Reverted to revision 3202157 by Jayprakash12345 (talk): इतिहास विलय . (TW)
Reverted to revision 3410700 by 106.215.147.55 (talk). (TW)
पंक्ति 1:
{{भाग|date=दिसम्बर 2016}}
किसी भौगोलिक [[क्षेत्र]] या [[जन समूह]] पर [[सत्ता]] या [[प्रभुत्व]] के सम्पूर्ण नियँत्रण पर अनन्य अधिकार को '''संप्रभुतासम्प्रभुता''' (Sovereignty) कहा जाता है। सार्वभौम सर्वोच्च विधि निर्माता एवं नियँत्रक होता है। यानी संप्रभुता राज्य की सर्वोच्च शक्ति हैं
 
== परिचय ==
 
Line 16 ⟶ 18:
बाह्य सम्प्रभुता अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में किसी राज्य की हैसियत की द्योतक है। इस तरह की परिस्थितियाँ भी होती हैं कि किसी राज्य में आंतरिक सम्प्रभुता पर विवाद चलता रहता है, पर अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में उसकी बाह्य सम्प्रभुता का आदर किया जाता है। वैसे भी लोकतंत्रों के युग में आंतरिक सम्प्रभुता के मसले अब इतने ज़्यादा अहम नहीं माने जाते, पर बाह्य सम्प्रभुता का प्रश्न पहले से कहीं ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हो चुका है। ऐसे कई अंतर्राष्ट्रीय विवाद हैं जिनमें एक देश की सम्प्रभुता का दावा दूसरे देश की तरफ़ से अपनी सम्प्रभुता के लिए चुनौती के रूप में देखा जाता है। फ़िलिस्तीनियों द्वारा अपने सम्प्रभु राष्ट्र के लिए चलाया जाने वाला आंदोलन इजरायल को अपनी सम्प्रभुता के क्षय का कारक लगता है।
 
== संदर्भसन्दर्भ ==
 
1. कृष्णा मेनन (2008), ‘सॉवरनिटी’, राजीव भार्गव और अशोक आचार्य (सम्पा.), पॉलिटिकल थियरी : ऐन इंट्रोडक्शन, पियर्सन लोंगमेन, नयी दिल्ली.
Line 35 ⟶ 37:
[[श्रेणी:अन्तराष्ट्रीय संबंध]]
[[श्रेणी:राजनीति विज्ञान]]
[[श्रेणी:राजनैतिकराजनीतिक अवधारणाएँ]]