"आर्यभट": अवतरणों में अंतर
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संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) छो आंशिक लिप्यंतरण |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
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पंक्ति 152:
| quote=Aryabhata gave the correct rule for the area of a triangle and an incorrect rule for the volume of a pyramid. (He claimed that the volume was half the height times the area of the base).}}</ref>
आर्यभट ने अपने काम में ''द्विज्या (साइन)'' के विषय में चर्चा की है और उसको नाम दिया है ''अर्ध-ज्या'' इसका शाब्दिक अर्थ है "अर्ध-तंत्री"
| author = Howard Eves
| title = An Introduction to the History of Mathematics (6th Edition, p.237)
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==== सौर प्रणाली की गतियाँ ====
प्रतीत होता है की आर्यभट यह मानते थे कि पृथ्वी अपनी धुरी की परिक्रमा करती है। यह ''श्रीलंका '' को सन्दर्भित एक कथन से ज्ञात होता है, जो तारों की गति का पृथ्वी के घूर्णन से उत्पन्न आपेक्षिक गति के रूप में वर्णन करता है।
: '' अनुलोम-गतिस् नौ-स्थस् पश्यति अचलम् विलोम-गम् यद्-
: '' अचलानि भानि तद्-वत् सम-पश्चिम-गानि लङ्कायाम् ॥'' (आर्यभटीय गोलपाद ९)
: ''जैसे एक नाव में बैठा आदमी आगे बढ़ते हुए स्थिर वस्तुओं को पीछे की दिशा में जाते देखता है, बिल्कुल उसी तरह श्रीलंका में (अर्थात भूमध्य रेखा पर) लोगों द्वारा स्थिर तारों को ठीक पश्चिम में जाते हुए देखा जाता है।
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