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''' चंडीप्रसाद भट्ट''' (जन्म : सन् १९३४) [[भारत]] के [[गांधीवाद|गांधीवादी]] पर्यावरणवादी और समाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होने सन् १९६४ में [[गोपेश्वर]] में 'दशोली ग्राम स्वराज्य संघ' की स्थापना की जो कालान्तर में [[चिपको आंदोलन]] की मातृ-संस्था बनी। वे इस कार्य के लिये वे १९८२ में [[रेमन मैगसेसे पुरस्कार]] से सम्मानित हुए।हुए तथा वर्ष २००५ में उन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा सन [[२०१३पद्मभूषण]] पुरस्कार दिया गया।<ref name=hind/><ref>[http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/22864809.cms A clutch of crusaders across India are ready to stake their reputations and devote their lives to saving the environment..] The Times of India, 22 September 2002.</ref>भारत सरकार द्वारा साल २०१३ में उन्हें [[गांधी शांति पुरस्कार]] से सम्मानित किया था।गया।<ref>http://pib.nic.in/newsite/backgrounders.aspx?relid=106607</ref><ref>http://presidentofindia.nic.in/press-release-detail.htm?972</ref>
 
अद्भुत जीवट को समर्पित चंडी प्रसाद भट्ट गांधी के विचार को व्यावहारिक रूप में आगे बढ़ाने में एक सफल जन नेता के रूप में उभरे हैं। ‘चिपको आंदोलन’ के रूप में सौम्यतम अहिंसक प्रतिकार के द्वारा वृक्षों एवं पर्यावरण के अंतर्संबंधों को सशक्तता से उभार कर उन्होंने संपूर्ण विश्व को जहां एक ओर पर्यावरण के प्रति सचेत एवं संवेदनशील बनाने का अभिनव प्रयोग किया, वहीं प्रतिकार की सौम्यतम पद्धति को सफलता पूर्वक व्यवहार में उतार कर दिखाया भी है। ‘पर्वत पर्वत, बस्ती बस्ती’ चंडी प्रसाद भट्ट की बेहतरीन यात्राओं का संग्रह है।