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== कारण ==
यह अंतड़ियों में अधिक [[द्रव]] के जमा होने, अंतड़ियों द्वारा तरल पदार्थ को कम मात्रा में अवशोषित करने या अंतड़ियों में मल के तेजी से गुजरने की वजह से होता है।
 
== प्रकार ==
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''''उग्र अतिसार''- उग्र (ऐक्यूट) अतिसार का कारण प्रायः आहारजन्य विष, खाद्य विशेष के प्रति असहिष्णुता या संक्रमण होता है। कुछ विषों से भी, जैसे संखिया या पारद के लवण से, दस्त होने लगते हैं।
 
'''जीर्ण अतिसार'''- जीर्ण (क्रॉनिक) अतिसार बहुत कारणों से हो सकता है। [[आमाशय]] अथवा अग्न्याशय ग्रंथि के विकास से पाचन विकृत होकर [[अतिसार]] उत्पन्न कर सकता है। आंत्र के रचनात्मक रोग, जैसे अर्बुद, संकिरण (स्ट्रिक्चर) आदि, अतिसार के कारण हो सकते हैं। जीवाणुओं द्वारा [[संक्रमण]] तथा जैवविषों (टौक्सिन) द्वारा भी अतिसार उत्पन्न हो जाता है। इन जैवविषों के उदाहरण हैं रक्तविषाक्तता (सेप्टिसीमिया) तथा रक्तपूरिता (यूरीमिया)। कभी निःस्रावी (एंडोक्राइन) विकार भी अतिसार के रूप में प्रकट होते हैं, जैसे ऐडीसन के रोग और अत्यवटुकता (हाइपर थाइरॉयडिज्म)। [[भय]], चिंता था मानसिक व्यथाएँ भी इस दशा को उत्पन्न कर सकती हैं। तब यह मानसिक अतिसार कहा जाता है।
 
== चिकित्सा ==
डायरिया उग्र या जीर्ण (क्रोनिक) हो सकती है और प्रत्येक प्रकार के डायरिया के भिन्न-भिन्न कारण और इलाज होते हैं। डायरिया से उत्पन्न जटिलताओं में निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन), इलेक्ट्रोलाइट ([[खनिज]]) असामान्यता और [[मलद्वार]] में जलन, शामिल हैं। निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन) को पीनेवाले रिहाइड्रेशन घोल की सहायता से कम किया जा सकता है और आवश्यक हो तो अंतःशिरा द्रव्य की मदद भी ली जा सकती है।
 
[[चिकित्सा]] के लिए रोगी के मल की [[परीक्षा]] करके रोग के कारण का निश्चय कर लेना आवश्यक है, क्योंकि चिकित्सा उसी पर निर्भर है। कारण को जानकर उसी के अनुसार विशिष्ट चिकित्सा करने से लाभ हो सकता है। रोगी को पूर्ण [[विश्राम]] देना तथा क्षोभक आहार बिलकुल रोक देना आवश्यक है। उपयुक्त चिकित्सा के लिए किसी [[विशेषज्ञ]] चिकित्सक का [[परामर्श]] उचित है।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==