"आम आदमी पार्टी": अवतरणों में अंतर
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{{Infobox Indian Political Party
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|leader = [[अरविंद केजरीवाल]]
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सन् २०११ में [[इंडिया अगेंस्ट करपशन]] नामक संगठन ने [[अन्ना हजारे]] के नेतृत्व में हुए [[जन लोकपाल आंदोलन]] के दौरान भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा जनहित की उपेक्षा के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। अन्ना भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे, जबकि अरविन्द केजरीवाल और उनके सहयोगियों की यह राय थी कि पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाये। इसी उद्देश्य के तहत पार्टी पहली बार दिसम्बर २०१३ में [[दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव, 2013|दिल्ली विधानसभा चुनाव]] में झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ चुनावी मैदान में उतरी।
पार्टी ने चुनाव में २८ सीटों पर जीत
== इतिहास ==
आम आदमी पार्टी की उत्पत्ति सन् २०११ में ''इण्डिया अगेंस्ट करप्शन'' द्वारा अन्ना हजारे के नेतृत्व में चलाये गये जन लोकपाल आन्दोलन के समापन के दौरान हुई। [[जन लोकपाल]] बनाने के प्रति भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा प्रदर्शित उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण राजनीतिक विकल्प की तलाश की जाने लगी थी। अन्ना हजारे भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आन्दोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे जबकि अरविन्द केजरीवाल आन्दोलन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये एक अलग पार्टी बनाकर चुनाव में शामिल होने के पक्षधर थे। उनके विचार से वार्ता के जरिये जन लोकपाल विधेयक बनवाने की कोशिशें व्यर्थ जा रहीं थीं। ''इण्डिया अगेंस्ट करप्शन'' द्वारा सामाजिक जुड़ाव सेवाओं पर किये गये सर्वे में राजनीति में शामिल होने के विचार को व्यापक समर्थन मिला।
१९ सितम्बर २०१२ को अन्ना और अरविन्द इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि उनके राजनीति में शामिल होने सम्बन्धी मतभेदों का दूर होना मुश्किल है। इसलिये उन्होंने समान लक्ष्यों के बावजूद अपना रास्ता अलग करने का निश्चय किया। जन लोकपाल आन्दोलन से जुड़े [[मनीष सिसोदिया]], [[प्रशांत भूषण]] व [[योगेन्द्र यादव]] आदि ने अरविन्द केजरीवाल का साथ दिया, जबकि [[किरण वेदी]] व [[सन्तोष हेगड़े]] आदि कुछ अन्य लोगों ने हजारे से सहमति प्रकट की। केजरीवाल ने २ अक्टूबर २०१२ को राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की। इस प्रकार भारतीय संविधान की वर्षगांठ के दिन २६ नवम्वर (२०१२) को औपचारिक रूप से आम आदमी पार्टी का गठन हुआ।<ref>{{Citation|title='आम आदमी पार्टी' के राष्ट्रीय संयोजक बने केजरीवाल|url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/17365222.cms|publisher=नवभारत टाइम्स|date=२६ नवम्बर २०१२|accessdate=११ दिसम्बर २०१३}}</ref>
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== आलोचना ==
2014 में प्रशान्त भूषण ने [[कश्मीर]] की आन्तरिक सुरक्षा और सेना की मौजूदगी के मामले में कश्मीर के लोगों में जनमत संग्रह कराने की बात कही, जिसके विरोध में हिन्दू रक्षा दल के कुछ लोगों ने कौशाम्बी स्थित पार्टी मुख्यालय में आम आदमी पार्टी के खिलाफ नारेबाजी और तोड़-फोड़ की।<ref>{{cite news|url=http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-Aam-Aadmi-Party-office-Ghaziabad-Kaushambhi-stones-AAP-office-attack-Prashant-Bhushan-Kashmir-remarks-39-39-391185.html|title= कौशाम्बी में आम आदमी पार्टी के दफ्तर पर हुआ हमला |publisher=लाइव हिन्दुस्तान|quote=आप के प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि कुछ युवा जो हिन्दू रक्षा दल के बताये जाते है, पार्टी कार्यालय के बाहर जमा हो गये और आप के खिलाफ नारे लगाने लगे।
== चुनावी भागीदारी ==
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दिल्ली चुनाव के पहले पार्टी को कई विवादों का सामना करना पड़ा। भारत सरकार के गृहमन्त्री, [[सुशील कुमार शिंदे]] ने पार्टी के विदेशी दान की जाँच कराने की बात कही। पार्टी ने दान राशि का सम्पूर्ण ब्यौरा पार्टी वेवसाइट पर पहले से ही सार्वजनिक होने की बात कही और अन्य राजनीतिक दलों को भी अपने चन्दे को सार्वजनिक करने की चुनौती दी।
दिल्ली विधान सभा चुनाव के कुछ पहले एक मीडिया पोर्टल द्वारा आम आदमी के विधायक पद के उम्मीदवारों का स्टिंग ऑपरेशन सामने आया जिसमें उन पर ग़ैर-
६ दिसम्बर को घोषित हुए परिणाम में ७० सदस्यीय [[दिल्ली विधानसभा]] में पार्टी २८ सीटों पर विजयी रही। ३२ विधान सभा क्षेत्रों की विजेता [[भारतीय जनता पार्टी]] के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। अरविन्द केजरीवाल ने सत्तारूढ़ी कांग्रेस पार्टी की निवर्तमान मुख्यमन्त्री [[शीला दीक्षित]] (कांग्रेस) को लगभग 25,000 वोटों से पराजित किया।<ref>[http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-arvind-kejriwal-sheila-dikshit-election-39-39-382727.html]</ref> और कांग्रेस केवल ८ सीटों पर सिमट गयी।<ref>{{cite news||url=http://zeenews.india.com/hindi/blog/this-is-not-aap-victory-but-common-mans-victory_112.html |title='आप' की नहीं, आम आदमी की जीत|publisher=ज़ी न्यूज़|date=८ दिसम्बर २०१३|accesdate=११ दिसम्बर २०१३}}</ref><ref>[http://www.business-standard.com/article/politics/delhi-polls-bjp-ahead-aap-inches-to-second-113120800100_1.html Delhi polls | BJP ahead, AAP inches to second]</ref><ref> http://eciresults.nic.in/PartyWiseResult.htm</ref>
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इस सरकार को [[केंद्र सरकार]] और [[दिल्ली पुलिस]] से अनेक मामलों पर अवरोध का सामना करना पड़ा। बलात्कार एवं अन्य अपराध की घटनाओं पर पुलिस के कुछ अधिकारियों का तबादला करने के प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय जाकर धरना देने की कोशिश की। इसमें अड़चने डालने पर [[रेल भवन]] के पास सड़क से ही केजरीवाल सरकार धरने पर बैठ गई। बाद में [[उपराज्यपाल]] के द्वारा पुलिस अधिकारियों को छुट्टी पर भेजने के बाद सरकार वापस काम पर लौटी।
खिड़की एक्सटेंसन में कानून मंत्री [[सोमनाथ भारती]] की भूमिका भी विवादित रही। फरवरी में अरविन्द केजरीवाल ने अपने निगरानी विभाग को प्राकृतिक गैस का दाम अनियमित रूप से बढ़ाने के लिए [[मुकेश अंबानी]] और [[एम॰ वीरप्पा मोइली]] सहित कई प्रभावी लोगों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया।<ref>{{cite news | url = http://www.thehindu.com/news/cities/Delhi/arvind-kejriwal-quits-over-jan-lokpal/article5688528.ece | title = Arvind Kejriwal quits over Jan Lokpal | author = मुहम्मद अली, विशाल कान्त, अशोक स्वोमिया | newspaper = द हिन्दू | date = 2014-02-15 }}</ref>
केजरीवाल सरकार ने १३ फ़रवरी से विधान सभा सत्र बुलाकर जनलोकपाल और स्वराज्य विधेयक पारित करने की घोषणा की। जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने को लेकर उनका [[गृह मंत्रालय, भारत सरकार|गृह मंत्रालय]] और उपराज्यपाल से टकराव की स्थिति पैदा हो गई। लेफ्टिनेंट राज्यपाल [[नजीब जंग]] इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी को जरूरी बताते रहे जबकि केजरीवाल सरकार विधान सभा के विधेयक पास करने के संवैधानिक अधिकार पर डटी रही। १३ जनवरी के हंगामेदार सत्र के बाद १४ फ़रवरी के सत्र में राज्यपाल ने विधेयक को असंवैधानिक बताने का संदेश विधानसभा अध्यक्ष को भेजा और विधेयक पेश करने से पहले िस संदेश को सूचित करने को लिखा। इस संदेश के बाद कांग्रेस
== उल्लेखनीय कार्य ==
आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आते ही अपने सबसे बड़े वादों को निभाते हुए भ्रष्टाचार पर पर लगाम लगाई. दिल्ली में सभी विभागों से भ्रष्टाचार लगभग 80 फीसदी तक कम हुआ. 50 भ्रष्ट अधिकारी जेल भेजे गए. बिजली के दाम 50 फीसदी घटाए गए जबकि पानी 20,000 लीटर तक मुफ्त किया गया. प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट कोटा ख़त्म किया. सभी सरकारी अस्पतालों में सभी दवाई मुफ्त. तीन पुलों में 350 करोड़ बचाए। २०१६ के अगस्त में पक्षाध्यक्ष श्रीकेजरीवाल ने पोर्न-काण्ड में फसे मन्त्री सन्दीप कुमार को मन्त्रिपद से हटाया। सन्दीप कुमार पर आरोप था कि वो पोर्न के क्षेत्र में सक्रिय थे। अतः उनको ३०/८/२०१६ को मन्त्रिपद से हटाया गया <ref>http://www.indiatimes.com/news/india/pornhub-takes-the-biggest-dig-at-ex-aap-minister-sacked-by-arvind-kejriwal-over-sex-scandal-260935.html</ref> <ref>http://indiatoday.intoday.in/video/arvind-kejriwal-aap-child-welfare-minister-sandeep-kumar-sex-cd/1/753738.html</ref>।
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