"एन आर नारायणमूर्ति": अवतरणों में अंतर

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'''एन आर नारायणमूर्ति''' (जन्म [[२० अगस्त]], [[१९४६]]) [[भारत]] की प्रसिद्ध सॉफ़्टवेयर कंपनी [[इन्फोसिस|इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज]] के संस्थापक और जानेमाने उद्योगपति हैं। उनका जन्म [[मैसूर]] में हुआ। आई आई टी में पढने के लिए वे मैसूर से बैंगलौर आए, जहाँ १९६७ में इन्होंने [[मैसूर विश्वविद्यालय]] से बैचलर आफ इन्जीनियरिंग की उपाधि और १९६९ में आई आई टी कानपुर से मास्टर आफ टैक्नोलाजी (M.Tech) की उपाधि प्राप्त की।
 
नारायणमूर्ति आर्थिक स्थिति सुदृढ़ न होने के कारऩ इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे। उनके उन दिनों के सबसे प्रिय शिक्षक मैसूर विशवविद्यालय के डॉ. कृष्णमूर्ति ने नारायण मूर्ति की प्रतिभा को पहचान कर उनको हर तरह से मदद की। बाद में आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाने पर नारायणमूर्ति ने डॉ. कृष्णमूर्ति के नाम पर एक छात्रवृत्ति प्रारंभ कर के इस कर्ज़ को चुकाया। नारायणमूर्ति ने अपने दोस्त शशिकांत शर्मा और प्रोफेसर कृष्णय्या के साथ १९७५ में पुणे में सिस्टम रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी। १९८१ में उन्होंने अपने ६ साथियों के साथ मिलकर अपनी खुद की कंपनी की स्थापना की थी। १९९० तक आते आते यह कंपनी पूरी तरह बंद हो गई लेकिन मूर्ति ने हार नहीं मानी। उनके दोस्तों ने भी उन पर पूरा भरोसा किया और आज वे वे अनेक लोगों के आदर्श हैं। चेन्नई के एक कारोबारी पट्टाभिरमण कहते हैं कि उन्होंने जो भी कुछ कमाया है वह मूर्ति की कंपनी इंफोसिस के शेयरों की बदौलत और उन्होंने अपनी सारी कमाई इंफोसिस को ही दान कर दी है। पट्टाभिरमण और उनकी पत्नी नारायणमूर्ति को भगवान की तरह पूजते हैं और उन्होंने अपने घर में मूर्ति का फोटो भी लगा रखा है।<ref>[http://lyrics.mywebdunia.com/2008/09/08/1220861696036.html माई वेब दुनिया]</ref> उन्हें [[पद्म श्री]], [[पद्म विभूषण]] और ऑफीसर ऑफ द लेजियन ऑफ ऑनर- फ्रांस सरकार<ref name="legion">{{cite web|url=http://publication.samachar.com/pub_article.php?id=1169187&navname=General%20&moreurl=http://publication.samachar.com/timesofindia/general/india.php&homeurl=http://www.samachar.com|author=|title=Naryanamurthy receive highest civilian honour of France|work=|accessdate=2008-01-26|publisher=The Times of India}}</ref> के सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है।
 
अपने कार्यजीवन का आरंभ नारायणमूर्ति ने पाटनी कम्प्यूटर सिस्टम्स (PCS), पुणे से किया पूना में ही इनकी मुलाकात सुधा से हुई जो आज इनकी धर्मपत्नी है। १९८१ मे नारायणमूर्ति ने इन्फ़ोसिस कम्पनी की स्थापना की। [[मुम्बई]] के एक अपार्टमेंट में शुरू हुयी इस कंपनी की प्रगति की कहानी आज दुनिया जानती है। सभी साथियों की कड़ी मेहनत रंग लाई और १९९१ मे इन्फ़ोसिस पब्लिक लिमिटेड कम्पनी में परिवर्तित हुई। [[१९९९]] में कम्पनी ने उत्कृष्टता और गुणवत्ता का प्रतीक SEI-CMM हासिल किया। १९९९ में कंपनी ने एक नया इतिहास रचा जब इसके शेयर अमरीकी शेयर बाजार NASDAQ में रजिस्टर हुए। नारायणमूर्ति [[१९८१]] से लेकर [[२००२]] तक इस कम्पनी के मुख्य कार्यकारी निदेशक रहे। २००२ में उन्होंने इसकी कमान अपने साथी नन्दन नीलेकनी को थमा दी, लेकिन फिर भी इन्फोसिस कम्पनी के साथ वे मार्गदर्शक के दौर पर जुड़े रहे। वे १९९२ से १९९४ तक नास्काम के भी अध्यक्ष रहे। सन २००५ में नारायण मूर्ति को विश्व का आठवां सबसे बेहतरीन प्रबंधक चुना गया। इस सूची में शामिल अन्य नाम थे-बिल गेट्स,स्टीव जाब्स तथा वारेन वैफ़े। हालांकि नारायण मूर्ति अब अवकाश ग्रहण कर चुके हैं लेकिन वे इन्फ़ोसिस के मानद चेयरमैन बने रहेंगे ।
 
नारायणमूर्ति आर्थिक स्थिति सुदृढ़ न होने के कारऩ इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे। उनके उन दिनों के सबसे प्रिय शिक्षक मैसूर विशवविद्यालय के डॉ. कृष्णमूर्ति ने नारायण मूर्ति की प्रतिभा को पहचान कर उनको हर तरह से मदद की। बाद में आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाने पर नारायणमूर्ति ने डॉ. कृष्णमूर्ति के नाम पर एक छात्रवृत्ति प्रारंभ कर के इस कर्ज़ को चुकाया। नारायणमूर्ति ने अपने दोस्त शशिकांत शर्मा और प्रोफेसर कृष्णय्या के साथ १९७५ में पुणे में सिस्टम रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी। १९८१ में उन्होंने अपने ६ साथियों के साथ मिलकर अपनी खुद की कंपनी की स्थापना की थी। १९९० तक आते आते यह कंपनी पूरी तरह बंद हो गई लेकिन मूर्ति ने हार नहीं मानी। उनके दोस्तों ने भी उन पर पूरा भरोसा किया और आज वे वे अनेक लोगों के आदर्श हैं। चेन्नई के एक कारोबारी पट्टाभिरमण कहते हैं कि उन्होंने जो भी कुछ कमाया है वह मूर्ति की कंपनी इंफोसिस के शेयरों की बदौलत और उन्होंने अपनी सारी कमाई इंफोसिस को ही दान कर दी है। पट्टाभिरमण और उनकी पत्नी नारायणमूर्ति को भगवान की तरह पूजते हैं और उन्होंने अपने घर में मूर्ति का फोटो भी लगा रखा है।<ref>[http://lyrics.mywebdunia.com/2008/09/08/1220861696036.html माई वेब दुनिया]</ref> उन्हें [[पद्म श्री]], [[पद्म विभूषण]] और ऑफीसर ऑफ द लेजियन ऑफ ऑनर- फ्रांस सरकार<ref name="legion">{{cite web|url=http://publication.samachar.com/pub_article.php?id=1169187&navname=General%20&moreurl=http://publication.samachar.com/timesofindia/general/india.php&homeurl=http://www.samachar.com|author=|title=Naryanamurthy receive highest civilian honour of France|work=|accessdate=2008-01-26|publisher=The Times of India}}</ref> के सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है।
 
==संदर्भ==