"उस्मान बिन अफ़्फ़ान": अवतरणों में अंतर

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| full name = उसमान बिन अफ़्फ़ान (‘Uthmān Ibn ‘Affān)
{{lang-ar|عثمان بن عفان}}
| birth_date = 576 CE (47 BH हिज्री पूर्व)
| birth_place = [[ताइफ़]], [[अरेबिया]]
| death_date = 17 जून 656&nbsp; ई (18 ज़ुल हज्जा 35&nbsp;हिज्री)<ref name="Lisan Al-Mizan">{{cite book|author=Ibn Hajar al-Asqalani|authorlink=Ibn Hajar al-Asqalani |title=Lisan Al-Mizan: *Uthman bin al-Affan}}</ref><ref>[[University of Zurich]] [http://www.orgdb.uzh.ch/index.php?SICHT=allgemein&ORG=10106 Institute of Oriental Studies]</ref><ref>{{cite web |url=http://www.oriold.uzh.ch/static/hegira.html|title=Islamic Calendar|publisher=}}</ref> (आयु 79)
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| father = अफ्फ़ान इब्न अबी अल-आस
| mother = अरवा बिन्त कुरैज़
| spouse = {{ubl|"उम् अम्र"|रुक़य्या बिन्त मुहम्मद|उम् कुलसुम बिन्त मुहम्मद|फ़खीता बिन्त ग़ज़वान|उम् अल बनीन|फ़ातिमा बिन्त अल-वलीद|Daughterखालिद ofबिन Khalidअसीद ibnकी Asidपुत्री|उम् अम्र उम् नज्म बिन जुन्दुब|रमला बिन शैबा|नाइला बिन अल फुराफ़िसा{{citation needed|date=March 2017}}}}
| issue = अबान बिन उस्मान
| issue-link = उस्मान का वंश वृक्ष
| issue-pipe = (among others)
| house = [[क़ुरैश]] <small>([[बनू उमय्या]])</small>
| house-type = Tribeजाति
}}
 
'''उसमान बिन अफ़्फ़ान''' (579-656) [[उमर बिन खत्ताब]] के बाद मुसल्मानों के तीसरे [[खलीफा]] चुने गये। पहले वो एक धनी व्यापारी हुआ करते थे लेकिन बाद में वह [[मुहम्मद]] साहिब के दामाद और उनके प्रमुख साथी बने। अपने [[खलीफ़ा]] बनने के बाद उन्होने [[क़ुरान]] को संकलित कर पुस्तक का रूप दिया। इस धार्मिक पुस्तक में मिलावट के आरोप में और [[मिस्र]] के वासियों से दग़ा करने के आरोप में ८० साल की उम्र में उनका [[मदीना]] में भीड़ ने क़त्ल कर दिया। इन आरोपों को इतिहास में विवादित माना जाता है, लेकिन प्रमाणित नहीं। ख़ास कर [[शिया|शिया मुस्लिम]] इन आरोपों पर अधिक विश्वास करते हैं।
 
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* तलहा
उमर ने कहा कि, उनकी मृत्यु के बाद, समिति तीन दिनों के भीतर एक अंतिम निर्णय ले, और अगले ख़लीफ़ा]] को चौथे दिन कार्यालय की शपथ लेनी चाहिए। तलहा इस अवधि के भीतर समिति में शामिल हो गए, तो वे विचार-विमर्श में हिस्सा लेना चाहते थे, लेकिन वे इस अवधि के भीतर मदीना वापस नहीं आए, तो समिति के अन्य सदस्य इस फैसले से आगे बढ़ सकते थे। अब्दुर रहमान बिन औफ़ ने मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए खलीफा के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए अपनी पात्रता वापस ले ली और समिति के प्रत्येक सदस्य से अलग से मुलाकात करके अपना कार्य शुरू किया। उन्होंने उनसे पूछा कि किसके लिए वे अपना वोट देंगे। जब अली से पूछा गया, उसने जवाब नहीं दिया। जब उथमान से पूछा गया, उसने अली के लिए मतदान किया, जुबैर ने अली या उथमान के लिए कहा और साद ने उथमान के लिए कहा।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[ख़लीफ़ा]]