hindus],''CNN''</ref>
 
उस निर्णय की निंदा भारतीय और अमेरिकी सरकारों ने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लङ्घन के आधर पर की थी। [[भोपाल]] (भारत) में उस तालिबान के शासन के निर्णय का व्यापक विरोध । संयुक्त राज्य अमेरिका में, मानहानि विरोधी लीग के अध्यक्ष इब्राहीम फोक्समन ने की उस आज्ञा की तुलना [[नाज़ी जर्मनी|नाजी जर्मनी]] प्रथाओं से की थी, जहां [[यहूदी|यहूदियों]] को अनिवार्य रूप से परिचयपत्र पहनना पड़ता था। <ref>[http://english.people.com.cn/english/200105/23/eng20010523_70812.html Taliban: Hindus Must Wear Identity Labels],''People's Daily''</ref> कई प्रभावशाली संयुक्त राज्य अमेरिका के सांसदों ने पीले चिह्न पहने, जिसमें लिखा था कि, "मैं एक हिन्दू हूँ"; मन्त्रिमण्डल की सभा में उन्होंने अफगानिस्थान में स्थित हिन्दूओं के प्रति अपनी एकात्मता का परिचय दिया।<ref>[http://wwrn.org/articles/10021/ WorldWide Religious News - U.S. House condemns Taliban over Hindu badges; Reuters, June 13, 2001]</ref><ref>[http://www.cnsnews.com/node/10432 CNSNEWS - US Lawmakers Condemn Taliban Treatment Of Hindus]</ref><ref>[http://www.rediff.com/us/2001/jun/14us1.htm US Lawmakers say: We are Hindus, Rediff News]</ref><ref>[http://www.afghanistannewscenter.com/news/2001/june/jun8d2001.html Afghanistan News Center]</ref>
 
भारतीय विश्लेषक राहुल बनर्जी ने कहा कि, यह पहली बार नहीं था कि, अफगानिस्थान में राज्य-प्रायोजित उत्पीड़न की ये प्रथम घटना नहीं थी। वर्षों से हिन्दु समाज के विरुद्ध हिंसा के कारण शीघ्रता से हिंदू जनसङ्ख्या में पतन देखा जा रहा है। <ref name="cns">[http://www.cnsnews.com/ViewPrint.asp?Page=%5CForeignBureaus%5Carchive%5C200106%5CFor20010615b.html US Lawmakers Condemn Taliban Treatment Of Hindus],''CNSnews.com''</ref> 1990 के बाद से, कई अफगान हिंदु विस्थापित हो कर अन्य देशों में चले गये और वें [[भारत]], [[जर्मनी]] और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे राष्ट्रों से आश्रय की आशा लगाये हुए हैं।<ref>[http://www.pluralism.org/resources/slideshow/hindgerm/index.php Immigrant Hinduism in Germany: Tamils from Sri Lanka and Their Temples],''pluralism.org''</ref>
 
जुलाई 2013 में, अफगान संसद ने अल्पसंख्यक समूह के लिये आरक्षित स्थानों के विधयक (bill) को अस्वीकृत कर दिया; उस विधेयक के विरुद्ध मतदान किया गया था। इस तत्कालीन राष्ट्रपति [[हामिद करज़ई|हामिद करजई]] के द्वारा उपस्थापित उस विधेक में जनजातीय लोगों और "महिला" के रूप में "असक्षम वर्ग" को आरक्षण मिला था, परन्तु धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति धार्मिक समानता का अनुच्छेद संविधान में नहीं है। <ref><cite class="citation web">[http://kabulpress.org/my/spip.php?article166718 "We condemn the discrimination against Sikhs and Hindus of Afghanistan"]. </cite></ref>
 
== प्राचीन हिंदू मंदिर ==
{| class="wikitable"
! स्थान
! विवरण
! अन्य जानकारी
|-
| शकवद मंदिर <ref name="Qarabāgh-e Ghaznī Page 102">Buddhist caves of Jāghūrī and Qarabāgh-e Ghaznī, Afghanistan By Giovanni Verardi, Elio Paparatti Page 102</ref>
| [[लोगर प्रान्त|लोगर राज्य]] <ref name="Qarabāgh-e Ghaznī Page 102">Buddhist caves of Jāghūrī and Qarabāgh-e Ghaznī, Afghanistan By Giovanni Verardi, Elio Paparatti Page 102</ref>
|-
| पोलुशा <ref name="ReferenceA">A History of civisalition of Ancient India Vol 11, by Romesh Chander Dutt, p. 135</ref>
| भीमा देवी (दुर्गा) और महेश्वर के मंदिर <ref name="ReferenceA">A History of civisalition of Ancient India Vol 11, by Romesh Chander Dutt, p. 135</ref>
|[[ह्वेन त्सांग]] यात्रा की गई <ref name="ReferenceA">A History of civisalition of Ancient India Vol 11, by Romesh Chander Dutt, p. 135</ref>
|}
 
== यह भी देखें ==
* [[विश्व में हिन्दू धर्म|हिंदू धर्म देश से]]
* [[खत्री]]
 
== संदर्भ ==
<div class="reflist" style="list-style-type: decimal;">
<references /></div>
 
== बाहरी लिंक ==
* [http://www.afghanhindu.info/ www.afghanhindu.info]
* [http://www.afghanhindu.com/ अफगान हिंदू एसोसिएशन ऑफ अमेरिका]
* [http://www.hinduismtoday.com/archives/1994/4/1994-4-02.shtml हिंदुओं का अफगानिस्तान परित्याग] , हिंदू धर्म आज, 2 अप्रैल 1994
* '' [http://www.indianexpress.com/ie/daily/20010105/iin05014.html लालेख  अफगानिस्थान में हिन्दुओं के शासन पर प्रकाश डालते हुए कुछ शिलालेख]'', [[द इंडियन एक्सप्रेस|इंडियन एक्सप्रेस]] 5 जनवरी 2010
 
== अधिक पढने के लिये ==
* https://www.gov.uk/government/uploads/system/uploads/attachment_data/file/495865/CIG_-_Afghanistan_-_Sikhs_and_Hindus_v2_0.pdf
[[श्रेणी:देशानुसार हिन्दू धर्म]]
[[श्रेणी:एशिया में हिन्दू धर्म]]
[[श्रेणी:हिन्दुहिन्दू कुशधर्म]]
[[श्रेणी:हिन्दुत्व]]