"इस्लामी पवित्र ग्रन्थ": अवतरणों में अंतर
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मुस्लिम समुदाय के विश्वासों के आधार पर यह वह पुस्तक हैं जिनको [[अल्लाह]] ने अनेक [[इस्लाम के पैग़म्बर|पैगम्बरों]] पर अवतरण किया. मानव चरित्र में मानव कल्याण के लिए जब जब आवश्यकता हुई तब तब पैगम्बरों को भेजा और सन्मार्ग की शिक्षा दी. और इस शिक्षण के लिए आसमानी किताबें, सहीफे उतारे गए. इन्हीं किताबों के श्रंखला की आख़री कड़ी [[कुरआन]] है. और ये आख़री किताब [[कुरआन]] पिछले भेजे गए तमाम किताबों की तस्दीक करती है.
== बड़ी किताबें ==
कुरआन, कम से कम तीन आसमानी किताबों का ज़िक्र करती है, जो के कुरआन से पहले प्रकट हुए.
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== पैगम्बरों पर दूसरी किताबें ==
कुरआन प्रकट करता है कि दो आसमानी सहीफे और किताब प्रकट हुई.
* [[:en:Scrolls of Abraham (Islam)|सुहूफ़-ए-इब्राहीम]] : माना जाता है कि [[इब्राहीम]] के सुहूफे (फलक) मानव चरित्र के पहले सहीफे हैं. यह सहीफे इब्राहीम पैगम्बर पर प्रकट हुए.<ref>{{Cite quran|87|19|s=ns}}</ref> बाद में इब्राहीम के बेटे [[इस्माईल पैगम्बर|इस्माईल]] और [[इसहाक़ पैगम्बर|इसहाक़]] ने भी उपयोग किया. वैसे यह सुहूफ़ ही अरबी भाषा में ‘किताब’ के रूप में अनुवाद किये गए.<ref name="yusuf"/><ref>[[:en:Marmaduke Pickthall|]], The Meaning of the Glorious Qur'an</ref> आज कल यह सहीफे या तो काल गर्भ में ख़त्म होगये या फिर बदल बदल कर कई किताबों के रूप में लिखे और पढ़े गए. चंद विद्वानों की दृष्टी में
* [[यह्या पैगम्बर]] की किताब: [[कुरआन]] के 19:12 में यह्या के किताब का ज़िक्र का अनुमान है. <ref>{{Cite quran|19|12|s=ns}}</ref> यह्या को क्रैस्तव मत में
* [[:en:Scrolls of Moses|सुहूफ़-ए-मूसा]]: ये सुहूफे, [[मूसा]] पर प्रकट हुए, लगता है के बाद में मूसा, हारून, और जोशुवा ने इन्हें ग्रंदस्थ किया. मुसलामानों का मानना है कि यह तौरात नहीं बल्कि, तौरात के इलावा प्रकट हुए. विद्वानों का मानना है कि यह सुहूफे [[:en:Book of the Wars of the Lord|बुक ऑफ़ द वार्स ऑफ़ द लार्ड]].<ref name="yusuf"/> अनुमान है कि इस किताब का उल्लेख [[:en:Old Testament|ओल्ड टेस्टामेंट]] या
== यह भी देखिये ==
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