"हरित क्रांति (भारत)": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
Reverted 1 edit by 2405:205:3084:1910:4F0E:354A:3701:DCE2 (talk): Remove test edit. . (TW)
पंक्ति 1:
{{विकिफ़ाइ|date=जनवरी 2014}}
[[भारत]] में [[हरित क्रांन्ति]] की शुरुआत सन 1966१९६६-67६७ से हुई। हरित क्रांन्ति प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता [[प्रोफेसर नारमन बोरलॉग]] को जाता हैं। हरित क्रांन्ति से अभिप्राय देश के सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाले संकर तथा बौने बीजों के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि करना हैं।
हरित क्रान्ति भारतीय कृषि में लागू की गई उस विकास विधि का परिणाम है, जो 1960 के दशक में पारम्परिक कृषि को आधुनिक तकनीकि द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने के रूप में सामने आई। क्योंकि कृषि क्षेत्र में यह तकनीकि एकाएक आई, तेजी से इसका विकास हुआ और थोड़े ही समय में इससे इतने आश्चर्यजनक परिणाम निकले कि देश के योजनाकारों, कृषि विशेषज्ञों तथा राजनीतिज्ञों ने इस अप्रत्याशित प्रगति को ही 'हरित क्रान्ति' की संज्ञा प्रदान कर दी। हरित क्रान्ति की संज्ञा इसलिये भी दी गई, क्योंकि इसके फलस्वरूप भारतीय कृषि निर्वाह स्तर से ऊपर उठकर आधिक्य स्तर पर आ चुकी थी।
उपलब्धियाँ
पंक्ति 102:
नयी राष्ट्रीय कृषि नीति
 
केन्द्र सरकार ने 'नयी राष्ट्रीय कृषि नीति' की घोषणा 28 जुलाई 2000 को की थी। इस नीति में सरकार ने 2020 तक कृषि के क्षेत्र में प्रतिवर्ष 4 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा है। नयी कृषि नीति का वर्णन 'इन्द्रधनुष क्रान्ति' के रूप में किया गया है, जिसमें सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश के कृषि क्षेत्र में विभिन्न क्रान्तियों जैसे- 'हरित क्रान्ति' (खाद्यान्न उत्पादन), 'श्वेत क्रांति' (दुग्ध उत्पादन), 'पीली क्रांति' (तिलहन उत्पादन), 'नीली क्रांति' (मत्स्य उत्पादन), 'लाल क्रांति' (मांस/टमाटर उत्पादन), 'सुनहरी क्रांति' (सेब उत्पादन), 'भूरी क्रांति' (उर्वरक उत्पादन), 'ब्राउन क्रांति' (गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत), 'रजत क्रांति' (अण्डे/मुर्गी) एवं 'खाद्यान्न श्रंखला क्रंति' (खाद्यान्न/सब्जी/फलों को सड़ने से बचाना) को एक साथ लेकर चलना होगा, इसी को 'इन्द्रधनुषी क्रान्ति' कहा गया है।
 
== हरित क्रांन्ति के चरण ==